सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव की सिट्टी पिट्टी गुम, दूसरा माफीनामा हुआ खारिज, उत्तराखंड सरकार की भी जमकर खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी आचार्य बालकृष्ण की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। दूसरों का हमेशा मजाक उड़ाने वाले रामदेव की कोर्ट से बाहर निकलने के बाद तो मानो बोलती ही बंद हो गई। मीडिया के सवालों पर वह चुपचाप आगे बढ़ते चले गए। कारण ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण का दूसरा माफीनामा भी ख़ारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की भी जमकर खिंचाई की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के मामले पर योग गुरु बाबा रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हए थे। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का दूसरा माफीनामा ख़ारिज करते हुए कहा हम माफी स्वीकार नहीं करते हैं, हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है, हम इसे वचन की जानबूझ कर की गई अवज्ञा मानते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने पतंजलि और उसके एमडी द्वारा दायर नवीनतम हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसमें पिछले साल नवंबर में न्यायालय को दिए गए वचन का उल्लंघन करते हुए विज्ञापन प्रसारित करने के लिए “बिना शर्त और अयोग्य माफी” मांगी गई थी। कोर्ट ने पतंजलि के सह-संस्थापक बाबा रामदेव द्वारा दायर माफी हलफनामे को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जो अवमानना कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल तय की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उत्तराखंड सरकार से उन अनगिनत निर्दोष लोगों के बारे में सवाल किया, जिन्होंने यह विश्वास करते हुए दवाएं लीं कि वे बीमारियों को ठीक कर देंगे। अदालत ने कहा कि उसे उन सभी एफएमसीजी कंपनियों की चिंता है जो उपभोक्ताओं को अच्छी तस्वीरें दिखाती हैं और फिर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि वह हरिद्वार स्थित पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामले में उसे छूट नहीं देगी। अदालत ने कहा कि सभी शिकायतें सरकार को भेज दी गईं। लाइसेंसिंग निरीक्षक चुप रहे, अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं है। संबंधित अधिकारियों को अभी निलंबित किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि 2018 से अब तक जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी के रूप में पद संभालने वाले सभी अधिकारी अपने द्वारा की गई कार्रवाई पर जवाब दाखिल करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि बड़े पैमाने पर समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि अदालत के आदेश का उल्लंघन न किया जाए। अदालत ने कहा कि अदालत में उनके (रामदेव और आचार्य बालकृष्ण) गलत पकड़े जाने के बाद माफी केवल कागजों पर है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने एक विस्तृत हलफनामा दायर कर आपत्तिजनक विज्ञापनों के संबंध में की गई कार्रवाई को समझाने की कोशिश की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पहले के हलफनामे वापस ले लिए गए हैं और अपनी ओर से हुई गलतियों के लिए बिना शर्त और अयोग्य माफी मांगते हुए नए हलफनामे दाखिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे सार्वजनिक माफ़ी मांग सकते हैं। कल, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया और पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में बिना शर्त माफी मांगी और कहा कि वे हमेशा कानून और न्याय की महिमा को बनाए रखने का वचन देते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में, बाबा रामदेव ने कहा कि मैं बयान के उपरोक्त उल्लंघन के लिए क्षमा चाहता हूं। मैं हमेशा कानून की महिमा और न्याय की महिमा को बनाए रखने का वचन देता हूं। बाबा रामदेव ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उन्हें इस चूक पर गहरा अफसोस है और वह आश्वस्त करना चाहते हैं कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि कथन का अक्षरश: अनुपालन किया जाएगा और इस तरह के कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किए जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि वह विज्ञापन के मुद्दे के संबंध में बिना शर्त और अयोग्य माफी मांगते हैं। इससे पहले 2 अप्रैल को बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील बलबीर ने कहा कि भविष्य में ऐसी कोई गलती नहीं होगी। पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर कहा था कि सर्वोच्च अदालत ही नहीं, देश की किसी भी अदालत का आदेश हो, उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने पतंजलि की माफी को स्वीकार नहीं किया था। अदालत ने कहा कि आपने क्या किया है, उसका आपको अंदाजा नहीं है। हम अवमानना की कार्यवाही करेंगे। इस मामले की 10 अप्रैल को दोबारा सुनवाई होगी। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले भी अदालत ने उन दोनों द्वारा मांगी गई माफी पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि उन्होंने शीर्ष अदालत को दिए गए वचनों का उल्लंघन किया है। इसलिए अदालत इसे गंभीरता से ले रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को तलब किया था।न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आयुर्वेदिक कंपनी पतंजिल ने भ्रामक विज्ञापनों के लगातार प्रकाशन पर जारी अवमानना नोटिस का जवाब नहीं दिया। पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत के समक्ष दिए गए आश्वासन का उल्लंघन करने पर 27 फरवरी को पीठ ने आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी। पीठ में न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह भी शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पतंजलि ने पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पाद की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला कोई बयान नहीं देगा या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगा और किसी भी रूप में मीडिया में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था, पहले जो हुआ उसके लिए आप क्या कहेंगे? बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने गंभीर मसलों का मजाक बना रखा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
योग गुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ कोविड-19 के एलोपैथिक उपचार के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में केस दर्ज है। एक वीडियो में बाबा रामदेव ने कहा था किऑक्सीजन या बेड की कमी से ज्यादा लोग एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से मरे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आईएमए का आरोप
आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट ने ऐसे विज्ञापन न दिखाने का दिया था आदेश
आरोप हैं कि बाबा रामदेव ने कोविड-19 वैक्सीनेशन और आधुनिक चिकित्सा को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया। इसी मामले में कोर्ट ने फटकार लगाई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापन पर टंपरेरी रोक भी लगाई थी। साथ ही हर ऐसे विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात भी कही थी। कोर्ट ने भविष्य में इस तरह के विज्ञापन न दिखाने का आदेश दिया था।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।