नए संसद भवन के निर्माण में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, शिलान्यास को दी मंजूरी, पीएम करेंगे शिलान्यास
दिल्ली में नए संसद भवन के निर्माण में फिर कानूनी बाधा अटक गई है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई के बाद सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम करने पर रोक लगा दी है। हालांकि पहले से तय 10 दिसंबर को होने वाले नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह को आयोजित करने की अनुमति दे दी है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की बैंच ने मामले की सुनवाई की। खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन्होंने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कुछ काम शुरू होने की खबरें देखी है। क्या यह सही है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह तुरंत केंद्र सरकार से वार्ता करके 5 मिनट में हलफनामा दाखिल करे। खंडपीठ ने संकेत दिया कि यदि केंद्र सरकार अपना हलफनामा दाखिल नहीं करती है तो वह नए संसद भवन के निर्माण पर स्टे ऑर्डर जारी कर सकती है।
शिलान्यास से नहीं परेशानी, न हो निर्माण
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण या कुछ भी तोड़फोड़ नही होनी चाहिए। अदालत ने सालिसिटर जनरल से पूछा कि आपने प्रेस रिलीज जारी कर निर्माण की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आगे इस पर कोई काम नहीं होना चाहिए। शिलान्यास से हमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन कोई निर्माण का काम आगे नही होना चाहिए।
केंद्र सरकार ने दिया ये तर्क
10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नए संसद भवन का शिलान्यास प्रस्तावित है। 5 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 20 हजार करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पैसे की बर्बादी नहीं है। इससे पैसों की बचत होगी। इस प्रोजेक्ट से सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, जो फिलहाल दस इमारतों में चल रहे मंत्रालयों के किराये पर खर्च होते हैं। साथ ही इस प्रोजेक्ट से मंत्रालयों के बीच समन्वय में भी सुधार होगा।
सख्ती पर झुकी सरकार
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से केंद्र सरकार झुक गई है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कोई निर्माण नहीं होगा। केंद्र ने अदालत में कहा कि सिर्फ शिलान्यास करेंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ नहीं काटेंगे। शुरुआत में ही कोर्ट ने बोल दिया था कि हम स्टे नहीं दे रहे हैं, लेकिन आप जो भी करेंगे वो हमारे आदेशों के अधीन होगा। बेहतर होगा कि आप इस मुद्दे पर ध्यान रखें। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केंद्र कागजी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकता है, लेकिन एक बार जब ढांचा खड़ा हो गया तो पुरानी स्थिति बहाल करना मुश्किल हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने इस मामले को सूचीबद्ध किया है, क्योंकि कुछ डवलपमेंट पब्लिक डोमेन में आया है। ये सही है कि प्रोजेक्ट पर कोई रोक नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर चीज के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।