सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मांगी माफी, जानिए पूरा मामला
योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में गिड़गिड़ाते नजर आए। उन्होंने अपने उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली कंपनी के विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। अदालत में दायर दो अलग-अलग हलफनामों में, रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए भी माफी मांगी है। कोर्ट में दिए अपने एफिडेविट में रामदेव ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद को उसके पहले के माफीनामे वाले हलफनामे पर फटकार लगाई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छह अप्रैल को कोर्ट में दिए एफिडेविट में उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह के विज्ञापन नहीं दिखाएंगे। साथ ही रामदेव ने बीते साल नवंबर में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस मामले में भी माफी मांगी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि कोर्ट उनके खिलाफ सख्त आदेश देती है। गौरतलब है कि 21 नवंबर, 2023 के आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उसे आश्वासन दिया था कि अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा, विशेष रूप से पतंजलि द्वारा निर्मित किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित और इसके अलावा, औषधीय को लेकर दावा करने वाला या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई भी बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आश्वासन का पालन न करने और उसके बाद के मीडिया बयानों ने शीर्ष अदालत को नाराज कर दिया, जिसने बाद में उन्हें कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में, रामदेव ने कहा कि मैं विज्ञापनों के मुद्दे के संबंध में बिना शर्त माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा, मुझे इस गलती पर अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि आदेश का अनुपालन किया जाएगा और इस तरह का कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आईएमए का आरोप
आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट ने ऐसे विज्ञापन न दिखाने का दिया था आदेश
आरोप हैं कि बाबा रामदेव ने कोविड-19 वैक्सीनेशन और आधुनिक चिकित्सा को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया। इसी मामले में कोर्ट ने फटकार लगाई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापन पर टंपरेरी रोक भी लगाई थी। साथ ही हर ऐसे विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात भी कही थी। कोर्ट ने भविष्य में इस तरह के विज्ञापन न दिखाने का आदेश दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था, पहले जो हुआ उसके लिए आप क्या कहेंगे? बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने गंभीर मसलों का मजाक बना रखा है।
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