Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 2, 2025

एम्स ऋषिकेश ने रक्तदान पखवाड़े का समापन, अंतिम दिन किया गया लोगों को जागरूक

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में चेंजिंग पैराडाइम-एफेरेसिस डोनेशन विषय पर ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में चेंजिंग पैराडाइम-एफेरेसिस डोनेशन विषय पर ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया। वेब सम्मेलन के माध्यम से विशेषज्ञों ने रक्तदाताओं को एफेरेसिस डोनेशन के बाबत जागरुक किया। उन्होंने कहा कि रक्तदान से दाता को शारीरिक व अन्य किसी भी रूप से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, ऐसा करने से एक व्यक्ति तीन लोगों को जीवनदान दे सकता है।
विश्व स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित रक्तदान पखवाड़ा के समापन अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें निदेशक एम्स ने रक्तदान पखवाड़े के आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले स्वैच्छिक रक्तदाताओं, आयोजन समिति के सदस्यों, फैकल्टी-रेजिडेंट्स चिकित्सकों व अन्य कार्मिकों को इस कार्य के लिए संस्थान की ओर से ई-प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया।

सीएमई में संस्थान के निदेशक और सीईओ पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि रक्तदान के समान कोई दूसरा महान दान नहीं है। उन्होंने बताया कि रक्तदान करने वाला व्यक्ति के इस संकल्प से किसी रक्त की जरुरत से जूझ रहे व्यक्ति को जीवनदान मिल सकता है। रक्तदाताओं के इस सराहनीय कार्य से मरीजों की रक्त की आवश्यकता पूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि रक्तदाताओं को स्वयं भी नियमितरूप से समय समय पर रक्तदान करना चाहिए, साथ ही दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरों को रक्तदान के लिए जागरुक कर ही हम किसी जरुरतमंद को रक्त देकर उसके अमूल्य जीवन को बचा सकते हैं।
डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति सामाजिक जनजागरण में शिक्षाविदों, शिक्षण व सीखने से जुड़ी तमाम गतिविधियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक नागरिक को नियमितरूप से रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रोफेसर यूबी मिश्रा का मानना है कि अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक पर हमेशा मरीजों की रक्त संबंधी मांग पूरी करने का दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की अच्छी संख्या होने पर हम आपात स्थिति में जरुरतमंद को रक्त उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
संस्थान के कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बीके बस्तिया ने एम्स के रक्तदान चिकित्सा विभाग की नियमितरूप से रक्तदान शिविरों के आयोजन के लिए सराहना की। एपीडी, USACS डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि उत्तराखंड क्षेत्र में स्वैच्छिक रक्तदान बेहतर तरीके से हो रहा है, इसके लिए लोग जागरुक होने लगे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य का लक्ष्य सभी ब्लड बैंकों में स्वैच्छिक रक्तदान को शत प्रतिशत तक बढ़ाना है।
इस अवसर पर आयोजन समिति की प्रमुख व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. गीता नेगी ने बताया कि ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग को इस कोविड महामारी में रक्त की जरुरत को पूरा करने के लिए शिविर आयोजकों और स्वैच्छिक रक्तदाताओं से हरसंभव सहायता मिल रही है। उन्होंने बताया कि स्वैच्छिक एसडीपी दाता नियमितरूप से दान कर रहे हैं और रोगियों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
सम्मेलन में विभाग की डॉ. दलजीत कौर और डॉ. आशीष जैन ने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदाताओं को एफेरेसिस दान के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। एफेरेसिस खासतौर से प्लेटलेटफेरेसिस के मांग बढ़ रही हैं और इस आवश्यकता को सम्पूर्ण रक्तदाताओं के सहयोग से ही पूरा किया जा सकता है, जिससे उन्हें नियमिततौर पर प्लेटलेटफेरेसिस दाताओं में परिवर्तित किया जा सके। सम्मेलन में डॉ. संजय उप्रेती, डॉ. शीतल मल्होत्रा, डॉ. सुशांत कुमार मेनिया, डॉ. विभा गुप्ता, डॉ. मनीष रतूड़ी, डॉ. विनय कुमार तथा एलुमनाई रेसिडेंट्स डॉक्टर्स ने भी व्याख्यान दिया।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *