बिलकिस बानो को मिला न्याय, 11 दोषियों को जाना होगा जेल, सजा माफी को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया कि अपराधियों की जगह जेल में है। भले ही सजा माफी के दौरान उनके जेल से बाहर आने पर एक विशेष पार्टी के लोगों ने फूल मालाओं से ऐसे लोगों का स्वागत किया हो। इसके साथ ही बिलकिस बानो ने न्याय की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट से जीत ली है। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। बिलकिस बानो के दोषियों की समयपूर्व रिहाई के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 11 दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार का माफी का आदेश खारिज करते हुए कहा कि छूट पर फैसला महाराष्ट्र सरकार को लेना था। गुजरात सक्षम राज्य नहीं था। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने आज ये बड़ा फैसला सुनाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गुजरात सरकार ने दोषियों के साथ मिलकर किया काम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मई 2022 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गुजरात सरकार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। गुजरात सरकार ने 13 मई, 2022 के फैसले को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र सरकार की शक्तियां छीन लीं, जो हमारी राय में अमान्य है। गुजरात सरकार ने दोषियों से मिलकर काम किया। गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग शक्ति को हड़पने और शक्ति के दुरुपयोग का एक उदाहरण है। यह एक क्लासिक मामला है। जहां इस अदालत के आदेश का इस्तेमाल छूट देकर कानून के शासन का उल्लंघन करने के लिए किया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है पूरा मामला
दरअसल, वर्ष 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे। तब देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थी। इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था। मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया था। तब बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। भीड़ ने उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। बाकी छह सदस्य जान बचाकर भागने में सफल हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दोषियों को सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा
कई सालों की सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये आरोपी हुए थे रिहा
जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना। तर्क दिया गया कि जेल में 15 साल गुजारने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए उन्हें 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया। यही नहीं, रैप के मामले में ऐसा पहली बार देखा गया कि जब वे जेल से रिहा हुए तो उनका स्वागात एक विशेष पार्टी ने फूल मालाओं के साथ किया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को जेल जाना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु
1- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को दी गई छूट को इस आधार पर खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास सजा में छूट देने का कोई अधिकार नहीं था।
2- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना।
3- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 13 मई 2022 के जिस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार के लिए कहा था, वह दोषियों ने भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर हासिल किया था।
4- जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अपराधियों को सजा इसलिए दी जाती है, ताकि भविष्य में अपराध रुकें।
5- जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि अपराधी को सुधरने का मौका दिया जाता है, लेकिन पीड़िता की तकलीफ का भी एहसास होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
6- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने कानूनी लिहाज से मामले को परखा है। पीड़िता की याचिका को हमने सुनवाई योग्य माना है. इसी मामले में जो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं, हम उनके सुनवाई योग्य होने या न होने पर टिप्पणी नहीं कर रहे।
7- सर्वोच्च अदालत ने कहा, जिस कोर्ट में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी।
8- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस राज्य में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था। दोषियों को महाराष्ट्र में सजा मिली थी। इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है।
9- कोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां इस अदालत के आदेश का इस्तेमाल छूट देकर कानून के शासन का उल्लंघन करने के लिए किया गया था।
10- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा मानना है कि इन दोषियों को स्वतंत्रता से वंचित करना उचित है। एक बार उन्हें दोषी ठहराए जाने और जेल में डाल दिए जाने के बाद उन्होंने अपनी स्वतंत्रता का अधिकार खो दिया है। साथ ही, यदि वे दोबारा सजा में छूट चाहते हैं तो यह जरूरी है कि उन्हें जेल में रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आखिर कहां जा रहा देश
इस खबर को पढ़ने वालों को ये भी सोचना चाहिए कि आखिर देश किस दिशा में जा रहा है। जहां जाति और धर्म के आधार पर ब्लात्कारियों को संरक्षण दिया जाता है। अपराध अपराध है। चाहे किसी भी जाति और धर्म के लोगों ने किया है। ऐसे लोगों को सजा मिलती चाहिए। वहीं, जब बिलकिस बानो से दुष्कर्म के आरोपी जेल से रिहा हुए तो उनका फूल मालाओं के साथ स्वागत किया गया। जेल के बाहर ही मिठाई बांटी गई। ऐसे लोगों को समर्थन देना कितना जायज है। ये फैसला खबर पढ़ने वालों को ही करना चाहिए। फिलहाल ऐसे लोगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त फैसला सुना दिया है। सोचना होगा कि उत्तराखंड सहित ऐसे कई राज्य हैं, जहां नेताओं पर रैप के आरोप लगे हैं। क्या ऐसे लोगों को सजा होनी चाहिए या नहीं। या फिर आप धर्म के आधार पर इस मामले में भी बंटें रहोगे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।