एलिवेटेड रोड बनाने से पहले प्रभावितों को दें आवास और मुआवजा, जानिए क्या बोले राजकुमार और लालचंद

देहरादून में एलिवेटेड रोड के नाम पर रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे बसे मकानों को ध्वस्त करने के नोटिस का विभिन्न विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का विरोध जारी है। पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि एलिवेटेड रोड़ बनाने से पहले प्रभावितों को आवास की व्यवस्था करने के साथ ही समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। इस मांग को लेकर पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता राजकुमार और महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने देहरादून के अपर जिलाधिकारी प्रशासन जय भारत सिंह के माध्यम से राज्यपाल ज्ञापन प्रेषित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री धामी की कैबिनेट में भी प्रस्ताव पारित हो चुका है। इन सड़कों के निर्माण के लिए मलिन बस्तियों में रह रहे काफी संख्या में परिवार प्रभावित होंगे। कई घरों में ध्वस्तीकरण के निशान लगा दिए गए हैं। साथ ही लोगों को संबंधित विभागों की ओर से नोटिस भेजे जा रहे हैं। इन सड़कों के निर्माण और लोगों को बेदखल करने का विभिन्न विपक्षी दल और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं। साथ ही वे प्रभावितों को समुचित मुआवजा, पुनर्वास की व्यवस्था आदि की मांग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि मलिन बस्तियों में अतिक्रमण के नाम पर नगर निगम देहरादून की ओर से कई मलिन बस्तियों को नोटिस दिये गये है। इसमें उनसे 2016 से पूर्व के समस्त कागजात जमा करने को कहा गया है, जो अनुचित है। ज्ञापन में कहा गया कि सभी मलिन बस्तवासियों के दस्तावेजों की गहनता पूर्वक जांच की जानी चाहिए। प्रभावित होने वाले लोगों का पुनर्वास होना चाहिए और उन्हें उचित मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि यह मलिन बस्ती के लोग तीस से चालीस वर्षों से नदी रिस्पना, एवं बिन्दाल नदी पर अपने कच्चे मकान बना कर परिवार सहित निवास कर रहे हैं। इन सभी मलिन बस्ती वासियों ने अपनी मेहनत, खून, पसीने की कमाई से अपने छोटे-छोटे मकान बना रखे हैं। इन बस्तीवासियों को कभी फ्लडजोन, कभी अतिक्रमण व कभी एलिवेटेड रोड़ के नाम से उजाड़ने का प्रयास होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वहीं, नदी रिस्पना व बिन्दाल में कई सरकारी भवन जैसे विधान सभा, पुलिस कालोनी व अन्य कई विभागों के भवन निर्मित हैं। कई जगह सरकारी भूमि पर प्रभावशाली लोगों ने नदी नालों की जगह पर अतिक्रमण कर रखा है। उन विभागों और अन्य प्रभावशाली लोगों को कभी भी किसी विभाग द्वारा कोई नोटिस नहीं दिया गया है। सिर्फ गरीब व निर्धन लोगों को नोटिस देकर भयभीत किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि देहरादून में मलिन बस्तियों में निवास करने वाले सभी लोग डरे हुए हैं कि कभी भी उनके आवासीय भवनों को तोड़ दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एलिवेटेड रोड की विरोधी नहीं है। वह तो केवल प्रभावित लोगों के पुनर्वास की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी मलिन बस्ती वासियों के पास पानी, बिजली, आधार कार्ड, राशनकार्ड, मतदाता पहचान पत्र, गैस के कागज, बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र, जीवन बीमा, बैंक खाता तथा सभी प्रकार के आवश्यक दस्तावेज हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इन सभी मलिन बस्तियों में पार्षद निधि, विधायक निधि, सांसद निधि, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, जल संस्थान, सिंचाई विवाग, मसूरी देहरा विकास प्राधिकरण, ऊर्जा निगम की ओर से निर्माण कार्य कराये गये हैं। इन सभी विभागों ने इन्हें सीवर, पानी, बिजली के कनेक्शन दिये हैं। नगर निगम की ओर से भवन कर भी लगा रखा है। फिर इन बस्तियों को क्यों उजाड़ा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यदि बस्तीवासियों ने अतिक्रमण करके बस्तियों में सरकार की भूमि पर अपने मकान बनाए हैं। तो इन सभी बस्ती निवासियों को पानी, बिजली के कनेक्शन क्यों दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सभी बस्तियां बहुत लम्बे समय वर्ष 1977 से 1980 के बीच की बसी हुई हैं। इसीलिए इन सभी मलिन बस्ती निवासियों को मालकाना हक पूर्व बनी नियमावली के तहत दिया जाना उचित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर देहरादून महानगर कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने मलिन बस्तीवासियों को मालिकाना हक देने के लिए विधानसभा के माध्यम से नियमावली तैयार की और कई बस्तीवासियों को मालिकाना हक भी दिया गया। भाजपा सरकार ने इस नियमावली को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब मलिन सरकार बस्तियों को लोगों को एलिवेटेड रोड व अतिक्रमण के नाम पर उत्पीड़ित कर रही है। इसे सहन नहीं किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के दोनों नेताओं ने कहा कि यदि इसमें कोई तकनीकी या व्यवहारिक दिक्कतें हैं, तो मलिन बस्तियों को उजाडने से पहले वहां के लोगों के पुर्नवास की समुचित व्यवस्था की जाए। जो भी बस्तीवासियों को ध्वस्तीकरण के नोटिस दिये गये हैं, उन्हें शीघ्र निरस्त किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हमें मजबूर होकर बस्तीवासियों के साथ सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने को मजबूर होना पड़ेगा।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।