उत्तराखंड में आशा वर्कर्स का धरना जारी, 20 सितंबर के बाद से सचिवालय के समक्ष बेमियादी धरने की चेतावनी
उत्तराखंड में 12 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन से संबंधित समस्त आशा वर्कर का कार्य बहिष्कार जारी है। आशा वर्कर्स ने मांगों का शीघ्र निराकरण न होने की स्थिति में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में आशाएं 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्यबहिष्कार कर वे सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरना दे रही हैं। बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं होने के कारण आंदोलन जारी है।
इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। फिर भी उनके संबंध में जीओ जारी न होने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। आशाओं के मुताबिक बाद 12 अगस्त को सीटू से संबंधित आशा वर्कर के साथ महानिदेशक तथा मिशन डायरेक्टर के साथ दोबारा वार्ता हुई थी। इसमें 4000 रुपये प्रतिमाह बढ़ोतरी का प्रस्ताव बनाया गया। महानिदेशक ने वह प्रस्ताव 13 अगस्त को शासन को भेजा गया। 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था।
खटीमा कैंप कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री से आशाओं की वार्ता हुई। इसमें मुख्यमंत्री ने 20 दिन का समय कार्यवाही के लिए मांगा। इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई। आज भी 15 सितंबर को भी सीएमओ कार्यालय देहरादून, सहसपुर, ब्लॉक रायपुर, ब्लॉक प्रेम नगर हॉस्पिटल, कालसी चकराता आदि सभी जगह पूरे गढ़वाल मंडल में आशा वर्कर धरने पर बैठीं। उन्होंने कहा कि शासन से वार्ता के बावजूद कई बार कैबिनेट की बैठक हुई और विधानसभा सत्र भी चला। इस दौरान एक बार भी आशा वर्कर्स के बारे में चर्चा नहीं हुई। हर बार वार्ता के दौरान सीएम का एक ही जवाब होता है कि चर्चा चल रही है बात चल रही है।
उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे का कहना है कि शासन से बनी सहमति के आधार पर उनकी अन्य मांगों के संबंध में भी जल्द शासनादेश जारी किए जाएं। तभी आंदोलन समाप्त किया जाएगा। वहीं, खटीमा में समस्याओं का बीस दिन में समाधान करने का सीएम के आश्वासन पर कुमाऊं में कुछ स्थानों पर आशाओं ने आंदोलन स्थगित कर दिया था। अभी आंदोलन खत्म नहीं किया है। अब सभी आशा वर्कर ने यह फैसला किया है कि 20 सितंबर तक यदि शासनादेश जारी नहीं किया गया तो आशा वर्कर आंदोलन तेज करेंगी। इसके तहत जगह-जगह धरना प्रदर्शन न करने के बजाय सीधे सचिवालय के गेट पर ही बेमियादी धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।
ये बैठीं धरने पर
बुधवार 15 सितंबर को धरने पर बैठने वालों में आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे, कलावती चंदोला, सुनीता चौहान, नीरा कंडारी, धर्मिष्ठा भट्ट, आशा चौधरी, मीणा जखमोला, लोकेश देवी, गीता, सरोज बाला, सरिता नौटियाल, सीमा, नीलम, किरण, रोशनी राणा, बबीता शर्मा, नीरज, सुनीता पाल, पूजा शर्मा, पिंकी सोलंकी, चन्देश्वरी सकलानी, कल्पेशवरी, गीता, सुनीता, हंशी नेगी, बबीता राणा, किरण जगवाण, साक्षी, सुनीता सेमवाल, प्रमिला राणा, सुशीला जोशी, निर्मला जोशी, अनिता अग्रवाल, मधु गर्ग, नीरू जैन, पुष्पा खण्डूरी, रीना जायसवाल के साथ ही काफी संख्या में आशाऐं मौजूद थीं।
ये हैं मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
शासन से वार्ता में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।