उत्तराखंड में भाजपा को बड़ा झटका, हरक सिंह रावत का मंत्री पद छोड़ने का ऐलान, विधायक काऊ की भी चर्चा, किया खंडन
अभी तक कांग्रेस के विवाद में मजे ले रही भाजपा को बड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

हरक सिंह रावत ने कहा है कि 5 साल से अपने क्षेत्र के लिए मेडिकल कॉलेज मांग रहा था, लेकिन इन लोगों ने मुझे भिखारी सा बना दिया। वे इतने ज्यादा नाराज नजर आए कि उनकी आंखे नम हो गईं और वे रोने भी लगे। उनके मुताबिक उनकी अपनी सरकार ने उनकी इस मांग को नजरअंदाज किया। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में उनकी सीएम पुष्कर सिंह धामी से बहस हुई। इसके बाद वह नाराज होकर चले गए। उन्होंने कहा कि ऐसे में मेरा मंत्री होने का क्या फायदा।
सूत्रों के मुताबिक सचिवालय में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में 45 के करीब प्रस्ताव आए थे। इनमें कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव नहीं आने पर वह भड़क गए। वह कैबिनेट की बैठक को बीच में छोड़कर निकल गए। उनके पीछे सीएम धामी भी निकल गए। उन्होंने भी पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके बाद कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत भी बाहर निकले। बताया गया कि उन्होंने हरक सिंह रावत रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। धन सिंह रावत से इस्तीफे की बात पूछी गई, तो वह सिर्फ ये ही कहते रहे कि हरक सिंह रावत सीनियर नेता हैं। इसके अलावा वह कुछ नहीं बोल पाए। साथ ही वह बार बार यही दोहराते रहे कि कैबिनेट की बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई है। हालांकि हरक सिंह रावत ने लिखित इस्तीफा नहीं दिया। सिर्फ मौखिक घोषणा की, ऐसे मैं माना जा रहा है कि उन्होंने अभी बातचीत की गुंजाइश छोड़ी हुई है।
गौरतलब है कि हरक सिंह रावत पहले भाजपा में थे। फिर वे कांग्रेस में गए। पूर्व सीएम हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान वह कांग्रेस से बगावत कर कई साथियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में पुराने भाजपाई उन्हें पचा नहीं पा रहे थे। उनका पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ काफी समय तक आरोप प्रत्यारोप की लड़ाई भी चली। उमेश शर्मा काऊ ने भी हरक सिंह रावत के साथ कांग्रेस की छोड़ी थी। उनका पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से विवाद चला। इसके बाद रायपुर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से भी उनका विवाद सार्वजनिक हुआ। संभावना जताई जा रही है कि यदि दोनों का इस्तीफा होता है तो वे कांग्रेस में जा सकते हैं। हालांकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी हाईकमान ही ऐसे मामलों में निर्देश देगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।