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November 8, 2024

एम्स में मरीज को बेहोश किए बगैर की गई अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी, स्नेल क्लीनिकल न्यूरोएनाटॉमी पुस्तक का विमोचन

अ​खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने छाती में ट्यूमर की समस्या से जूझ रहे एक मरीज को बिना बेहोश किए उसकी सफल अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी करने में विशेष सफलता प्राप्त की है।

अ​खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने छाती में ट्यूमर की समस्या से जूझ रहे एक मरीज को बिना बेहोश किए उसकी सफल अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी करने में विशेष सफलता प्राप्त की है। चिकित्सा क्षेत्र में उत्तर भारत का यह पहला मामला है, जिसमें मरीज को बिना बेहोश किए यह बेहद जटिल सर्जरी की गई। इस मरीज का उपचार आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया। इलाज के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद स्थित चिन्यालीसौड़ निवासी 30 एक वर्षीय व्यक्ति पिछले लंबे अरसे से छाती में भारीपन और असहनीय दर्द की समस्या से जूझ रहा था। लगभग 3 महीने पहले परीक्षण कराने पर पता चला कि उसकी छाती में हृदय के ऊपर एक ट्यूमर बन चुका है। इलाज के लिए वह पहले राज्य के विभिन्न अस्पतालों में गया, लेकिन मामला जटिल होने के कारण अधिकांश अस्पतालों ने उसका इलाज करने में असमर्थता जाहिर कर दी। इसके बाद अपने उपचार के लिए मरीज एम्स ऋषिकेश पहुंचा। यहां विभिन्न जांचों के बाद एम्स के कार्डियो थोरेसिक व वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के वरिष्ठ सर्जन डा. अंशुमन दरबारी जी ने पाया कि मरीज की छाती के भीतर व हार्ट के ऊपर थाइमिक ग्रंथी में संभवत: एक थायमोमा में एक ट्यूमर बन चुका है और उसका आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
इस बाबत सीटीवीएस विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ सर्जन डा. अंशुमन दरबारी ने बताया कि यदि मरीज का समय रहते इलाज नहीं किया जाता तो हार्ट के ऊपर बना ट्यूमर बाद में कैंसर का गंभीररूप ले सकता था। उन्होंने बताया कि आसपास के महत्वपूर्ण अंगों के कारण छाती के भीतर ट्यूमर में सामान्यत: बायोप्सी करना संभव नहीं होता है इसलिए मरीज की बीमारी के निराकरण के लिए रोगी की सहमति के बाद उसकी अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी करने का निर्णय लिया गया।
अत्याधुनिक तकनीक की बेहद जोखिम वाली इस सर्जरी में मरीज की छाती की हड्डी को काटकर मरीज को बिना बेहोश किए उसके हार्ट के ऊपर बना 10 × 7 सेंटीमीटर आकार का ट्यूमर पूर्णरूप से निकाल दिया गया। उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में लगभग 2 घंटे का समय लगा और 4 दिन तक मरीज को अस्पताल में रखने के बाद अब उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। सर्जरी करने वाली विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम में डॉ. अंशुमन दरबारी जी के अलावा सीटीवीएस विभाग के डॉ. राहुल शर्मा और एनेस्थेसिया विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजय कुमारशामिल थे।
एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी ने इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले चिकित्सकों के कार्य की सराहना की है। उन्होंने बताया कि मरीजों के बेहतर उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम 24 घंटे तत्परता से कार्य कर रही है।
क्या है अवेक कार्डियो सर्जरी
सीटीवीएस विभाग के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. दरबारी ने बताया कि अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी की शुरुआत वर्ष- 2010 में अमेरिका में हुई थी। भारत में यह सुविधा अभी केवल चुनिंदा बड़े अस्पतालों में ही उपलब्ध है। इस तकनीक द्वारा मरीज की रीढ़ की हड्डी में विशेष तकनीक से इंजेक्शन लगाया जाता है। इससे उसकी गर्दन और छाती का भाग सुन्न हो जाता है। पूरी तरह से दर्द रहित होने के बाद छाती की सर्जरी की जाती है। खासबात यह है कि सर्जरी की संपूर्ण प्रक्रिया तक मरीज पूरी तरह होश में रहता है। यहां तक कि सर्जरी के दौरान मरीज से बातचीत भी की जा सकती है। सामान्यतौर पर सर्जरी प्रक्रिया के दौरान मरीज को बेहोशी दवाओं का दुष्प्रभाव हो सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह बेहोशी दवाओं के दुष्प्रभाव से भी बच जाता है। इस तकनीक से मरीज को वेन्टिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता भी नहीं होती है। साथ ही तकनीक में मरीज की रिकवरी बहुत ही सहज और तेज हो जाती है।

स्नेल क्लीनिकल न्यूरोएनाटॉमी पुस्तक का विमोचन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर अरविन्द राजवंशी ने स्नेल के क्लिनिकल न्यूरोएनाटॉमी के पहले दक्षिण एशियाई संस्करण की पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह एम्स ऋषिकेश के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्तर पर पढ़ी जाने वाली पुस्तक का संपादन एम्स ऋषिकेश की फैकल्टी द्वारा किया गया है।
संस्थान में आयोजित एक सादे कार्यक्रम के दौरान एनाटॉमी विभाग की फैकल्टी एडिशल प्रोफेसर डॉ. कुमार सतीश रवि द्वारा लिखी गई पुस्तक स्नेल क्लीनिकल न्यूरोएनाटॉमी का संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राजवंशी द्वारा विमोचन किया गया। विश्व स्तर पर पढ़ी जाने वाली इस पुस्तक लिए उन्होंने लेखक डॉ. कुमार सतीश रवि के प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी। निदेशक ने प्रसन्नता व्यक्त की कि डॉ. रवि नेशनल जर्नल ऑफ क्लिनिकल एनाटॉमी के प्रधान संपादक के रूप में भी कार्य करते हैं।
विमोचन कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर राजवंशी ने कहा कि यह पहला दक्षिण एशियाई संस्करण न केवल मेडिकल छात्रों को बल्कि शरीर रचनाविदों, न्यूरोएनाटोमिस्ट, न्यूरोसाइंटिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रहे समर्पित शिक्षाविदों के लिए भी विशेष लाभकारी साबित होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित सभी छात्र और विशेषज्ञ भी इस पुस्तक के अध्ययन से लाभ ले सकेंगे।
इस अवसर पर एनाटॉमी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर और पुस्तक के लेखक डॉ. कुमार सतीश रवि जी ने बताया कि पुस्तक का यह संस्करण भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा निर्धारित योग्यता आधारित चिकित्सा पाठ्यक्रम के अनुसार अपने संपूर्ण संशोधन द्वारा मूलरूप से लिखे गए अध्यायों के सार को बनाए रखता है। उन्होंने बताया कि देश के प्रख्यात न्यूरो सर्जन प्रोफेसर राजकुमार, एचओडी न्यूरोसर्जरी विभाग संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, यूपीयूएमएस सैफई लखनऊ के पूर्व कुलपति और एम्स ऋषिकेश के पूर्व निदेशक द्वारा पुस्तक की सराहना की गई है। कार्यक्रम के दौरान एचओडी न्यूरोलॉजी विभाग तंत्रिका विज्ञान केन्द्र नई दिल्ली की प्रोफेसर एम.वी. पद्मा श्रीवास्तव ने भी इस पुस्तक को बहुलाभकारी संकलन बताया। डॉ. पद्मा ने कहा कि सक्रिय प्रकाशक और प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ. रवि ने न्यूरोएनाटॉमी की समझ में हाल की सभी प्रगतियों को ध्यान में रखते हुए अपने पिछले संस्करण को बड़ी मेहनत से संशोधित किया है।
इस अवसर पर न्यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. मृत्युंजय ने न्यूरोएनाटॉमी के बाइबिल के संपादन पर डॉ. रवि को बधाई दी। कार्यक्रम के दौरान प्रो. शैलेन्द्र हांडू, प्रो. सत्यश्री, डा. मनु मल्होत्रा, डॉ. सुनीता, डॉ. प्रशांत दुर्गापाल, डॉ. बिश्वजीत, डॉ. भारत भूषण आदि मौजूद थे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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