अशोक आनन की कविता- वादों के सौदागर
वादों के सौदागर
वादों के सौदागर आएंगे।
फ़िर वादों से वे भरमाएंगे।
चुग्गे डाल वे तुम्हारे आगे
फ़िर जाल में तुम्हें फंसाएंगे।
कभी रुलाएंगे दो – दो आंसू
कभी तुम्हें वे खिलखिलाएंगे।
आज जो भरपेट खाना देंगे
कल भूख़ से वे तड़पड़ाएंगे। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
दुर्गंध जिन्हें आती थी कभी
अभी वे तुम्हें गले लगाएंगे।
अभी तो याद आओगे रोज़
फ़िर तुम्हें वे बिसार जाएंगे।
आज हो उनकी आंखों के तारे
कल आंखों की किरच बताएंगे।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।