आखिर केला क्यों होता है टेढ़ा, केले का डीएनए इंसान से 50 फीसद खाता है मेल, पढ़िए रोचक तथ्य
केला एक ऐसा फल से जो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को पसंद है। इसके गुण भी बहुत हैं और ये ऐसा फल है, जो इंसान की भूख शांत कर देता है। साथ ही आपके शरीर को ऊर्जा से भी भर देता है। सिर्फ दो केले ही आपको इतनी ऊर्जा देते हैं कि आप डेढ़ घंटे तक कठिन परिश्रम आसानी से कर सकते हो। केले का आकार भी छोटा और बड़ा हो सकता है। साथ ही जब केला कच्चा रहता है तो इसके छीलके का रंग हरा होता है। पकने पर यह पीला हो जाता है और सड़ने पर काला पड़ जाता है। वहीं भीतर के गूदा सफेद होता है। वहीं लाल रंग का भी केला होता है, जो आस्ट्रेलिया में उगता है। सड़ने पर जरूर काला पड़ जाता है। केले को ज्यादा दिन सुरक्षित रखने के उपाय हम लिख चुके हैं। आज हम दूसरी रोचक जानकारी देंगे। सबसे पहले हम जिक्र करेंगे कि केला टेढ़ा क्यों होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस कारण होता है केला टेढ़ा
जब भी केला पेड़ में उगता है, तो वह गुच्छों में होता है। लोकल भाषा में इसके पूरे गुच्छे को खानी कहते हैं। यह जमीन की तरफ लटक रहा होता है। अब आप जब केले को शुरुआत में देखेंगे, तो पाएंगे कि इसका आकार उस समय सीधा होता है। फिर यह टेढ़ा होने लगता है। साइंस में एक प्रवृत्ति का उल्लेख किया गया है। इसे नेगेटिव जियोट्रोपिजम कहा जाता है। इसके कारण कुछ पेड़ के पत्ते व फल बड़े होने और पकने के लिए सूरज की दिशा में मुड़ने लगते हैं। नेगेटिव जियोट्रोपिजम का असर केले के पेड़ों पर भी होता है। इसी प्रवृत्ति के कारण वे धीरे-धीरे घूमते हुए सूरज की तरफ धूमने लगते हैं और इसी के कारण उसना आकार टेढ़ा या हल्के C टाइप का हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहली बार यहां दिखा असर
बता दें कि पहले केले के पेड़ बरसाती वनों में उगा करते थे, लेकिन केले की पैदावार उतनी अच्छी नहीं हुआ करती थी। इसका सबसे अहम कारण था कि बरसाती वनों में केलों को सही मात्रा में धूप नहीं मिल पाती थी। इसलिए किसान ऊपरी क्षेत्रों में आए और उन्होंने वहां केले के पेड़ उगाए। नेगेटिव जियोट्रोपिजम प्रवृत्ति का असर यहां सबसे पहले देखने को मिला। इस कारण केले का आकार टेढ़ा हो गया। इसीलिए आपको केले टेढ़े आकार के नजर आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यहां मिलते हैं लाल रंग के केले
अभी तक आपने पीले और हरे रंग के केले ही देखे हैं और खाए भी हैं, लेकिन कभी लाल रंग का केले का स्वाद खचा है। लाल रंग का केला आस्ट्रेलिया में पाया जाता हैं, जहां इसे रेड डका कहा जाता है। यहां ऎसे केले की पैदावार अच्छी खासी है। लाल केले की प्रजाति सबसे पहले मध्य अमरीका के कोस्टा रिका में खोजी गई थी। लाल केला अमेरिका के अलावा वेस्टइंडीज, मेक्सिको, जमैका, इक्वाडोर और ऑस्ट्रेलिया के कई भागों में लोकप्रिय है। सबसे ज्यादा इसकी उपज ईस्ट अफ्रीका, साउथ अमरीका के देशों में होती है। यही से पूरे विश्व में निर्यात किया जाता है। वैसे केले की यह प्रजाति भारत के केरल में देखने को मिल जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह केला जो हलका गुलाबी रंग का होता है और इसका स्वाद आम की तरह है। लाल केलों में मौजूद पोटैशियम हार्ट मसल्स और डाइजेस्टिव सिस्टम को सही तरीके से काम करने में सहायक होता है। लाल केला दिल से जुडी बीमारियों और डायबिटीज के खतरे को कम कर देता है। विटामिन सी से भरपूर इस फल में 110 कैलोरी होता है। इसमें फेट, केलोस्ट्रोल और सोडियम नहीं होता। इसमें 29 ग्राम कारबोहाइड्रेट और एक ग्राम प्रोटीन होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केले के बारे में मजेदार रोचक तथ्य
-केले का 50% DNA इंसानो से मिलता जुलता है।
-सिर्क दो केला हमें इतना ऊर्जा से सकती है की हम लगातार बिना रुके 90 मिनट तक काम कर पाए।
-केला के नाम में ही इसका गुण छुपा है। इसका वैज्ञानिक नाम मूसा सेपिनटम (Musa Sapientum) है। इसका शाब्दिक अर्थ है-बुद्धिमान व्यक्ति का फल।
-माना जाता है की केला की उत्पत्ति लगभग 4000 साल पूर्व मलेशिया में हुई थी। बाद में यह पूरी दुनिया में पहुंचा।
-ऑस्ट्रेलिया के अंदर लाल रंग के भी केले पाए जाये है।
-पूरे विश्व का लगभग 28 प्रतिशत केलों का उत्पादन कर भारत दुनिया के पहले स्थान पर आता है।
-केला खाने के मामले में युगान्डा देश पहले नंबर पर आता है। इस देश में हर व्यक्ति साल में औसतन 225 kg के बराबर केला खाया जाता है।
-केला दुनिया के एक ऐसा कुदरती फल है जो गल जाता है। लेकिन इसमें कभी कीड़े नहीं पड़ते है।
-केला एक गर्म बातावरण का पौधा है। इसीलिए केले को कभी भी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केले के गुण
-मच्छर के काटे हुए स्थान पर केले का छिलका रगड़ देने से जल्दी से आराम मिल जाता है।
-अगर आपकी बूट पोलिश ख़त्म हो गई है तो आप केले के छिलकों को जूतों पर घिस कर उसे चमका सकते है।
-केला गेहूँ, चावल और मक्का के बाद चौथा सबसे ज्यादा मात्रा में उत्पाद किये जाने वाला खाने का सामान है।
-पेट में गैस होने पर आप सामान्य खाना न खा कर कुछ केला खा ले, आपको तुरंत आराम मिल जायेगा।
-केला खाने से दिमाग और आपके शरीर को मजबूती मिलता है।
-आप आप नियमित रूप से केले को खाते है तो ये शरीर में खून की कमी को भी खत्म करता है।
-रोज केला खाने से डिप्रेशन के रोगियों को बहुत आराम मिलता है।
-इसमें बड़े हुए ब्लड ग्लूकोज़ को कम करके डायबिटीज को नियंत्रित करने की क्षमता हो सकती है।
इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं।
इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण हो सकते हैं।
यह दर्द, सूजन में राहत प्रदान कर सकता है।
यह डिप्रेशन (अवसाद) को मैनेज करने में मदद कर सकता है।
इसमें एंटी-कार्सिनोजेनिक (कैंसर रोधी) गुण हो सकते हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।