उत्तराखंड में बीजेपी ने लोकसभा के लिए घोषित किए तीन प्रत्याशी, कांग्रेस ने कहा- आधी पहले ही चुनावी जंग हार गई भाजपा

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने तीन सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इनमें टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से माला राज्य लक्ष्मी शाह, अल्मोड़ा से अजय टम्टा और नैनीताल-उधमसिंह नगर सिंह लोकसभा सीट से अजय भट्ट को उम्मीदवार बनाया गया है। पौड़ी गढ़वाल व हरिद्वार सीटों पर अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं। बीजेपी की पहली सूची को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने बीजेपी पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वही घिसे पीटे पुराने चेहरे देकर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की आधी जंग ऐसे ही गंवा दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि भाजपा के जो सांसद अल्मोड़ा, टिहरी और नैनीताल क्षेत्र की जनता ने चुनकर भेजे थे, उन्होंने पांच सालों में एक बार भी कभी अपनी क्षेत्रीय जनता को मुड़ कर नहीं देखा। दसौनी ने कहा की उन सांसदों का आलम यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को जिन गांवों को गोद लेने की बात कही थी, वह गांव कभी चुने हुए सांसदों की गोद से नीचे ही नहीं उतर पाए। फिर ऐसे गांवों का विकास कहां से होता? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि पिछले चुनाव में तो मोदी के सहारे या पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के बलिदान का वास्ता देखकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने अपनी चुनावी वैतरणी पार कर ली। कांठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। पिछले 5 सालों में उत्तराखंड की जनता ने बहुत कुछ सहा है। बेरोजगारी, महंगाई का दंश होक, या फिर महिला अपराध। इन सांसदों का कभी कोई आता-पता ही नहीं था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनता की किसी भी दिक्कत, चुनौती के समय पर ये सांसद हमेशा लापता ही रहे। दसौनी ने कहा कि वैसे तो पूरे देश में ही सत्ता विरोधी लहर प्रचंड रूप से बह रही है, परंतु उत्तराखंड में तो इसे खास करके देखा दे जा सकता है। यहां भारतीय जनता पार्टी के सांसदों को सदन में देखकर ऐसा लगता था कि उनके अंदर जुबान ही नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा दसौनी ने कहा की उत्तराखंड जैसे सैन्य बाहुल्य प्रदेश पर केंद्र सरकार ने अग्निवीर जैसी आत्मघाती योजना थोपी। इसने प्रदेश के युवाओं के सपनों को चकनाचूर किया कर दिया। जिस उत्तराखंड की जनता ने प्रेम और विश्वास के साथ पांचो लोकसभा सीटों से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजयी बना कर भेजे थे, उसके किसी भी सांसद में इस अग्निवीर योजना के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत तक सदन के अंदर नहीं हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जोशीमठ भू धंसाव हो या रैणी की आपदा, सिल्क्यारा टनल हादसा, या भर्ती घोटाले, अंकिता भंडारी हत्याकांड हो, या फिर ग्रामीण अंचलों में जंगली जानवरों का आतंक। यहां तक कि सशक्त भू कानून पर भी इन सांसदों ने कभी मुंह नहीं खोला। कभी भी इन चुने सांसदो ने दिल्ली से देहरादून का रुख नहीं किया। दसौनी ने कहा कि ये सांसद सिर्फ और सिर्फ बयानवीर ही साबित हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसोनी ने कहा कि सांसद एक चुने हुए प्रतिनिधि होने के साथ-साथ केंद्र में प्रदेश की आवाज होते हैं, परंतु पिछले 5 सालों में यह आवाज कभी ना सुनाई दी। ना ही सांसद ही दिखाई दिए। ऐसे में उत्तराखंड की जनता ने इस बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को सबक सिखाने का मन बना लिया है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।