अष्टमी आज, जानिए अष्टमी और नवमी में कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, ऐसे करें पूजन
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौं रूपों की पूजा होती है। धार्मिक मान्यतानुसार नवरात्रि की समाप्ति पर भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्यापूजन करते हैं। इन दिनों में घर में छोटी बालिकाएं बुलाई जाती हैं। उन्हें प्रसाद परोसा जाता है। टीका आदि करके उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि बालिकाएं साक्षात मां दुर्गा का रूप होती हैं। इसीलिए अष्टमी या नवमी तिथि पर घर में नौ कन्याएं बुलाई जाती हैं। साथ ही, अष्टमी तिथि पर महागौरी और नवमी तिथि पर मान्यतानुसार मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कन्यापूजन का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि की अष्टमी तिथि 29 मार्च के दिन है। इस दिन अमृत चौघड़िया में कन्यापूजन किया जा सकता है। अमृत चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6 बजकर 37 मिनट से सुबह 8 बजकर 9 मिनट तक है। इस समयावधि में कन्यापूजन किया जाना बेहद उत्तम माना जाता है। इसके पश्चात सुबह 11 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भी कन्यापूजन किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
30 मार्च, नवमी तिथि पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 46 मिनट तक बताया जा रहा है। इसके बाद सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक भी कन्यापूजन किया जा सकता है। हालांकि, अष्टमी और नवमी तिथि पर इन शुभ मुहूर्त के अलावा भी पूरे दिन कभी भी कन्यापूजन कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कन्यापूजन की विधि
अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्यापूजन करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। यदि भक्त व्रत रख रहे हैं तो वे व्रत का संकल्प लेते हैं।
अब घर में रोज की ही तरह पूजा की जाती है और देवी मां को भोग लगाया जाता है।
इसके बाद घर में कन्याएं बुलाई जाती हैं।
कन्याओं के पैर धुलवाए जाते हैं और चटाई बिछाकर उन्हें बिठाते हैं।
हाथ में कलावा बांधा जाता है और माथे पर तिलक लगाते हैं।
प्रसाद में हलवा, चना, पूरी, नारियल और बताशे आदि परोसतें हैं।
कन्याओं को साथ ही कोई उपहार, श्रृंगार की वस्तु, एक रुपए या श्रृद्धा से कोई भी राशि दी जाती है।
इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है और उन्हें घर भेजते हैं।
इस दिन गाय को पूड़ी खिलाना भी बेहद शुभ माना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामनवमी पूजा विधि
रामनवमी के दिन मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस साल रामनवी के दिन एक साथ 4 शुभ योग- सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। इन शुभ योगों किए गए पूजा का विशेष महत्व है। सुबह स्नान करने के बाद घर मंदिर में घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान श्रीराम की प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पित करें। साथ ही श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें और इन्हें सात्विक भोजन का भोग लगाएं। ऐसी मान्यता है कि लोग भगवान राम का जन्मोत्सव जितनी खुशियों और धूमधाम से मनाते हैं, उनके जीवन में उतनी ही खुशियां आती हैं।
नोटः यहां दी गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। लोकसाक्ष्य इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।