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April 24, 2025

निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों ने किया प्रदर्शन, 15 और 16 मार्च को रहेंगे हड़ताल पर

सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर उत्तराखंड में भी बैंक कर्मियों ने देहरादून में एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक की शाखा के समक्ष प्रदर्शन किया।

सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर उत्तराखंड में भी बैंक कर्मियों ने देहरादून में एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक की शाखा के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शन शाम करीब सवा पांच बजे से छह बजे तक किया गया। इस मौके पर केंद्र सरकार के साथ ही बैंकों के निजीकरण के विरोध में नारेबाजी की गई।
इस मौके पर यूएफबीयू के उत्तराखंड संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने बताया कि सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण करने संबंधी फैसले का यूएफबीयू समूचे देश में विरोध कर रही है। 15 मार्च व 16 मार्च को यूएफबीयू से जुड़े सभी बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। दोनों ही दिन प्रातः 10.00 बजे से सेंट्रल बैंक की एस्लेहाल शाखा से शहर में जुलूस निकाला जाएगा। पहले ये जुलूस परेड मैदान से निकालना तय था। अब परेड मैदान में खुदाई का कार्य चलने चलते इसका स्थान बदला गया है। अब एस्लेहाल से जुलूस प्रारम्भ होकर गांधी पार्क, कुमार स्वीट शॉप से होते हुए घंटाघर से वापिस होकर इसी मार्ग से पुनः ऐस्लेहाल पहुंचकर समाप्त होगा।
इस मौके पर वक्ताओं ने बैंकों को पूंजीपतियों के हाथों में सौपने को आम जनता की गाढ़ी कमाई को निजी हाथों में लूटने देने की साजिश बताया। कहा कि विगत इतिहास में निजी बैंकों के डूबने से जनता की गाढ़ी कमाई पर पहले भी डाका डाला गया है। वहीं, सरकारी बैंकों ने पिछले छै वर्षों में औसतन डेढ़ से दो लाख करोड़ का ऑपरेटिंग लाभ कमाकर जनहितों के लिए सरकार को दिया है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने ही पिछले केवल चार वर्षों में ही लगभग आठ लाख करोड़ का डूबत लोन बट्टे खाते में डालकर कॉरपोरेट घरानों का इसमें से अधिकांश हिस्सा माफ करने में लगा दिया है। सरकार लगातार सरकारी संस्थानों को बेचकर अपने घाटे और नाकामी को छिपाने में लगी है। ऐसे में एक दिन सारे देश की जनता की कमाई से खड़े किए गए उद्यमों पर कुछ चंद लोगों का कब्जा हो जाएगा। तब सरकार क्या झोला उठाकर तपस्या के लिए हिमालय की कंदराओं में पश्चाताप के लिए भाग जाएगी।
कहा कि बैंककर्मी ऐसी कार्पोरेट सरकार का अपने आखरी दम तक विरोध करेंगे। चाहे उन्हें लंबी हड़ताल करनी पड़े। चाहे जेल भरो आंदोलन का रुख अख्तियात क्यों न करना पड़े। भविष्य में सरकार अपना रुख जनता के बैंकों के प्रति सकारात्मक नहीं करती है, तो आंदोलन को अन्य संगठनों के साथ भी जोड़कर इसे जोड़ा जाएगा। सभा में निजीकरण और सरकार की पूंजीपरस्त कार्पोरेटी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
प्रदर्शन करने वालों में टीपी शर्मा, पीआर कुकरेती, एस एस रजवार, आर के गैरोला, डी एन उनियाल, वीके जोशी, राकेश चंद्र उनियाल, सुधीर रावत, डी एस तोमर, कमल तोमर, राजन पुंडीर, वी के बहुगुणा, सी के जोशी, निशान्त शर्मा, दीपशिखा, कैलाश जुयाल, विनय शर्मा, अभिलेख थापा, सौरभ पुंडीर, आनंद रावत, आशिता, नीरज ध्यानी, करण रावत, टीएस पांगती आदि शामिल थे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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