तीनों कृषि कानून एक बिल के जरिये होंगे रद्द, एमएसपी पर गारंटी के विकल्प पर भी विचार, पीएमओ की मंजूरी का इंतजार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद अब इसे निरस्त करने की कसरत शुरू हो गई है। केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक ही विधेयक संसद में पेश कर सकती है।

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, तीनों विवादित कृषि कानूनों को हटाने के लिए एक विधेयक तैयार किया जा रहा है और इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय की मंजूरी का इंतजार है। वहीं कृषि मंत्रालय न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर भी विचार कर रहा है, क्योंकि किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी भी मांग रहे हैं। मंत्रालय यह देख रहा है कि क्या दिशानिर्देशों या सांविधिक तौर पर यह गारंटी एमएसपी पर दी जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित नए विधेयक के तहत ऐसे प्रावधान होंगे, जो तीनों कृषि कानूनों के तहत गठित तमाम बोर्ड को भंग कर देंगे। इन बोर्ड द्वारा लिए गए सारे फैसले भी रद्द माने जाएंगे। अगर कृषि कानूनों के तहत कोई कार्यालय भी बना है तो उसका कामकाज भी खत्म माना जाएगा। कुछ राज्यों ने कृषि कानून लागू रहने के छह महीनों के दौरान इसे लागू करने के लिए कुछ कदम उठाए थे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान किया था कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा था, “सरकार इन कानूनों के फायदे किसानों के समझाने में नाकाम रही। यह वक्त किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि हम इन कृषि कानूनों को वापस लेने जा रहे हैं।
हालांकि किसान नेताओं ने कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान का स्वागत तो किया था, लेकिन इन पर संसद में मुहर लगने तक इंतजार की बात भी कही थी। साथ ही एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने जैसे कई अन्य लंबित मांगों को भी सरकार के समक्ष रखा है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के नाम पत्र भी लिखा है।
इस घोषणा के बाद भी अभी किसान संगठनों का आंदोलन समाप्त नहीं हुआ। हालांकि किसान नेताओं ने कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान का स्वागत तो किया था, लेकिन इन पर संसद में मुहर लगने तक इंतजार की बात भी कही थी। साथ ही एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने जैसे कई अन्य लंबित मांगों को भी सरकार के समक्ष रखा है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पत्र भी लिखा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर को लखनऊ में किसान महापंचायत भी आयोजित की और अपनी मांगें दोहराईं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।