मंत्री से वार्ता के बाद ऊर्जा निगम के कर्मियों की हड़ताल खत्म, सरकार ने छह माह तक लगा दी थी रोक
उत्तराखंड में ऊर्जा के तीन निगमों के 3500 से ज्यादा कार्मिकों की हड़ताल खत्म हो गई है। ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के साथ हुई बैठक सफल रही, जिसके बाद ऊर्जा मंत्री और कर्मचारी नेता इंसारुल हक ने हड़ताल समाप्त करने का एलान किया। बैठक में ऊर्जा मंत्री ने कर्मियों से 15 दिन का समय मांगा। हालांकि, कर्मचारियों ने मिनट्स प्राप्त होने तक हड़ताल पर अड़े रहने की बात कही है। आपको बता दें कि सोमवार मध्यरात्रि से हड़ताल पर चले गए। इससे मनेरी भाली और पछवादून की पांच जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन ठप हो गया। इसके साथ ही कई जगहों पर बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई। इसके बाद सर्वे चौक के निकट स्थित कौशल विकास भवन में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और कर्मचारी नेताओं की वार्ता चली। वार्ता में ऊर्जा निगम के एमडी दीपक रावत भी मौजूद रहे।
इससे पहले उत्तराखंड सरकार बिजली कर्मचारियों को मनाने में फ्लाप हुई और सोमवार की मध्यरात्रि के बाद प्रदेश भर के करीब 3500 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। बिजली आपूर्ति बाधित होने पर वैकल्पिक व्यवस्था क्या होगी, शायद इसका भी होमवर्क नहीं किया गया है। इसका असर बिजली आपूर्ति से लेकर उत्पादन तक पड़ने लगा। क्योंकि कर्मचारी कह चुके हैं कि हड़ताल के दौरान वे किसी फाल्ट को दुरुस्त नहीं करेंगे। साथ ही उपभोक्ताओं को भी हड़ताल के चलते मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। कहीं, ऐसा न हो कि आपके बिजली उपकरण हड़ताल की अवधि में करंट के बगैर ठप हो जाएं। दिन चढ़ने के साथ हड़ताल का असर दिखना शुरू हो गया। विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन भी प्रभावित होने लगा है। कई इलाकों में बिजली गुल हो गई। हालांकि बिजली दफ्तरों में कुछ संविदा कर्मी तैनात हैं। वहीं, कई सब स्टेशनों में ताले लटक गए। उधर, एक और बिजली कर्मचारियों की ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से वार्ता चल रही, वहीं, दूसरी तरफ शासन ने हड़ताल पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए। इस संबंध में ऊर्जा सचिव सौजन्या ने आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि लोकहित में ऊर्जा निगम के तीनों निगमों में तत्काल प्रभाव से हड़ताल निषिद्ध है।
उत्तराखंड के नए सीएम पुष्कर धामी की ये सबसे बड़ी परीक्षा का भी समय भी था। क्योंकि आवश्यक सेवाओं वाले विभाग के कर्मचारी यदि हड़ताल से स्थिति विकट हो सकती थी। एसीपी की पुरानी व्यवस्था की बहाली और समान काम के लिए समान वेतन समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर शासन के साथ सोमवार पूरे दिनभर बिजली कर्मचारियों की वार्ता होती रही। देर रात्रि तक वार्ता के बावजूद समाधान की राह नहीं निकली। शासन ने मांगों को मानने के लिए मंगलवार को होने वाले कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने का भरोसा भी दिया, लेकिन कार्मिकों ने इसे नाकाफी माना।
मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना में उत्पादन ठप
मनेरी भाली प्रथम और द्वितीय जल विद्युत परियोजना में उत्पादन ठप कर दिया गया है। इससे राज्य सरकार को करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। वहीं, जिला मुख्यालय सहित जनपद के भटवाड़ी, पुरोला, नौगांव, बडकोट, चिन्यालीसौड़ सहित ग्रामीण क्षेत्रों पिछले एक घंटे से बिजली आपूर्ति ठप है। विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल के कारण फाल्ट का भी पता नहीं चल पा रहा है। सुबह-सुबह बिजली गुल होने से स्थानीयजन खासे परेशान हो गए हैं।
पछवादून की पांच जल विद्युत उत्पादन केंद्र ठप
बिजली कर्मियों की हड़ताल के चलते पछवादून के पांच जल विद्युत उत्पादन केंद्रों ढलीपुर, ढकरानी, छिबरो, खोडरी, कुल्हाल पावर हाउस में पावर जनरेशन पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके चलते जल विद्युत निगम अधिकारियों ने बैराज के गेट खुलवा दिए हैं और नदियों का पानी सीधे पास किया जा रहा है। हड़ताल के चलते यूपीसीएल से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने बिजली लाइन में आए फाल्ट को हड़ताल के चलते दूर नहीं कराया। हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला।
ये हैं मुख्य मांगें
-ऊर्जा निगम में एसीपी की पुरानी व्यवस्था लागू की जाए
-उपनल के माध्यम से कार्य कर रहे कार्मिकों का नियमितीकरण हो
-निगम में समान कार्य को समान वेतन मिले
-ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेज का रिवीजन किया जाए।