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March 14, 2025

यूपी में भगदड़ के बाद उत्तराखंड में नीति में बदलाव कर सकती है भाजपा, 24 विधायकों पर है तलवार, इस तैयारी में जुटी है भाजपा

यूपी में भाजपा विधायकों में मची भगदड़ से अब उत्तराखंड में भाजपा को अपने उन विधायकों को संभालना मुश्किल होता दिख रहा है, जिनकी प्रगति रिपोर्ट कमजोर मानी जा रही है।

यूपी में भाजपा विधायकों में मची भगदड़ से अब उत्तराखंड में भाजपा को अपने उन विधायकों को संभालना मुश्किल होता दिख रहा है, जिनकी प्रगति रिपोर्ट कमजोर मानी जा रही है। अभी तक भाजपा सूत्र तो ये ही बता रहे हैं कि ऐसे करीब 24 विधायक हैं, जिनका टिकट कटना तय है। कुछ विधायकों और पूर्व विधायकों ने तो अभी से टिकट की दावेदारी के लिए मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तराखंड में भाजपा अपनी नीति में बदलाव कर सकती है। फिलहाल टिकट के दावेदारों के नाम फाइनल करने के साथ ही उत्तराखंड भाजपा इन दिनों चुनाव घोषणा पत्र की तैयारी में भी जुटी है।
यूपी में दो तीन दिन के भीतर ही तीन मंत्रियों और अन्य सात विधायकों ने भाजपा को अलविदा कह दिया। इनमें ज्यादातर नेता पिछड़े और दलित समाज की पैरवी करते हैं। वहीं, यूपी भाजपा का तर्क है कि टिकट कटने के डर से ही लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। कुछ को तो बगैर जनाधार वाला नेता तक करार दिया गया। वहीं, इन नेताओं ने दावा किया है कि अभी 20 जनवरी तक हर दिन एक मंत्री और चार विधायक बीजेपी छोड़ेंगे।
अभी तक पिछले तीन दिनों में तीन मंत्रियों और 7 विधायकों ने बीजेपी छोड़ी है। 11 जनवरी को मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, विधायक भगवती सागर, विधायक रोशन लाल वर्मा और विधायक बृजेश प्रजापति, 12 जनवरी को मंत्री दारा सिंह चौहान और विधायक अवतार सिंह भड़ाना, 13 जनवरी को मंत्री धर्म सिंह सैनी, विधायक विनय शाक्य, विधायक मुकेश वर्मा और विधायक बाला अवस्थी ने बीजेपी छोड़ी।
उत्तराखंड में प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया
उत्तराखंड में प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भाजपा में चल रही है। हर विधानसभा से पर्यवेक्षकों ने कार्यकर्ताओं से दावेदारों के नाम को लेकर रायशुमारी लेने का काम पूरा कर दिया है। गुप्त रायशुमारी लेकने के बाद सारे दस्तावेज पेटी में बंद कर रख दिए हैं। ये पेटी अब प्रदेश स्तरीय बैठक में खुलेगी और वरियता के हिसाब से तीन तीन दावेदारों की सूची बनाकर शीर्ष नेताओं को दिल्ली भेजी जाएगी। वहीं से प्रत्याशियों के नाम तय होने हैं। ऐसे में सभी दावेदारों ने अब दिल्ली की दौड़ भी आरंभ कर दी है।
क्या 24 विधायकों का कटेगा टिकट
बीजेपी अपने विधायकों के कामकाज को लेकर समय समय पर सर्वे कराती रही है। उत्तराखंड में ऐसा गोपनीय सर्वे एक बार आरएसएस की ओर से किया गया है और दो बार बीजेपी ने ही कराया है। इनमें करीब दो दर्जन विधायक कमजोर साबित हुए हैं। ऐसे में बीजेपी इन सीटिंग विधायकों को दोबारा टिकट देने से परहेज कर सकती है।
विधायकों की स्थिति
पिछले चुनाव में बीजेपी 57 सीटों पर चुनाव जीती थी। इनमें दो विधायकों का निधन होने के कारण उनकी सीट को दोबारा भरा नहीं जा सका। ये विधायक गंगोत्री सीट से गोपाल रावत और देहरादून में आठ बार विधायक रह चुके हरबंश कपूर थे। वहीं, बीजेपी में दो विधायकों में निर्दलीय प्रीतम पंवार व कांग्रेस विधायक राजकुमार पाला बदलकर भी शामिल हुए। तो पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे कांग्रेस में चले गए।
अभी से मचने लगी है अफरा तफरी
उत्तराखंड बीजेपी में अभी से अफरा तफरी मचने लगी है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की नई विधानसभा सीट की तलाश ने एक बार फिर भाजपा में हलचल मचा दी है। पहले लैंसडौन के विधायक दिलीप रावत ने उनके विरुद्ध मोर्चा खोला और उनके भाजपा को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चाओं ने जन्म दिया। अब केदारनाथ से पूर्व विधायक शैलारानी रावत ने भी पार्टी को चेतावनी दे दी है। हरक सिंह रावत इस बार अपनी कोटद्वार विधानसभा सीट के बजाय किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी के सामने तीन सीटों के विकल्प रखे हैं। वह लैंसडौन से अपनी पुत्रवधू के लिए भी टिकट मांग रहे हैं।
क्या यूपी की तरह यहां मचेगी भगदड़
वैसे तो माना जा रहा है कि जिन विधायकों का टिकट कटेगा वो बागी हो सकते हैं। भले ही वे कांग्रेस में नहीं जाएं, लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कमजोर प्रगति वाले विधायकों को भी इतना तो भान होगा कि उन्हें इस बार टिकट मिला मुश्किल है। ऐसे में वे पहले से ही अगली चाल के हिसाब से तैयारी कर रहे हैं। हालांकि कई तो बीजेपी में कर्मठ ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो टिकट न मिलने के बावजूद भी पार्टी से बने रहेंगे। क्योंकि उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण स्थान पर बैठाया जा सकता है। फिलहाल उत्तराखंड में माना जा रहा है कि भगदड़ की स्थिति से बचने के लिए बीजेपी में 24 विधायकों में सभी का टिकट नहीं कटेगा। बीजेपी यहां अलग रणनीति में काम करेगी। बेहद कमजोर रिपोर्ट कार्ड वाले विधायकों से ही किनारा किया जा सकता है।
संगठन में तैयारी
इन दिनों बीजेपी ने एलईडी रथ प्रदेश भर में रवाना किए थे। इसमें सुझाव पेटिका थी। इसमें लोगों से पार्टी घोषणापत्र के लिए सुझाव मांगे गए थे। अब इन सुझावों के साथ ही 15 जनवरी को समाज के चिकित्सक, विधि से जुड़े लोगों, पूर्व सैनिक, व्यापारी सहित अलग अलग संगठनों के लोगों के साथ मीटिंग का सिलसिला शुरू होगा। इसमें मिलने वाले सुझावों को घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा।
देहरादून में महानगर भाजपा ने भी की तैयारी
भाजपा महानगर कल दिनांक 15 जनवरी को महानगर के शिक्षा, विधि ,चिकित्सा , आर्थिक क्षेत्र,सैन्य पृष्ठभूमि
अन्य क्षेत्रों के गणमान्य नागरिकों से कल महानगर कार्यालय पर आगामी विधानसभा चुनाव हेतु बनाए जाने वाले विजन डॉक्यूमेंट के लिए सुझाव एकत्रित करेगी।
भारतीय जनता पार्टी महानगर पर अध्यक्ष सीताराम भट्ट की अध्यक्षता में हुई। बैठक में महानगर के पदाधिकारियों, प्रकोष्ठ एवं प्रकल्प तथा मोर्चा की बैठक में तय किया गया कि दिनांक 15 को महानगर की पांच विधानसभाओं में विगत कई दिनों से चलने वाले एलईडी वाहनों में रखी जन सुझाव पेटीओ के साथ ही महानगर के विभिन्न वर्गों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों को कार्यालय पर कोविड-प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आमंत्रित कर सुझाव लिए जाएंगे।

महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट के अनुसार कार्यक्रम में सभी विधायक तथा विधानसभाओं के प्रभारी एवं प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार उपस्थित रहेंगे। महानगर मीडिया प्रभारी राजीव उनियाल के अनुसार महानगर की पांचो विधानसभा सीटों पर आई दावेदारों की सूची पर कार्यकर्ताओं द्वारा की गई रायशुमारी को प्रदेश संगठन तक पैनल बनाने के लिए भेजा गया है |
बैठक में महामंत्री सतेंद्र नेगी, चिकित्सा प्रकोष्ठ संयोजक डॉ आनंद यादव, विधि प्रकोष्ठ संयोजक राजकुमार तिवारी, आर्थिक एवं उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ पंकज मेसोन, पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ संयोजक एल पी सेमवाल ,शिक्षा प्रकोष्ठ संयोजक श्रीमती पार्वती जोशी, महिला मोर्चा अध्यक्ष कमली भट्ट ,युवा मोर्चा अध्यक्ष अंशुल चावला ,ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष अनिल बेदी, किसान मोर्चा अध्यक्ष राजेश कंबोज ,अनुसूचित मोर्चा अध्यक्ष धर्मपाल घाधट , अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष जावेद आलम, विधि विभाग के अरविंद जैन, सोशल मीडिया के करुण दत्ता, अनुराग भाटिया, श्याम सिंह चौहान, भुवनेश कुकरेती, एलईडी वाहन प्रमुख उमा नरेश तिवारी, के. राम बाबू , लच्छू गुप्ता, शाकुल उनियाल, जगराम सिंह, डॉक्टर एस के गुप्ता, इंजीनियर सुनील दत्त घिल्डियाल, फराज खान उपस्थित रहे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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