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December 23, 2024

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने की एमएसपी कानून की वकालत, कहा बहुत हो चुकी है बहस, अब आया समय

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अब एमएसपी कानून बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि कृषि संगक पर बहुत बहस हो चुकी है। अब एमएसपी कानून बनाने का समय आ गया है।

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अब एमएसपी कानून बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि कृषि संगक पर बहुत बहस हो चुकी है। अब एमएसपी कानून बनाने का समय आ गया है। यही नहीं, वरुण गांदी ने एमएसपी कानून को लेकर सुझावों की एक लिस्ट संसद को भी सौंपी है। वरुण गांधी समय समय पर ट्विट कर सरकार को सुझाव देते हैं। साथ ही वह सरकार की आलोचना करने से भी पीछे नहीं रहते हैं। ऐसे में वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के आंख की किरकिरी भी बने रहते हैं। इसी के चलते उन्हें और उनकी मां मेनका गांधी को बीजेपी की कार्यसमिति के अलग कर दिया गया था।
वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि-भारत के किसान और उनकी सरकारें लंबे समय से कृषि संकट पर बहस कर रही हैं। एमएसपी कानून का समय आ गया है। मैंने प्रस्ताव तैयार किया और उसे संसद को सौंपा है। मुझे लगता है कि यह कानून का एक हिस्सा हो सकता है। इस पर मैं किसी भी आलोचना का स्वागत करता हूं। बता दें, पिछले काफी समय से वरुण गांधी किसानों से जुड़े हुए मुद्दे उठा रहे हैं। इस बीच वे अपनी सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं चूके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापस लेने के ऐलान के बाद वरुण गांधी ने पीएम को चिट्ठी लिखी थी। पत्र में उन्होंने कहा था कि मेरा निवेदन है कि एमएसपी पर कानून बनाने की मांग व अन्य मुद्दों पर भी अब तत्काल निर्णय होना चाहिए। साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजानों को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा देने की भी मांग की थी।
इतना ही नहीं, उन्होंने लखीमपुर खीरी घटना को लोकतंत्र पर धब्बा भी बताया था। साथ ही किसानों पर वाहन चढ़ाने का वीडियो भी पोस्ट किया था। बता दें, लखीमपुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार चढ़ाने का केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर आरोप हैं। आरोपों के मुताबिक, लखीमपुर में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, तभी केंद्रीय मंत्री के बेटे ने तेज स्पीड से कार लाकर किसानों पर चढ़ा दी, जिसमें कई किसानों की मौत हो गई। गौरतलब है कि कृषि कानून संसद द्वारा रद्द किए जाने के बाद, किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। करीब एक साल से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए किसान अब अपने घरों को लौट रहे हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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