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October 14, 2025

परियोजना निदेशालय पर भोजन माताओं ने दिया धरना, कल होगा सचिवालय कूच, जानिए क्या हैं मांगे

सीटू से संबद्ध उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन 5000 रुपये मानदेय का शाशनादेश जारी करने की मांग को लेकर आज यानी 26 अक्टूबर को परियोजना निदेशालय पर धरना देकर प्रदर्शन किया।

सीटू से संबद्ध उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन 5000 रुपये मानदेय का शाशनादेश जारी करने की मांग को लेकर आज यानी 26 अक्टूबर को परियोजना निदेशालय पर धरना देकर प्रदर्शन किया। यूनियन की प्रांतीय महामंत्री मोनिका ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने भोजन माताओं के मानदेय में वृद्धि कर उसे 5000 रुपये करने की घोषणा की थी। ये घोषणा सिर्फ कोरी घोषणा ही रह गयी। उन्होंने कहा कि 5000 रुपये मानदेय का जब तक शाशनादेश जारी नही किया जाता, तब तक भोजन माताएं आंदोलन जारी रखेंगी। इस अवसर पर निदेशक मध्याह्न भोजन योजना मुकुल कुमार सती ने बताया कि वह मानदेय व्रद्धि का प्रस्ताव बना कर शाशन को भेज चुके है।आज के मांग पत्र पर भी वे प्रस्ताव बना कर भेज रहे हैं।
इस क्रम में 26 अक्टूबर को देहरादून स्थित ननूरखेड़ा स्थित परियोजना निदेशालय में धरना दिया गया। उन्होंने बताया कि कल 27 अक्टूबर 2021 को उत्तराखंड सचिवालय पर प्रदर्शन किया जाएगा। इस पर भी उनकी मांग पूरी नही की जाती है तो वे हड़ताल से भी पीछे नही हटेंगी। इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और निदेशालय की होगी। साथ ही उन्होंने भोजनमाताओं की अन्य मांगों को भी दोहराया।
इस अवसर पर सीटू के प्रांतीय सचिव लेखराज ने कहा कि उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडेय ने जुलाई माह में भोजन माताओं के मानदेय मे व्रद्धि की जाने की घोषणा की थी, जिनका सभी ने स्वगत किया था। घोषणा के चार माह बाद बाद बीत जाने पर भी इस घोषणा को अमल में नही किया गया है। जो बड़े शर्म की बात है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वो आगामी केबिनेट की बैठक में निदेशालय से भेजे गए प्रस्ताव को पास कराएं। इस अवसर पर सीटू उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, रविन्द्र नौडियाल, टिका प्रसाद पोखरियाल, रोशनी बिष्ट, रेखा राणा, अवश्वर्या जुयाल, रजनी रावत, अनिशा, विमल कौशल, रोशनी देवी आदि उपस्थित थे।
भोजनमाताओं की मांगे
-19 जुलाई 2021 को शिक्षा मंत्री की ओर से भोजन माताओं के मानदेय को 5000 रुपये करने की घोषणा का शासनादेश जारी किया जाए।
-भोजन माताओं की न्यूनतम वेतन, समाजिक सुरक्षा की मांग को पूरा किया जाए।
-न्यूनतम वेतन 18000 रुपये किया जाए।
-प्रदेश में विद्यालयों को बंद करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
-मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण बंद किया जाए। इसे एनजीओ को नही दिया जाए।
-भोजन माताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य न लिया जाए।
-भोजन माताओं को न निकाला जाया तथा निकाली गई भोजन माताओं को कार्य पर वापस रखा जाए।
-भोजन माताओं को 45 व 46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशो के अनुसार मजदूर/ कामगार घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं को सेवानिवृती पर ग्रजूवटी व पेंशन दी जाए।
-भोजन माताओं के बोनस का भुगतान अविलंब किया जाए।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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