राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के तहत एम्स ने किए जनजागरूकता कार्यक्रम, ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर चर्चा

वीक के अंतर्गत एम्स परिसर, विभिन्न स्कूलों और रिहायशी इलाकों में फलदार पौधों का रोपण किया गया और लोगों को इससे होने वाले फायदों के प्रति जागरूक किया गया। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के तहत थानो और रायवाला के स्कूलों में आयोजित जनजागरूकता कार्यक्रम में बच्चों की “सबसे स्वस्थ लंच बॉक्स” प्रतियोगिता, सांप और सीढ़ी खेल के अलावा फलदार पौधों का रोपण किया गया व उन्हें फलों का वितरण किया गया साथ ही बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके अलावा आंगनबाड़ी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही माताओं को पोषण तत्वों की जानकारी दी गई और फल बांटे गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उधर, एम्स परिसर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह, डीन अकादमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी, सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना व अपर आचार्य डॉ. रंजीता कुमारी ने चकोतरा, पपीता, अमरूद आदि फलदार पौधे रोपे।सीएफएम विभाग में एमबीबीएस के विद्यार्थियों की बजट में स्वस्थ भोजन कैसे करें प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें अव्वल छात्र छात्राओं को नकद पुरस्कार वितरित किया गया।
सप्ताह के समापन अवसर पर नेशनल न्यूट्रिशन क्विज व “डबल बर्डन ऑफ मालन्यूट्रीशन” विषय पर एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन, यूनिसेफ व एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। इस अवसर पर सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना, आयोजन सचिव अपर आचार्य डॉ. रंजीता कुमारी, विभाग के सीनियर रेजिडेंट्स डॉ. पल्लवी, डॉ. रोहित, डॉ. आशुतोष, डॉ. अभिषेक, जूनियर रेजिडेंट्स डॉ. प्रकाश, डॉ. तेजा, डॉ. निसर्ग, डॉ. अथुल्या, एमपीएच छात्रा दर्शना कंसारा आदि ने सहयोग प्रदान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर चर्चा
एम्स ऋषिकेश में संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉक्टर मीनू सिंह जी के मार्गदर्शन में डीएमडी अवेयरनैस डे मनाया गया। जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बच्चों में अनुवांशिकरूप से पाई जाने वाली ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने इसके कारणों, लक्षणों व इससे बचाव की जानकारी भी दी। बुधवार को डीएमडी जनजागरुकता दिवस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के बालरोग विभाग की ओर से कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह जी के निर्देशन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बालरोग विभागाध्यक्ष डा. नवनीत कुमार बट्ट ने बताया कि विभाग द्वारा आगे भी इस तरह के जनजागरुकता कार्यक्रमों का नियमिततौर पर आयोजन किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक डा. प्रशांत कुमार वर्मा ने बताया कि ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों में सबसे आम अनुवांशिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है। यह विश्वस्तर पर अनुमानित 3,500 पुरुषों में से एक व्यक्ति में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी डीएमडी जीन में परिवर्तन के कारण होती है। डा. प्रशांत कुमार वर्मा के अनुसार इस बीमारी में मांस पेशियों की कोशिकाओं में संकुचन और विश्राम में अंतर आ जाता है, जिसके कारण शरीर की मांस पेशियां कमजोर पड़ जाती है। यह एक्स-लिंक्ड तरीके से फैलता है, इसलिए महिलाओं में यह रोग सामान्यतः नहीं होता है। प्रभावित पुरुषों में अंगों में प्रगतिशील कमजोरी होती है और लगभग 4 से 5 वर्ष की आयु में पैर की मांसपेशियों की अतिवृद्धि होती है। लिहाजा उन्हें सालाना चेक-अप और फिजियोथेरेपी की जरूरत होती है। अगले पुरुष भाई-बहन में बीमारी का पुनरावृत्ति जोखिम 50% तक है और परिवार में बीमारी को रोकने के लिए प्रसव पूर्व निदान सबसे अच्छा तरीका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि एम्स संस्थान के बाल रोग एवं चिकित्सा विभाग में इस बीमारी के परीक्षण की सभी सुविधाएं उपलब्ध है। साथ ही वर्तमान में विभाग में प्रसव पूर्व परामर्श सहित रोग प्रबंधन के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि डॉ. मनीषा नैथानी की देखरेख में जैव रसायन विभाग डीएमडी जीन म्यूटेशन का आणविक परीक्षण शुरू करने जा रहा है। बाल चिकित्सा हड्डी रोग सलाहकार डॉ. विवेक सिंह विकृतियों का उपचार प्रदान करते हैं। इस कार्यक्रम के आयोजन में बाल रोग विभाग के डा. हरि गैरे ने सहयोग प्रदान किया।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।