स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र की संस्थाओं में शोध को बढ़ावा देने के को करार, विशेषज्ञों ने दी मधुमेह की जानकारी

आयोजित वेबिनार में आईएएमबीएसएस के अध्यक्ष डा. उज्जवल ने कहा कि हम युवा शक्ति को साथ लेकर मल्टीडिस्पलेनरी एप्रोच के साथ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ेंगे। इस मौके पर एसएपीटी इंडिया के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिरुद्ध उनियाल ने कहा कि यह अनेक दृष्टि से ऐतिहासिक आयोजन है। एसएपीटी इंडिया हमेशा से विज्ञान व अनुसंधान के क्षेत्र में विकास के प्रति समर्पित रही है और आने वाले समय में दोनों संगठन राष्ट्रहित और विश्व कल्याण के लिए कार्यरत रहेंगे।
वर्चुअली आयोजित हुए इस कार्यक्रम में आइएएमबीएसएस के संयुक्त सचिव डा. अशविंदर ने वेबिनार में शामिल हुए सभी विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया व उम्मीद जताई कि सभी वक्ताओं के विचारों व सामुहिक संकल्प से हम अपने लक्ष्य को साधने में सफल होंगे। आइएएमबीएसएस के संस्थापक एवं महासचिव डॉक्टर जितेंद्र गैरोला ने बताया कि संस्था ने उत्तराखंड में सामाजिक गतिविधियों में भी अपना योगदान सुनिश्चित किया है और इस दिशा में लगातार कार्य हो रहा है। साथ ही आयुर्वेद, योग और एलोपैथी को एकीकृत करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने को लेकर भी संस्था सततरूप से प्रयासरत है।
कार्यक्रम के संयोजक बायोटेक, एमएमयूजी के प्रमुख डा. अनिल शर्मा ने वेबिनार में शामिल होने वाले सभी नए शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। एम्स ऋषिकेश की प्रोफेसर नीलम ने आईएएमबीएसएस और एसएपीटी इंडिया के कार्यों की सराहना की व एसएपीटी इंडिया को डायनामिक आर्गेनिसेसन बताया। वेबिनार में शामिल हुए लगभग 150 प्रतिभागियों को अनुसंधान के विषय सेंपलिंग की विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रशिक्षण दिया गया।
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने मधुमेह रोग की दी जानकारी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में ‘कार्डियो डायबिटिक सोसाइटी द्वारा कॉर्डियाबिकोन, उत्तराखंड व आंतरिक चिकित्सा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। केयर ऑफ़ कार्डियो डायबिटिक डिसऑर्डर इन को- मोरबिड कंडीशंस विषयक कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। कार्यशाला में संस्थान के निदेशक डॉ. अरविंद रघुवंशी व डीन एकेडमिक डॉ. मनोज गुप्ता बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
आयोजित कार्यशाला में भारत समेत विभिन्न देशों के कई मधुमेह एवं हृदय रोग विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यशाला के मुख्य आयोजक एवं संस्थान के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. रविकांत ने बताया कि मधुमेह एक प्रकार की गंभीर समस्या है, जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। मधुमेह रोग से मानव शरीर पर बहुत गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं। यह बीमारी विभिन्न प्रकार के हृदय रोग, महिला या पुरुष दोनों में ही नपुंसकता जैसी समस्या उत्पन्न कर सकती है।
कार्यशाला में उत्तराखंड से शामिल हुए विभिन्न मधुमेह रोग विशेषज्ञों द्वारा दूरदराज के मरीजों के लिए नवीनतम तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। कार्यशाला के दौरान हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित वर्मा, बीएचयू से डॉ. गीता सुब्रह्मण्यम, एम्स ऋषिकेश के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. बरूण कुमार, यूएसए से डॉ. आशीष अनेजा समेत कई अन्य मधुमेह रोग विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया और व्याख्यान प्रस्तुत किए। कार्यशाला के आयोजन में जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी धर, जनरल मेडिसिन विभाग के फैकल्टी सदस्य डा. मोनिका पठानिया, डा. प्रसन्न कुमार पंडा, डा. वेंकटेश पाई व डा. मुकेश बैरवा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यशाला में डॉ. रोहित रैना, डॉ. अजय पाल सिंह, डॉ. पार्शिका, डॉ. प्रभात, डॉ.आशीष ,डॉ. श्रुति, डॉ. काव्य एन.पी., डॉ. श्रीधर, डॉ.कृतार्थ ने सहयोग प्रदान किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।