12 सूत्रीय मांगों को लेकर आशाओं का आंदोलन जारी, कहा-कुमाऊं में धरना स्थगित हुआ, आंदोलन समाप्त नहीं
विभिन्न मांगों को लेकर आशाओं का कार्य बहिष्कार के साथ ही धरना प्रदर्शन जारी है। एक बार फिर से आशाओं ने शासन और प्रशासन से दोहराया कि उनकी मांगों का शीघ्र निस्तारण किया जाए।
उत्तराखंड में आशाएं 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्यबहिष्कार कर वे सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरना दे रही हैं। बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं होने के कारण आंदोलन जारी है।
इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। फिर भी उनके संबंध में जीओ जारी न होने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। शुक्रवार 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था। उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे का कहना है कि शासन से बनी सहमति के आधार पर उनकी अन्य मांगों के संबंध में भी जल्द शासनादेश जारी किए जाएं। तभी आंदोलन समाप्त किया जाएगा।
देहरादून में सीटू से संबद्ध उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कर्मचारी यूनियन की प्रतिनिधियों ने धरनास्थल से चेतावनी दी कि यदि जल्द उनकी मांगों का निराकरण नहीं होता तो आंदोलन तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 12 अगस्त को खटीमा में प्रदर्शन के दौरान मिले आश्वासन पर एक्टू से संबद्ध आशा वर्कर को मुख्यमंत्री ने 20 दिन में सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया। इस पर कुमाऊं मंडल की कुछ आशा वर्कर धरना स्थगित करके काम पर लौट गई थी। अभी आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है। जब तक हमको शासनादेश नहीं मिल जाता तब तक धरना प्रदर्शन व आंदोलन जारी रहेगा।
ये रहे धरने में शामिल
आशा वर्कर्स यूनियन की प्रान्तीय अध्यक्ष शिवा दुबे, अनीता अग्रवाल, मनप्रीत, नीरू जैन, प्रमिला, लाना, सच्ची तिवारी, भूपेंद्र कौर, प्रमिला राणा, कल्पेश्वरी, ममता बलूनी, सोनी, मधुबाला, कुसुम, सुनीता पाल, सीमा थापा, कल्पना, बबीता शर्मा, मुन्नी देवी, चमन शर्मा, कमला रौथान, रीता देवी, हाजरा खातून, प्रमिला, कविता, संगीता पाल, आशा राणा, राजकुमारी, राखी पाल, सुषमा पाल, अनीता अग्रवाल, नीरू जैन, रजनी पवार, सचिन गुप्ता, राधा गुप्ता, मधु गर्ग, कविता धीमान, लक्ष्मी, पूजा शर्मा, पूनम पाल, गीता, बबीता, मनोरमा सोमेश्वरी, संगीता कोठारी, रजनी यादव, आरती बरमोला, अनारी भंडारी, रोशनी देवी, फराह, गायत्री देवी आदि।
ये हैं मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
शासन से वार्ता में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।