अशोक आनन की कविता- मैं ही मैं, मैं ही मैं

मैं ही मैं, मैं ही मैं
सुबह – शाम, मैं ही मैं।
मैं ही मैं, मैं ही मैं।
जब भी टीवी खोलो।
हर चैनल पर गूंजे
मैं ही मैं, मैं ही मैं !
तमाम रात दिखे है।
अब तो इन सपनों में
मैं ही मैं, मैं ही मैं !
डर का भी मुंह खुले न।
मन ही मन रटता है
मैं ही मैं ! मैं ही मैं ! (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पिण्ड छूटे न।
सभी के पीछे पड़ा
मैं ही मैं ! मैं ही मैं !
ज़मीं से आसमां तक।
हवा – सा मौज़ूद है
मैं ही मैं ! मैं ही मैं !
शब्द कोश में अब तो।
शब्द एक ही दिखे है
मैं ही मैं ! मैं ही मैं!
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।