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December 23, 2024

भाजपा का कांग्रेस और विपक्ष पर वार, हर बात पर सवाल उठाने वाले बन गए देश के लिए सवाल

उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र भसीन ने कांग्रेस व विपक्ष के नेताओं पर जोरदार हमले किए।

उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र भसीन ने कांग्रेस व विपक्ष के नेताओं पर जोरदार हमले किए। उन्होंने प्रादेशिक व राष्ट्रीय नेताओं की ओर से यूक्रेन से छात्रों की वापसी पर खड़े किए जा रहे सवाल पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि की हर बात पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस व दूसरे दल अब देश के लिए खुद सवाल बन गए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व इन दलों ने कोरोना संकट काल में जो जन विरोधी चरित्र दिखाया था, वहीं चरित्र वे यूक्रेन से जुड़ी घटनाओं को लेकर दिखा रहे हैं।
एक बयान में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ देवेंद्र भसीन ने कहा कि यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाने का जो कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर जिस सफल तरीके से संचालित किया जा रहा है, वह ऐतिहासिक है और यह प्रधानमंत्री की नेतृत्व कुशलता और कूटनीतिक सफलता का एक बड़ा प्रमाण भी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के गंभीर संकट में जिस प्रकार भारत अपने छात्रों को अन्य देशों की सीमाओं से वापिस ला रहा है। उनकी वापसी के लिए जिस प्रकार के प्रबंध किए गए हैं, उसकी दुनिया में तारीफ की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार के चार मंत्री अलग-अलग स्थानों पर तैनात किए गए हैं । जो छात्रों को वहां से निकालने के लिए चल रहे कार्य का नेतृत्व कर रहे हैं और छात्रों को भावनात्मक व नैतिक सहारा भी दे रहे हैं रहे हैं। भारत सरकार ने अपनी पूरी ताकत इस काम में लगा दी है। वायु सेना भी इस कार्य में लगी हुई है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय संकट के दौर में कांग्रेस व अन्य विपक्षी नेता जिस तरह की अनर्गल बयानबाजी व व्यवहार कर रहे हैं। वह काम में बाधा डालने वाला और विश्व में देश की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन के छात्रों के लिए भारत दूतावास द्वारा युद्ध शुरू होने से बहुत पहले से ही एडवाइजरी जारी की जा रही थी और अब भी परिस्थितियों के अनुसार लगातार जारी की जा रही हैं। दूसरी ओर छात्रों को भारत लाने का कार्य स्वयं में कितना चुनौतीपूर्ण है कि इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
उन्होंने उत्तराखंड के संदर्भ में कांग्रेस नेताओं के बयान कि राज्य में कोई आंकड़ा नहीं है, पर कांग्रेस से ही सवाल किया कि क्या हरीश रावत बताएंगे कि उनके समय में किस देश में और किस पाठ्यक्रम कौन से छात्र पढ़ रहे हैं का कोई डेटा था? उन्होंने कांग्रेस नेताओं से यह भी सवाल किया कि क्या कांग्रेस शासित प्रदेशों में इस प्रकार का कोई डाटा उपलब्ध है ? उन्होंने कहा कि संकट शुरू होते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तेज गति से कार्यवाही प्रारंभ की। दो नोडल अधिकारी नियुक्त किए। दिल्ली में स्थानिक आयुक्त कार्यालय में व्यवस्थाएं की। ये सब काबिले तारीफ है । लेकिन कांग्रेस जिसे दृष्टि दोष भी है और जो मानसिक विकृति से भी ग्रस्त है यह सब न दिखाई देता है और न अनुभव होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना आदि विपक्षी दल इतने अधिक संकुचित दृष्टि के हो गए हैं कि उन्हें यह भी पता नहीं चल रहा कि वे जो बयान दे रहे हैं उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर क्या असर पड़ सकता है। स्थिति यह भी है कि शिवसेना की एक सांसद एक विदेशी राजदूत से ही लड़ बैंठी। ये सब बातें बताती हैं कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हताशा के गहरे कुएं में फंसे हुए हैं और उनके लिए राष्ट्रहित भी कोई मायने नहीं रखता। इतना ही नहीं अब कांग्रेस सहित ये दल खुद देश के लिए ही सवाल बन गए हैं ।
खाड़ी युद्ध के दौरान भी लाए गए थे पौने दो लाख भारतीय नागरिक
दो अगस्त 1990 को खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद वहां फंसे पौने दो लाख भारतीयों को सुरक्षित तत्कालीन सरकार ने निकाला था। इसके लिए विदेश मंत्री इंदर कुमार गुजराल, अतिरिक्त सचिव आईपी खोसला बग़दाद पहुंचे थे। जहां गुजराल की मुलाक़ात सद्दाम हुसैन से हुई। इस मुलाकात में सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले लगाया था और बातचीत बहुत अच्छी रही थी। इसके बाद सद्दाम ने भारतीयों के रेस्क्यू ऑपरेशन करने की इजाजत दे दी।
तब उस वक्त के भारत के दूतावास के कर्मचारी अपना दफ्तर बंद कर के भागे नही थे, बल्कि तब एम्बेसी के अधिकारी रोज वहां के लोकल बस प्रोवाइडर्स से संपर्क करते थे और रिफ्यूजीज को बसरा, बगदाद और अमान होते हुए 2000 किमी. दूर पहुंचाते थे। इस काम में हर रोज 80 बसें लगती थीं। एयर इंडिया की मदद से चलाया गया पोने दो लाख भारतीयों को निकालने का यह अभियान दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन माना जाता है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के असली हीरो एयर इंडिया का चालक दल, एम्बेसी के कर्मचारी और राजनयिक थे। उस वक्त किसी नेता ने आज की तरह न तो फोटो खिंचवाई और न ही अपनी और सरकार की पीठ थपथपाई।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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