टेक होम राशन पर भाजपा सरकार की बुरी नजरः कांग्रेस नेत्री सुजाता पॉल

सुजाता पॉल ने कहा कि टेक होम राशन योजना डॉ. मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2013 में शुरू की गई थी। इसे हरीश रावत की कांग्रेस सरकार ने 2014 – 2015 में उत्तराखंड में शुरू किया था। यह एक ऐसी स्कीम है जो महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के साथ सशक्त भी करती है। अब उत्तराखंड की सरकार 2021 में भी ई टेंडर करके 652 करोड़ का काम किसी निजी कंपनी को देने की तैयारी में थी। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर महिलाओं ने आंदोलन किए, न्यायलय गईं और तब जाकर अगस्त 2021 में इस टेंडर प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री ने रोक लगाई। अब इसे लेकर मंत्री रेखा आर्य द्वारा सदन के पटल पर आधार कार्ड की अनिवार्यता, भुगतान जैसे सवालों पर गुमराह करने की कोशिश की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी की मीडिया पैनेलिस्ट सुजाता पॉल ने कहा कि राज्य में 164 स्वयं सहायता समूह हैं। हर समूह में 10 महिलाएं काम करती हैं। स्वयं सहायता समूह जो टीएचआर के काम में लगे हैं, उनके माध्यम से एक लाख से भी अधिक लोग रोजगार पाते हैं। लाभार्थियों को पौष्टिक आहार प्राप्त होता है। गर्भवती एवं धात्री (6 महीने से 3 साल तक) महिलाओं को इसका लाभ प्राप्त होता है। अब सरकार ने टेक होम राशन का कार्य स्वयं सहायता समूह से छीन कर फिर किसी निजी कंपनी को देने का मन बना लिया है। इसी कारण से दिसंबर में पोहा, सूजी, मंडवा, मूंग की दाल, गुड़ इत्यादि बंटवाने के बजाय सस्ते गल्ले की दुकान से गेहूं और चावल देने के निर्देश जारी किए है। उत्तराखंड शिशु मृत्यु दर, कुपोषण, महिला सशक्तिकरण सूचकांक में बेहतर स्थान प्राप्त करती रही है। परन्तु पौष्टिक आहार से वंचित होने पर महिलाओं और बच्चों पर सबसे बुरा असर पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुजाता पॉल ने आरोप लगाया कि कुछ महीने सस्ते गल्ले की दूकान से गेहूँ, चावल देने के बाद मंत्री रेखा आर्य खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाएंगी और तदोपरांत निजी कंपनी को देने की बात करने लगेंगी। फिर इसका टेंडर कर दिया जाएगा। बेरोजगार तो वो महिलाए होंगी जो उत्तराखंड की पहाड़ी महिला किसान है। जो पैकिंग करती हैं। साथ ही वो लोडर चालाक जो इस सामग्री को आंगनवाड़ी तक पहुंचाते हैं, वे भी प्रभावित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उनका यह भी आरोप था कि मंत्री रेखा आर्य ने विधानसभा सत्र के दौरान गुमराह करने के लिए ये कह दिया कि टीएचआर सामग्री लेने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता नहीं होती है, जबकि ये सच नहीं है। मंत्री रेखा आर्य ने भुगतान के सवाल पर भी गुमराह किया और कहा कि मार्च 2022 तक का सभी स्वयं सहायता समूहों का भुगतान किया जा चूका है। कई समूहों की महिलाओं ने इस बात को सरे से नकारते हुए कहा कि उनका पिछले साल के बकाए का भुगतान नहीं हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड प्रोफेशनल्स कांग्रेस की उपाध्यक्ष ने बताया कि महिलाओं से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार के भरोसे उन्होंने अपने काम पर असर न पड़ने देने के लिए बाज़ार से राशन उधार उठाया हुआ है। अब किश्त देने में भी परेशानी का सामना कर रहे हैं। एक तरफ बेरोज़गारी की मार और दूसरी तरफ कर्ज़े का बोझ महिलाओं की मुश्किलों को बढ़ा रहा है। सुजाता पॉल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड की हर उस महिला के साथ खड़ी है, जो इस संघर्ष में शामिल हैं। उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर सरकार से टेक होम राशन स्कीम को प्रदेश हित में जारी रखने के लिए हर मोर्चे पर संघर्ष करेगी। क्योंकि यह प्रदेश की महिलाओं, उनके रोज़गार, गर्भवती महिलाओं और बच्चों से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर गीता मौर्या ने कहा कि जब टेक होम राशन के बारे में मंत्री रेखा आर्य ने सदन में उसकी पौष्टिकता का प्रमाण दिया तो इस स्कीम को रोकने का क्या मतलब है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि महिलाओं से उनका रोज़गार छीना गया तो वे और भी गंभीर कदम उठाने पर मजबूर हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि 1 दिसंबर 2022 को हरिद्वार की 17 स्वयं सहायता समूह ने माननीय न्यायलय में एक याचिका भी दायर की है।
इस मौके पर कांग्रेस मीडिया पैनेलिस्ट गरिमा दसौनी, पूजा द्विवेदी, कोमल देवी, रीता नेगी, सुषमा, गीतांजलि रावत, लिब्बरहेटी के गुरु चेतना समूह से संतोष देवी, सीमा देवी और अमरी देवी, सरस्वती समूह से ललिता देवी, रचना और कविता, लक्सर समूह से पिंकी, सुल्ताना और रौशनी, बहादराबाद से मंजू, सलेमपुर से लक्ष्मी सैनी, भगवानपुर से नीलम सैनी, डोईवाला से पिंकी और अन्य समूहों से कौशल देवी, कमलेश, फरीदा, लेना धीमान, रीतू, जयमाला मौजूद रहीं।

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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।