कैबिनेट के फैसले को आशा वर्कर्स ने बताया धोखा, काली पट्टी बांधकर जताएंगी विरोध, आंगनवाड़ी व भोजन माताओं में भी रोष
मंगलवार 12 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड की आशा वर्कर्स, भोजन माताओं और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को सरकार से समझौते और प्रस्ताव के अनुरूप मानदेय बढ़ाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इससे ये स्वयंसेविकाएं खुद को ठगा महसूस कर रही हैं।
धामी सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं को दिया धोखा
सीटू से संबद्ध उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दुबे ने कैबिनेट के फैसले से नाराज होकर आशा कार्यकर्ताओं के साथ सरकार पर लगाया धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान महंगाई को देखते हुए मानदेय में बढ़ोतरी की उम्माीद सरकार से की जा रही थी। कैबिनेट की बैठक में आशाओं को केवल 1000 रुपये मानदेय और 500 प्रोत्साहन राशि बढ़ाने से उनमें निराशा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में महंगाई को देखते हुए डेढ़ हजार रुपया तो कुछ भी नहीं है, बहुत ही कम है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य महानिदेशकतथा सचिव की सहमति से बने 4000 हजार रुपये मानदेय में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर कैबिनेट की बैठक में विचार तक नहीं किया गया। उम्मीद थी कि आशा वर्कर को 4000 रुपये प्रतिमाह बढ़कर कुल 11000 रुपये महीने में मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर 13 अक्टूबर से काम तो करेंगी, लेकिन बांह में काली पट्टी बांधकर विरोध भी जताएंगी। साथ ही आगामी चुनाव में भाजपा सरकार को इसका जवाब भी देंगी।
आंगनवाड़ी और भोजन माताओं में भी निराशा
आंगनवाड़ी और भोजनमाताओं का कहना है कि कैबिनेट की ओर से आंगनवाड़ी , भोजन माताओं का मानदेय व्रद्धि नही करने और आशाओं का मानदेय सिर्फ 1500 रु बढ़ाने उन्हें झुनझुना है। सीटू से सम्बद्ध आंगनवाड़ी कार्यकत्री एवं सेविका कर्मचारी यूनियन की प्रान्तीय कार्यकारी अध्यक्ष जानकी चौहान ने कहा कि केबिनेट में आंगनवाड़ी का मानदेय में वृद्धि न करना उनके साथ धौखा किया है। उन्होंने आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। इसके तहत सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार तक किया जाएगा।
इसी प्रकार सीटू से संबद्ध उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन ने कैबिनेट की बैठक में 5000 रु मानदेय के प्रस्ताव पर चर्चा तक नही होने पर कड़ी निंदा की। साथ ही यूनियन की महामंत्री मोनिका ने आंदोलन तेज करने की धमकी दी है। सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने सरकार को मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि स्किम वर्करों को अब सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करना होगा।
आशाओं के आंदोलन पर एक नजर
उत्तराखंड में 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्य बहिष्कार कर गढ़वाल मंडल के सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरने का लंबा कार्याक्रम चलाया गया। सीटू से संबंद्ध आशा वर्कर्स यूनियन की बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं किया गया। इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। इसके बाद 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था। 21 अगस्त को सचिवालय समक्ष धरना दिया गया। इस दिन भी आशाओं के प्रतिनिधिमंडल को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता के लिए बुलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों के संबंध में 24 सितंबर को कैबिनेट की मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा। इस आश्वासन पर आशाएं वापस लौटीं। इसके बाद 24 सितंबर को भी ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय आह्वान पर सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया।
29 सितंबर को यूनियन ने सचिवालय कूच किया और वहीं धरने पर बैठ गईं। मांग की गई कि मानदेय वृद्धि के संबंध में शासनादेश जल्द जारी किया जाए। देर रात करीब सवा दस बजे आशाओं को फिर स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता को बुलाया और उन्होंने लिखित में आश्वासन दिया कि आशा वर्कर्स का जो प्रस्ताव है, उसे आगामी कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इस पर आशाएं मानी। साथ ही उन्होंने समस्त कार्य बहिष्कार और स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया।
आशा वर्कर्स की मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
पूर्व में शासन से वार्ता में आशाओं के संबंध में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।
आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की मांगे
1- आंगनवाड़ी /हेल्पर को कर्मचारी घोषित करने तथा कार्यकत्री को ग्रेड 3 तथा हेल्पर को ग्रेड 4 का दर्जा दिया जाए।
2- आंगनवाड़ी कार्यकत्री को 21000 रूपये, हैल्पर को 18000 रूपये दिया जाए।
3-मिनी आंगनवाड़ी को समान कार्य का समान वेतन दिया जाए।
4-आंगनवाड़ी कार्यकत्री/सेविकाओं को 100 प्रतिशत पदोन्नति मिले तथा आयु सीमा हटायी जाए।
5- महाराष्ट्र की तरह ईएसआई /ग्रेज्युटी दी जाए।
6-आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री प्राईमरी घोषित किया जाए।
7-सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
8-आंगनवाडियों की बेटियों को नन्दादेवी /गौरादेवी योजनाओं का लाभ दिया जाए।
9-कटा हुआ अशंदान का भुगतान दिया जाए।
10-पोषण ट्रेकर ऐप से सूचनाएं एवम डेटा लीकेज हो रहा है। इसलिए इस ऐप को बन्द किया जाए।
भोजनमाताओं की मांगे
-19 जुलाई 2021 को शिक्षा मंत्री की ओर से भोजन माताओं के मानदेय को 5000 रुपये करने की घोषणा का शासनादेश जारी किया जाए।
-भोजन माताओं की न्यूनतम वेतन, समाजिक सुरक्षा की मांग को पूरा किया जाए।
-न्यूनतम वेतन 18000 रुपये किया जाए।
-प्रदेश में विद्यालयों को बंद करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
-मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण बंद किया जाए। इसे एनजीओ को नही दिया जाए।
-भोजन माताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य न लिया जाए।
-भोजन माताओं को न निकाला जाया तथा निकाली गई भोजन माताओं को कार्य पर वापस रखा जाए।
-भोजन माताओं को 45 व 46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशो के अनुसार मजदूर/ कामगार घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं को सेवानिवृती पर ग्रजूवटी व पेंशन दी जाए।
-भोजन माताओं के बोनस का भुगतान अविलंब किया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।