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December 12, 2024

नवजात को अन्यत्र शिफ्ट करने को लेकर एम्स प्रशासन ने दी सफाई, बताई ये वजह

बीते रोज एक 12 दिन के नवजात शिशु को अन्यत्र ले जाने के प्रकरण पर एम्स अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि उस दिन बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट में रखकर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किया गया था, लेकिन बच्चे को तत्काल आईसीयू बेड की आवश्यकता थी और उस समय बच्चों के वार्ड में आईसीयू बेड खाली नहीं था।

बीते रोज एक 12 दिन के नवजात शिशु को अन्यत्र ले जाने के प्रकरण पर एम्स अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि उस दिन बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट में रखकर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किया गया था, लेकिन बच्चे को तत्काल आईसीयू बेड की आवश्यकता थी और उस समय बच्चों के वार्ड में आईसीयू बेड खाली नहीं था। इसलिए नवजात बच्चे को अन्यत्र ले जाने को कहा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एम्स अस्पताल के न्यूनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट ( नीकू ) में आईसीयू बेड की स्थिति के बारे में एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि पीडियाट्रिक वार्ड के न्यूनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड बहुत ही सीमित हैं। कई बार ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि आईसीयू बेड खाली नहीं होने से बच्चे का तत्काल इलाज करना मुश्किल हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने बताया कि बीते 1 अगस्त की सांय के समय 12 दिन के एक बच्चे को लेकर उसके परिजन एम्स इमरजेंसी में पहुंचे थे। उस दौरान इमरजेंसी में मौजूद चिकित्सकों ने बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट में रखकर उसका तत्काल प्राथमिक उपचार शुरू किया लेकिन बच्चे को सामान्य बेड के बजाए पीडियाट्रिक वार्ड इन्सेन्टिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड की आवश्यकता थी। चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि उस समय पीडियाट्रिक वार्ड की इस यूनिट में पहले से ही गंभीर स्थिति वाले कई बच्चे एडमिट थे और कोई भी आईसीयू बेड खाली नहीं था, इसलिए तत्कालिक स्थिति को देखते हुए बच्चे के परिजनों को उपचार हेतु उसे अन्यत्र अस्पताल ले जाना पड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रोफेसर मित्तल ने यह भी बताया कि अस्पताल की इमरजेंसी में प्रत्येक मरीज को देखा जाता है और उसे तत्काल प्राथमिक उपचार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गंभीर स्थिति के मरीजों के लिए संबंधित वार्ड में वेन्टिलेटर बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद ही भर्ती करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। चिकित्सा अधीक्षक ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा एम्स को 200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की कार्रवाई गतिमान है। भूमि मिलते ही अस्पताल की सुविधाओं में इजाफा होना स्वभाविक है, जिससे इस प्रकार की समस्याओं का स्वतः ही निराकरण हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश बीते सोमवार को गंभीर अवस्था में लाए गए एक 12 दिन के शिशु को भर्ती करने के लिए बच्चों के आइसीयू में बेड नहीं मिला। इस पर शिशु के पिता उसे हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट ले गए। बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। शिशु के पिता ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल कर इस घटना के लिए एम्स प्रशासन को दोषी ठहराया है और इंसाफ की मांग की है। एम्स के चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक बच्चे को आक्सीजन और प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी। बेड उपलब्ध ना होने के कारण उसे कहीं और जाने के लिए कहा गया था। रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह गुसाईं मूल रूप से श्रीनगर गढ़वाल के रहने वाले हैं। बीते सोमवार की शाम को वह अपने 12 दिन के शिशु को गंभीर अवस्था में एम्स ऋषिकेश की बाल रोग विभाग की इमरजेंसी में लेकर आए थे। भूपेंद्र सिंह गुसाई के मुताबिक उन्हें यहां पर काफी इंतजार करवाया गया। च्चे को आइसीयू बेड की जरूरत थी, आखिर में कह दिया गया कि हमारे यहां बेड खाली नहीं है। इसलिए बच्चे को कहीं और ले जाओ। जिसके बाद वह मजबूरी में यहां से अपने शिशु को लेकर हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के लिए रवाना हुए। बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि उनका एक ही बच्चा था।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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