गणतंत्र दिवस के मौके पर भूपेन्द्र डोंगरियाल का काव्य गीत, ऑडियो में भी सुनिए-खुशी न देखी बचपन की
खुशी न देखी बचपन की
उम्र हमारी पता लगाओ,
लगे सोलह में जो पचपन की।
हम ने तो बस गम ही देखे,
ख़ुशी न देखी बचपन की।।
ये शहरों की आबोहवा में,
हम रिश्ते-नाते क्या जाने।
कहाँ किसी को फुर्सत मिलती,
ग़लती किसी की क्या माने।
नारे सुनते हम भी हमेशा,
सरकार यहाँ है जन-जन की।
हम ने तो बस गम ही देखे,
ख़ुशी न देखी बचपन की।।
लावारिश बन घूम रहे हैं,
माता-पिता की चूक से जो।
वो क्या जाने सपने ऊँचे,
तड़प रहे हैं भूख से जो।
ठिठुर रहे हैं सड़कों पर ही,
व्यथा सुनो उस जन गन की।
हम ने तो बस गम ही देखे,
ख़ुशी न देखी बचपन की।।
पूछ रहे नर-नारायण से,
कहाँ हो दीनदयाल तुम।
हैं लाचार गरीब जो उनका,
रखते नहीं हो ख़याल तुम।
कहाँ ख़ुदा है कहाँ है यीशु,
जयकार करूँ कैसे भगवन की।
हम ने तो बस गम ही देखे,
ख़ुशी न देखी बचपन की।।
आडियो में सुनिए गीत
कवि का परिचय
नाम- भूपेन्द्र डोंगरियाल
जन्म स्थान- ग्राम- बल्यूली, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड।
वर्तमान पता- आईटीआई कैम्पस, निरंजनपुर, देहरादून।
भूपेन्द्र डोंगरियाल उत्तराखण्ड राज्य सरकार के सेवायोजन एवं प्रशिक्षण अनुभाग में अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं। वर्जिन साहित्यपीठ के सौजन्य से अभी तक उनकी पाँच ई बुक्स प्रकाशित हो चुकी हैं।
मोबाइल नम्बर-
8755078998
8218370117
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।