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December 14, 2024

चीला पहुंचा एम्स का ट्रॉमा रथ, विशेषज्ञों ने बताए औद्योगिक दुर्घटनाओं से बचाव के तरीके, स्तन कैंसर की दी जानकारी

ट्रॉमा विशेषज्ञों ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) के पावर हााउस में कार्य करने वाले कर्मचारियों को औद्योगिक दुर्घटनाओं के दौरान बचाव के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण दिया।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश की ओर से आयोजित ट्रॉमा सप्ताह के तहत एम्स का ट्रॉमा रथ बुधवार को चीला पावर हाउस पहुंचा। यहां ट्रॉमा विशेषज्ञों ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) के पावर हााउस में कार्य करने वाले कर्मचारियों को औद्योगिक दुर्घटनाओं के दौरान बचाव के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण दिया। विशेषज्ञों ने विद्युत उत्पादन गृह चीला में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को आघात चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशेषज्ञों ने पावर हाउस में कार्य करने वाले तकनीकि और मिनिस्ट्रियल स्टाफ को टरबाइनों के संचालन के दौरान संभावित दुर्घटनाओं से बचाव के तौर तरीके बताए। मशीनों में कार्य करते समय होने वाली दुर्घटनाओं के दौरान प्राथमिक उपचार और जीवन बचाने के बारे में उन्होंने बारीकी से जानकारी दी।
प्रशिक्षण मे बताया गया कि मशीनों में कार्य करते हुए किसी तरह की दुर्घटना होने पर किस प्रकार के प्राथमिक उपचार के बाद घायल व्यक्ति को शीघ्रातिशीघ्र अस्पताल पहुंचाया जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि मशीनों में कार्य करते हुए कई बार व्यक्ति के हाथ-पैर अथवा शरीर के अन्य अंग चपेट में आ जाते हैं। इस दौरान अपनाई जाने वाली बचाव प्रक्रिया और अन्य मेडिकली सावधानियों को भी प्रशिक्षण में समझाया गया।
कार्यक्रम के दौरान नर्सिंग प्रोफेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (एनडीपीए) एम्स के नर्सिंग स्टाफ ओमप्रकाश और स्वप्ना श्रुति के नेतृत्व में मॉक ड्रिल का आयोजन भी किया गया। ड्रिल में बताया गया कि जलाशयों में व्यक्ति के डूब जाने पर उसे किस विधि अथवा तकनीक से बचाया जा सकता है।
उधर, आघात चिकित्सा के प्रति आम लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से बुधवार की सुबह 6 बजे एम्स के गेट नंबर- तीन से साईकिल रैली निकाली गई। नर्सिंग ऑफिसर प्रकाश चंद मीणा के नेतृत्व में निकली रैली को ट्रॉमा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कमर आजम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। साईकिल रैली बैराज मार्ग से होकर विभिन्न स्थानों से होकर निकली। इस ट्रॉमा जन-जागरुकता रैली का समापन ऋषिकेश बैराज में हुआ। इस अवसर पर यूजेवीएनएल के अधिशासी अभियंता ललित टम्टा, ट्रॉमा रथ के प्रभारी व ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल, डॉ. अजय कुमार, डॉ. भास्कर सरकार समेत विभाग के कई अन्य चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ मेंबर मौजूद रहे।

महिलाओं को दी स्तन कैंसर की जानकारी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कॉलेज ऑफ नर्सिंग की ओर से स्तन कैंसर जनजागरुकता माह के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों व नर्सिंग फैकल्टी द्वारा महिलाओं को स्व स्तन परीक्षण के तौर तरीके बताए और प्रतिभागियों से इसका प्रयोग भी कराया गया। साथ ही स्तन कैंसर संबंधी स्वास्थ्य शिक्षा भी दी गई।
गौरतलब है कि अक्टूबर माह को स्तन कैंसर जागरुकता माह के तौर पर मनाया जाता है। जिसके तहत बुधवार को एम्स के कॉलेज ऑफ नर्सिंग के तत्वावधान में गायनी ओपीडी में स्तन कैंसर जनजागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मरीजों व उनके तीमारदारों को विशेषज्ञों ने स्तन कैंसर के कारण, लक्षण, बचाव व स्व परीक्षण करने की विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर गायनी विभागाध्यक्ष डा. जया चतुर्वेदी ने बताया कि किस तरह से स्तन कैंसर लगातार महिलाओं में बढ़ रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर के वार्निंग साइन को महिलाएं नजरअंदाज कर देती हैं जिससे वह स्तन कैंसर से ग्रसित हो जाती है, यदि महिलाएं स्तन कैंसर होने के संकेतों पर गौर करें तो वह इस घातक बीमारी से ग्रसित होने से बच सकती हैं। डा. जया ने बताया कि स्तन कैंसर को शुरुआती दौर में ही पहचान कर सही समय पर उपचार शुरू किया जा सकता है।
गायनी विभाग की ब्रेस्ट कैंसर सर्जन डा. शालिनी राजाराम ने बताया कि देश व दुनिया में स्तन कैंसर से जुड़े आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने स्तन कैंसर के खतरे को किस तरह से कुछ हद तक कम किया जा सकता है इस बाबत महिलाओं को जागरुक किया। एमएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की छात्राओं मंजीत, ज्योति, मीनू, वंदना, दीक्षा, प्रेरणा, कीर्ति व प्रीति ने स्तन कैंसर विषय पर प्रतिभागियों को स्वास्थ्य शिक्षा दी। इस दौरान छात्राओं द्वारा स्वयं स्तन परीक्षण का प्रदर्शन भी किया। इसके साथ ही कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं के महिला प्रतिभागियों को अलग अलग समूह बनाकर स्वस्तन परीक्षण भी दिया गया। स्तन कैंसर जनजागरुकता कार्यक्रम के आयोजन में नर्सिंग महाविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डा. राजाराजेश्वरी, डा. प्रसूना जैली, डा. लतिका चावला, नर्सिंग ट्यूटर मीनाक्षी ने सहयोग प्रदान किया।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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