बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने की एमएसपी कानून की वकालत, कहा बहुत हो चुकी है बहस, अब आया समय
वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि-भारत के किसान और उनकी सरकारें लंबे समय से कृषि संकट पर बहस कर रही हैं। एमएसपी कानून का समय आ गया है। मैंने प्रस्ताव तैयार किया और उसे संसद को सौंपा है। मुझे लगता है कि यह कानून का एक हिस्सा हो सकता है। इस पर मैं किसी भी आलोचना का स्वागत करता हूं। बता दें, पिछले काफी समय से वरुण गांधी किसानों से जुड़े हुए मुद्दे उठा रहे हैं। इस बीच वे अपनी सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं चूके।
India’s farmers & her governments have long debated the agricultural crisis,in & out of commissions.The time has come for an MSP law.I’ve created & submitted to parliament what I believe to be an actionable piece of legislation.I welcome any critique of it.https://t.co/oUCRSNW0Te pic.twitter.com/BiX2AGoED4
— Varun Gandhi (@varungandhi80) December 12, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापस लेने के ऐलान के बाद वरुण गांधी ने पीएम को चिट्ठी लिखी थी। पत्र में उन्होंने कहा था कि मेरा निवेदन है कि एमएसपी पर कानून बनाने की मांग व अन्य मुद्दों पर भी अब तत्काल निर्णय होना चाहिए। साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजानों को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा देने की भी मांग की थी।
इतना ही नहीं, उन्होंने लखीमपुर खीरी घटना को लोकतंत्र पर धब्बा भी बताया था। साथ ही किसानों पर वाहन चढ़ाने का वीडियो भी पोस्ट किया था। बता दें, लखीमपुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार चढ़ाने का केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर आरोप हैं। आरोपों के मुताबिक, लखीमपुर में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, तभी केंद्रीय मंत्री के बेटे ने तेज स्पीड से कार लाकर किसानों पर चढ़ा दी, जिसमें कई किसानों की मौत हो गई। गौरतलब है कि कृषि कानून संसद द्वारा रद्द किए जाने के बाद, किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। करीब एक साल से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए किसान अब अपने घरों को लौट रहे हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।