यूपी में लॉकडाउन समाप्त, उत्तराखंड में जन आशीर्वाद यात्रा, विपक्ष की भीड़, फिर चार धाम यात्रा ने क्या बिगाड़ा
एक किस्म से देखा जाए तो जैसे जैसे यूपी, उत्तराखंड सहित कुछ राज्यों में चुनाव निकट आ रहे हैं, कोरोना का खतरा भी इन राज्यों में भाग रहा है। यूपी में कोविड की बेहतर होती स्थिति के दृष्टिगत रविवार की साप्ताहिक बंदी खत्म कर दी गई है। अब से सभी बाजार रविवार को भी खुलेंगे। सीएम योगी ने कहा कि इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिया जाए। कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कराया जाए। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करें। यूपी की नकल उत्तराखंड को भी करनी है। ऐसे में यहां भी ठीक इसी प्रकार की संभावनाएं नजर आ रही हैं। वैसे भी उत्तराखंड में सब कुछ खुला है। सिर्फ बंद है तो चारधाम यात्रा। जिसे लेकर सरकार भी संजीदा नजर नहीं आ रही है। क्योंकि सरकार तो अब चुनावी मोड में आ गई है। ऐसे में किसी फुर्सत की चार धाम यात्रा खोलने की पैरवी की जाए।
उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति
उत्तराखंड में गुरुवार 19 अगस्त की शाम को स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना के 33 नए संक्रमित मिले। हालांकि इस अवधि में किसी की मौत नहीं हुई। उत्तराखंड में अब कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 342701 हो गई है। इनमें से 328934 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान 20 लोग स्वस्थ हुए। एक्टिव मरीजों की संख्या अब 342 हो गई है। अब तक प्रदेश में कुल 7376 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। मौत की दर 2.15 फीसद पर स्थिर है। रिकवरी 95.98 फीसद है।
उत्तराखंड में राजनीतिक दलों की स्थिति
उत्तराखंड में भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड पर आ गए हैं। भाजपा में आशीर्वाद यात्रा के जरिये भीड़ जुटाई जा रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, उक्रांद सहित अन्य दलों के लोग भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। भाजपा में बड़े नेताओं के आने और उनके स्वागत में भीड़ जुटाने का सिलसिला भी तेज हो गया है। शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दून आगमन पर भी स्वागत में अच्छी खासी भीड़ सड़कों पर थी। वहीं, दिल्ली से सीएम अरविंद केजरीवाल भी देहरादून में तीन दिन पहले रोड शो के जरिये भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। दूसरे दलों में कांग्रेस भी कई बार प्रदर्शन कर शक्ति का अहसास करा रही है। आज भी पूर्व पीएम राजीव गांधी के जन्मदिवस पर कांग्रेस मुख्यालय से लेकर जिलों में भीड़ जुटाई गई। सेवादल कार्यकर्ताओं ने भी मार्च किया।
कोरोना नियमों की स्थिति
अब कोरोना के नियमों की स्थिति देखी जाए तो न तो प्रदेश के मुखिया सीएम पुष्कर सिंह धामी कई बार भीड़ के बावजूद मास्क लगा रहे हैं और न ही भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के दूसरे नेता। वहीं, कोरोना की तीसरी लहर की आशंका स्वास्थ्य विशेषज्ञ जता चुके हैं। देश में कोरोना के दैनिक संक्रमितों के आंकड़े भी 40 हजार के आसपास हैं। मौत के आंकड़े भी पांच सौ से अधिक पहुंच गए हैं। उत्तराखंड में तो ऐसा लग रहा है कि जैसे कोरोना समाप्त हो चुका है। आगाह तो राजनीतिक दलों के लोग भी कर रहे हैं, सिर्फ भाषणों में। सार्वजनिक कार्यक्रमों में लोगों के साथ ही नेताओं के चेहरों से मास्क गायब हो रहे हैं। बाजारों में भीड़ उमड़ रही है। पर्यटक स्थलों में भी कोई नियंत्रण नहीं है।
ये है खतरनाक स्थिति
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अब तक देशभर में कुल 2 लाख 58 हजार 560 लोगों में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन ( टीका लेने के बाद संक्रमण) हुआ है। इसमें टीके की पहली डोज के बाद 1 लाख 71 हजार 511 और दूसरी डोज के बाद 87 हजार 49 लोगों में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन हुआ है। देश के टीकाकरण अभियान में शामिल तीनों टीकों कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामले सामने आए हैं। इन तीनों टीकों में पहली और दूसरी डोज के बाद भी ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामले सामने आए हैं। कुल टीके का 0.048 फीसद ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन अब तक रिपोर्ट हुआ है।
इस बार तो रक्षाबंधन मिलन समारोह
अभी तक तो होली मिलन और दीपावली मिलन समारोह के जरिये लोगों की भीड़ जुटाई जाती रही है। अब चुनावी साल के चक्कर में रक्षाबंधन मिलन समारोह भी आयोजित किए जाने लगे हैं। इसके जरिये भी सभी राजनीतिक दलों के लोग भीड़ जुटा रहे हैं। यदि हम पिछले अनुभवों को याद करेंगे तो मार्च माह में होली मिलन समारोह के दौरान उत्तराखंड में तेजी से कोरोना फैला था। तब पूर्व सीएम हरीश रावत सहित कई कांग्रेस के बड़े नेता, भाजपा के कई बड़े नेता सभी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे। अब पिछली बातों को भूल सभी नेता मास्क उतारकर फिर भीड़ जमा कर रहे हैं।
चारधाम यात्रा
अब सवाल ये उठता है कि जब सब कुछ खुला है, तो चारधाम यात्रा ने क्या बिगाड़ा। क्योंकि दूसरे राज्यों में भी धार्मिक आयोजनों में कोई पाबंदी नहीं है। वैष्णदेवी यात्रा भी सुचारु है। जागेश्वर धाम सहित बड़े मंदिरों में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। तो फिर चारधाम यात्रा क्यों बंद है। या फिर हाईकोर्ट के आदेश पर बंद यात्रा को खोलने के लिए सरकार पैरवी क्यों नहीं कर रही है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में एक जुलाई से उन जिलों के निवासियों को मंदिरों के दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया था जहां वे स्थित हैं। चमोली जिले के निवासियों को बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले के निवासियों को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के दर्शन की मंजूरी दी गई थी। हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच यात्रा संचालन में जोखिम से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह रोक लगाई थी। इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक रोक बढ़ा दी थी।
जुड़ा है लाखों का रोजगार
चारधाम यात्रा से सिर्फ धाम ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड का वो समूचा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है, जहां से यात्री होकर गुजरते हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, टिहरी से होते हुए उत्तरकाशी तक के रूट, ऋषिकेश से लेकर बदरीनाथ धाम तक, ऋषिकेश से लेकर केदारनाथ धाम तक, विकासनगर से उत्तरकाशी के रूट पर हजारों व्यापारिक प्रतिष्ठन हैं। इनसे लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है। ऐसे में चारधाम यात्रा बंद होने के कारण बड़ी संख्या में वे लोग बेरोजगार बैठे हैं, जो यात्राकाल के चार माह में ही साल भर परिवार चलाने के खर्चे लायक कमाई कर लेते थे।
हाईकोर्ट से निवेदन
अब तो न्यायिक संस्थाओं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी निवेदन है कि कोरोना के नाम पर जो मजाक हो रहा है, उसे संज्ञान में लिया जाए। या तो सारे आयोजन बंद करा दिए जाएं, जिनमें भीड़ जुट रही हों। चाहे वे राजनीतिक आयोजन हों या फिर सामाजिक संस्थाओं के आयोजन। यदि ऐसा नहीं होता तो चारधाम यात्रा के मसले को ही स्वतः संज्ञान में लेकर इस पर कोई फैसला करना चाहिए। क्योंकि ये बात हजम नहीं होती कि अगर सब कुछ खुला है तो चारधाम यात्रा को लेकर किस तरह का खतरा हो सकता है। क्योंकि अब तो छठी से लेकर 12वीं तक के स्कूल तक खोल दिए गए हैं। कहीं नियमों का पालन करा लिया जाए, लेकिन स्कूलों में बच्चों से नियमों का पालन कराना बेमानी होगा।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।