भारत में इस साल 119 पद्म पुरस्कारों की घोषणा, पद्मश्री पाने वालों में दो उत्तराखंड से डॉ. भूपेंद्र और प्रेमचंद शर्मा, देखें सूची

इस बार पद्म पुरस्कारों की सूची में दो नाम उत्तराखंड के भी हैं। इनमें से देहरादून के डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को मेडिसिन, देहरादून के जौनसार के प्रेमचंद शर्मा को एग्रीकलचर के क्षेत्र में पदम श्री पुरस्कार मिलेगा। राष्ट्रपति की ओर से सभी को एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
पदम पुरस्कार पाने वाले नामों की सूची आज गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जारी कर दी गई है। पद्म पुरस्कारों को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक माना जाता है। इसकी तीन श्रेणियां हैं। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री। ये पुरस्कार विभिन्न विषयों और गतिविधियों के क्षेत्रों में दिए गए हैं। कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, नागरिक सेवा आदि।
“पद्म विभूषण ‘असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। पद्म भूषण ‘उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिए और प्रतिष्ठित के लिए “पद्म श्री’ किसी भी क्षेत्र में सेवा लिए दिया जाता है। पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इन पुरस्कारों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा समारोह में प्रदान किया जाता है। इसके लिए प्रत्येक वर्ष मार्च व अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति भवन में समारोह आयोजित किया जाता है। इस साल राष्ट्रपति ने एक जोड़ी मामले सहित 119 पद्म पुरस्कारों को स्वीकार करने की मंजूरी दी है। इस सूची में 7 पद्म विभूषण शामिल हैं। 10 पद्म भूषण और 102 पद्म श्री पुरस्कार हैं। पुरस्कार पाने वालों में 29 महिलाएं भी हैं। इसमें विदेशियों की श्रेणी के 10 व्यक्ति / एनआरआई / पीआईओ / ओसीआई, 16 मरणोपरांत भी शामिल हैं।
उत्तराखंड के प्रेमचंद शर्मा के बारे में
प्रेमचंद शर्मा का जन्म देहरादून जनपद से सटे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र जौनसार-बावर के चकराता ब्लॉक के सीमांत गांव अटाल में वर्ष 1957 में एक किसान परिवार में हुआ था। महज पांचवीं कक्षा तक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने वाले प्रेमचंद को खेती-किसानी विरासत में मिली थी। वर्ष 2013 में प्रेमचंद ने देवघार खत के सैंज-तराणू और अटाल पंचायत से जुड़े करीब 200 कृषकों को एकत्र कर फल और सब्जी उत्पादक समिति का गठन किया। इसके साथ ही उन्होंने ग्राम स्तर पर कृषि सेवा केंद्र की शुरुआत कर क्षेत्र में खेती-बागवानी के विकास में अहम भूमिका निभाई। उनकी इस पहल से सीमांत क्षेत्र के सैकड़ों किसान नगदी फसलों का उत्पादन कर अपनी आर्थिकी संवारने लगे।

राजनीति में भी सक्रिय
प्रेमचंद वर्ष 1984 से 1989 तक सैंज-अटाल ग्राम पंचायत के उप प्रधान और वर्ष 1989 से 1998 तक प्रधान रहे।
कई पुरस्कारों से सम्मानित
वर्ष 2012 में उत्तराखंड सरकार की ओर से किसान भूषण, वर्ष 2014 में इंडियन एसोसिएशन ऑफ सॉयल एंड वॉटर कंजर्वेशन की तरफ से किसान सम्मान, भारतीय कृषि अनुसंधान की ओर से किसान सम्मान, वर्ष 2015 में कृषक सम्राट सम्मान, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से विशेष उपलब्धि सम्मान, वर्ष 2015 में गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से प्रगतिशील कृषि सम्मान, वर्ष 2016 में स्वदेशी जागरण मंच की तरफ से उत्तराखंड विस्मृत नायक सम्मान, वर्ष 2018 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से जगजीवन राम किसान पुरस्कार और सामाजिक संस्था धाद की तरफ से जसोदा नवानि सम्मान से वह सम्मानित हो चुके हैं।
डॉ. भूपेंद्र सिंह संजय के बारे में
दून के विश्व विख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में जाना-माना नाम हैं। सर्जरी में हासिल की गई उपलब्धियों को देखते हुए ही उनका नाम लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। वहीं, सामाजिक उपलब्धियों के लिए उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिल चुका है।

31 अगस्त 1956 में जन्मे डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय ने वर्ष 1980 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से एमबीबीएस किया था। फिर उन्होंने पीजीआइ चंडीगढ़ और सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में सेवा दी। इसके बाद वह स्वीडन, जापान, अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया में फेलोशिप के जरिये अपना हुनर तराशते रहे। उनके नाम कई रिसर्च जर्नल भी हैं। इनमें न केवल भारतीय, बल्कि कई विदेशी जर्नल भी शामिल हैं। वह अतिथि प्राध्यापक के रूप में जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, मलेशिया सहित कई देशों में व्याख्यान भी दे चुके हैं।
हड्डी का सबसे बड़ा टूयूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड
वर्ष 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज हुआ। इसके अलावा 2002, 2003, 2004 व 2009 में सर्जरी में कई अभिनव उपलब्धियों के लिए उन्हें लिम्का बुक में स्थान मिला। इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की उत्तराखंड शाखा के वह संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। वह उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में सलाहकार और एचएनबी गढ़वाल विवि की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य भी रहे। फिलहाल वह एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य हैं।
40 साल के अपने करियर में वह निश्शुल्क स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से पांच हजार से ज्यादा बच्चों को नया जीवन दे चुके हैं। उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में भी डॉ. संजय व उनकी टीम 200 से अधिक स्वास्थ्य शिविर लगा चुके हैं।
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