जी20 समिट से पहले चीन ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को बताया अपना हिस्सा, बीजेपी और आरएसएस चुप, नहीं दिखा रहे लाल आंख
एक तरफ भारत की राजधानी दिल्ली में 9 से 10 सितंबर को होने वाली जी-20 समिट की तैयारी हो रही है। इसमें कई ग्लोबल लीडर्स शामिल होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन समिट के लिए 7 सितंबर को ही भारत आ जाएंगे। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस समिट के लिए आ सकते हैं। दिल्ली में जिनपिंग और उनके डेलिगेशन के लिए होटल ताज पैलेस बुक किया गया है। वहीं, समिट से पहले चीन ने फिर से नया विवाद खड़ा कर दिया है। ना तो उसे लाल आंख पीएम नरेंद्र मोदी दिखा रहे हैं और ना ही बीजेपी और आरएसएस की कोई प्रतिक्रिया आ रही है। सभी ऐसे मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। यदि बात पाकिस्तान की होती तो सब सड़कों पर उतर आते। फिर चीन के मुद्दे पर चुप्पी क्यों है, ये सवाल आम जनमानस के दिमाग में उपज रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चीन ने अपने मानक मानिचत्र का नया संस्करण जारी किया है। चीन द्वारा मानचित्र जारी करते ही विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में दिखाया। इसके बाद भारत ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चीन लगातार भारत के खिलाफ कोई ना कोई हरकत करता रहा है। वह भारत के कुछ हिस्सों पर अपना दावा करता रहा है। चीन ने एक बार फिर से ऐसा ही किया है। दरअसल, चीन ने सोमवार को अपना नया नक्शा जारी किया। इसमें ड्रैगन ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया है। 28 अगस्त को जारी किए गए आधिकारिक मानक मानचित्र-2023 में चीन की इस हरकत से एक बार फिर से दोनों देशों के संबंध खराब हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस नक्शे में चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में बताते हुए प्रदर्शित किया है। चीन के सरकारी न्यूज पेपर ने एक्स पर कल करीब पौने चार बजे नया मैप शेयर किया। इसके अलावा चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय की ओर से होस्ट की जाने वाली स्टैंडर्ड मैप सर्विस की वेबसाइट पर इस मैप को लॉन्च किया गया है। बता दें कि चीन ने नए मैप को दुनिया के विभिन्न देशों की सीमाओं की ड्रॉइंग पद्धति के आधार पर तैयार किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अप्रैल में अरुणाचल के 11 स्थानों के बदले थे नाम
चीन की ये कोई पहली बार नहीं किया है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले साल 2021 में भी चीन ने अरुणाचल की 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन के नए नक्शे में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी चीन का हिस्सा बताया गया है। चीन ने 1962 के युद्ध के दौरान अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था। वहीं दक्षिण चीन सागर क्षेत्रों पर वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई भी अपना दावा करते रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चीन ने अरुणाचल के इन इलाकों के भी बदले नाम
बता दें कि चीन अभी तक अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता रहा है। ड्रैगन ने अरुणाचल को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी है और वह अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। चीन का आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना लिया। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक, चीन ने सोमवार को 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी। ये सभी इलाके जेंगनेन में आते हैं. जिसमें चार रिहायशी इलाके भी शामिल हैं। इसमें एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के पास का है। इनमें 5 पहाड़ी क्षेत्र और दो नदियों के नाम भी शामिल हैं। जिनके नाम मन्दारिन और तिब्बती भाषा में लिखे गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत का पक्ष
भारत ने हमेशा से ही चीन की इस विस्तारवादी नीति का विरोध किया है। भारत ने पहले भी चीन की विस्तारवादी योजनाओं को खारिज किया है। चीन के इस रुख का दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी पड़ेगा। G20 की बैठक के दौरान चीन नए विवाद को जन्म दे रहा है। G20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दुनिया के शीर्ष नेता भारत आने वाले है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।