देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन का ऐलान, कैबिनेट मंत्रियों का घेरेंगे आवास, होगा सचिवालय कूच
देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने सिलसिलेवार आंदोलन की रणनीति बनाई है। तय किया गया है कि कल देहरादून में कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया जाएगा।
इस संबंध में सोमवार को गांधी रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में चारधाम तीर्थ पुरोहित एवं हक हकूकधारी महापंचायत की बैठक हुई। इसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहित महासभा, पंचायतों एवं मंदिर समितियों के पदाधिकारी शामिल हुए। पत्रकार वार्ता में महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने कहा कि लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग उठाई जा रही है, लेकिन सरकार कार्रवाई के बजाय सिर्फ आश्वासन दे रही है। जिस कारण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है।
इसी क्रम में मंगलवार सुबह नौ बजे यमुना कालोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट में श्राइन बोर्ड का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसे दो साल पूरे होने जा रहे हैं। इस प्रस्ताव का विरोध और इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हुए 27 को गांधी पार्क से सचिवालय के लिए आक्रोश रैली निकाली जाएगी। इसके बाद यदि 30 नवंबर को सरकार की ओर से मांग पूरी नहीं की गई तो एक दिसंबर से चारों धाम के पूजा स्थलों के साथ ही देहरादून गांधी पार्क के बाहर क्रमिक अनशन शुरू होगा।
महापंचायत के प्रवक्ता डा. बृजेश सती ने बताया कि जब तक देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होता तब तक तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी रहेगा। बैठक में चारधाम महापंचायत के संरक्षक राजीव सेमवाल, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव लखन उनियाल, गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल आदि शामिल हुए।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरा है। ऐसे में यदि रिपोर्ट पर बवाल होता है तो दिक्कत हो सकती है। इससे ऐन पहले अब नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है।
हाल ही में सरकार ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय समिति देवस्थानम विधेयक में उत्तराखंड शासन की ओर से उत्तराखंड के चारधामों से नौ तीर्थपुरोहितों, हक हकूकधारियों, विद्वतजनों और जाधकारों को नामित कर दिया गया है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन की ओर से शासनादेश जारी किया गया था। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी शासनादेश में चारों धामों से नौ सदस्य नामित किए गए हैं।
इसके तहत श्री बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री एडवोकेट ( ऋषिकेश), रवीन्द्र पुजारी एडवोकेट (कर्णप्रयाग- चमोली), केदारनाथ से विनोद शुक्ला, लक्ष्मी नारायण जुगडान, गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल, रवीन्द्र सेमवाल, यमुनोत्री धाम से पुरुषोत्तम उनियाल, राजस्वरूप उनियाल नामित हुए है।
शासनादेश में कहा गया है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानय प्रबंधन बोर्ड के समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के उपरांत संस्तुति के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति में उपरोक्त सदस्यों को नामित किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।