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March 15, 2025

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्ती मामलाः हाईकोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में रिकॉर्ड के साथ जवाब देने का दिया आदेश

उत्तराखंड में विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटालों में दायर अभिनव थापर की जनहित याचिका को लेकर आज हाईकोर्ट नैनीताल में सुनवाई हुई। जनहित याचिका के हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने इस याचिका में विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा और याचिकाकर्ता को तथ्यों और रिकॉर्ड के साथ तीन हफ्ते में जवाब कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए। अगली सुनवाई की तिथि चार अगस्त को तय की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता के विषय में देहरादून निवासी एवं कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस पर आज हाईकोर्ट नैनीताल में सुनवाई हुई। इस विषय पर विधानसभा ने एक जांच समीति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया। यह घोटाला राज्य 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था। आरोप है कि इसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

याचिका में कहा गया है कि विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों की हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने के साथ ही सरकारी धन की रिकवरी कराई जाए। अभिनव थापर की याचिका को हाईकोर्ट नैनीताल ने गंभीरता से संज्ञान लिया और 30.11.2022 को सरकार को 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए। विधानसभा ने अपना जवाब हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट के पुनः 01.05.2023 को नोटिस के बाद भी 8 महीने बीतने पर भी सरकार की तरफ से अभी तक न्यायालय को कोई जवाब नहीं दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु रखते हुए कहा कि सरकार के 2003 शासनादेश, जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन, जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

याचिका में मांग की गई है की राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक विधानसभा में बैकडोर भ्रष्टाचारी नियुक्तियों करने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों व अन्य से सरकारी धन की लूट को वसूला जाय। सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी है। इससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा किया है। यह सरकारों द्वारा जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है। वर्तमान सरकार दोषियों पर भी कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है। हम प्रदेश के 10 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को उनका हक दिलवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उल्लेखनीय है कि भाजपा के पूर्व सांसद, पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर, प्रेस वार्ता व अपने सोशल एकाऊंट से ट्वीट कर विधानसभा से निलंबित 228 कर्मचारियों के पुनः बहाली का आग्रह किया। इससे उत्तराखंड के 10 लाख शिक्षित बेरोजगार युवाओं के हितों एवं हक-हकूक की रक्षा के लिए याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने पुरजोर विरोध भी किया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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