भारत में पांच साल से लेकर 17 साल वालों की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी
केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) को दो से 17 साल की उम्र वालों पर ‘कोवोवैक्स’ टीके के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिए कुछ शर्तों के साथ अनुमति देने की मंगलवार को सिफारिश की।
यह वैक्सीन हैदराबाद स्थित बायोलाजिकल ई लिमिटेड ने बनाई है। इस वैक्सीन का ट्रायल देशभर में 10 जगहों पर किया जाएगा। कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) की ओर से मिले सुझावों के बाद DCGI की ओर से वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति दी गई है। वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल का मकसद बच्चों और किशोरों में इसकी सुरक्षा और असर के साथ यह पता लगाना है कि डोज लगने के बाद यह कितनी मात्रा में एंटीबाडी विकसित करता है।
अब तक DCGI की ओर से देश में विकसित किए गए जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCoV-D) के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी प्रदान की गई है। यह देश में 12 से 18 वर्ष की आयु के लोगों के लिए उपलब्ध होने वाला यह पहला कोरोना वैक्सीन बन गया है। इस बीच, भारत बायोटेक की ओर से दो से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लिए विकसित किए जा रहे वैक्सीन के दूसरे/तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षणों के आंकड़ों पर अभी विचार किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 2 साल से 18 साल के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) का ट्रायल अभी जारी है। जुलाई में भारत के ड्रग रेगुलेटर ने सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (SII) को कुछ शर्तों के साथ 2 से 17 साल के आयुवर्ग के लिए ट्रायल की अनुमति दी थी। जून में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से किए गए बायोलाजिकल ई दिसंबर तक कोर्बवैक्स की 30 करोड़ डोज केंद्र सरकार को सप्लाई करेगा।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।