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November 22, 2024

ऑपरेशन मुक्ति की उपलब्धि, पुलिस ने दो बहनों को कराया मुक्त, डीजीपी ने की अपराधियों की संपत्ति अधिग्रहण की समीक्षा

भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने व उनके पुनर्वास के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने के लिए पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के निर्देशानुसार समस्त जनपदों में ऑपरेशन मुक्ति अभियान चलाया जाता है। इसके साथ ही बाल अपराध की रोकथाम और भिक्षावृत्ति कराने वाले अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल को निर्देशित किया गया है। इसी क्रम में हरिद्वार में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल ने रोड़ीबेलवाला क्षेत्र से एक नशेखोर प्रिन्स को गिरफ्तार करते हुए उसके कब्जे से दो नाबालिग सगी बहनों को आजाद कराया। इस संबंध में डीजीपी ने पुलिस टीम को 50 हजार का ईनाम देने की घोषणा की है। साथ ही इस प्रकरण में किसी संगठित अपराध की आशंका की गहन जांच करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को निर्देशित किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में दोनों बहनों ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी मां की मौत हो गई थी। पिता दोनों बहनों को हरिद्वार छोड़कर चला गया था। उसी दौरान रोड़ीबेलवाला प्रिंस के संपर्क में आई। आरोपी ने दोनों को डरा-धमकाकर पहले जबरन फ्लूड नशे का सेवन कराकर उनका शारीरिक शोषण किया। फिर हरकी पैड़ी में भिक्षावृत्ति कराने लगा। अभियुक्त प्रिन्स के विरुद्ध पोक्सो एक्ट व अन्य सुसंगत धाराओं में 06 अभियोग पंजीकृत कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। दोनों नाबालिग बहनों को शिशु बालिका गृह केदारपुरम देहरादून में आश्रय दिलाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऑपरेशन मुक्ति का उद्देश्य भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा दिलाकर उनका पुनर्वास करना है। अभी तक इस अभियान में 5997 बाल भिखारियों की पहचान की गई है और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल ने पिछले पांच वर्षों में आधे से अधिक को भीख मांगने से बचाया है। इनमें से 2149 बच्चों का दाखिला कराया गया था जिसमें से 1394 वर्तमान में भी स्कूल में हैं, जो पढ़ रहे हैं, सीख रहे हैं, खेल रहे हैं और बेहतर भविष्य की कल्पना कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

अपराधियों की संपत्ति अधिग्रहण अभियान की समीक्षा
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने परिक्षेत्र एवं जनपद प्रभारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से उत्तराखंड पुलिस एप एवं ईनामी व वांछित अपराधियों व अवैध रूप से अर्जित अवैध सम्पत्ति अधिग्रहण के लिए चलाए गए विशेष अभियान में की गयी कार्यवाहियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस को tech-savvy बनना है। उत्तराखण्ड पुलिस एप स्मार्ट पीपल फ्रेंडली और पारदर्शी पुलिसिंग की ओर एक बड़ा कदम है। अभी तक डेढ़ लाख लोग इस एप को डाउनलोड कर इसकी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। आम जन को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य यह एप बनाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि सभी जनपद प्रभारी इस एप का व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिससे अधिक से अधिक लोग इसकी सुविधाओं का लाभ उठा सकें। भविष्य में इसमें और भी सेवाएं जोड़ी जाएंगी। महिला सुरक्षा के दृष्टिगत इसके गौरा शक्ति फीचर में रजिस्ट्रेशन को बढ़ाया जाए। रजिस्टर्ड महिलाओं के साथ समन्वय कर उनकी शिकायत के समाधान करते हुए उन्हें सुरक्षित महसूस करायें। बैठक में इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था वी मुरूगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना एवं सुरक्षा ए पी अंशुमान, पुलिस उप महानिरीक्षक पी/एम सेंथिल अबुदेई कृष्ण राज एस सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दिए ये निर्देश
1.जघन्य अपराधों की SR Cases फाइल को रेड फ्लैग और डबल रेड फ्लैग के अन्तर्गत वर्गीकृत करने का निर्णय लिया गया। एसआर फाइल जनपद प्रभारी अपने हस्तलेख में लिखेंगे। 24 घंटे के अन्दर स्वयं घटनास्थल का निरीक्षण करेंगे। अभियोगों की बेहतर पैरवी हेतु केस ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी।
2.प्रतिबिम्ब एप का अधिक से अधिक उपयोग करें। अभियुक्तों के फिंगरप्रिन्ट लेने हेतु उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं, उनका उपयोग किया जाए। शीघ्र ही अभियुक्तों की आईरिस और रेटिना का रिकार्ड रखने हेतु भी एनसीआरबी की ओर से प्रशिक्षण कराया जाएगा।
3.ईनामी/वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी का प्रतिशत बढ़ाने और समस्त जनपद प्रभारियों को अवैध रूप से अर्जित अवैध सम्पत्तियों का शीघ्र चिन्हीकरण कर अधिग्रहण की कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया।
4.एक सप्ताह के भीतर महिला हेल्पडेस्क एवं चीता मोबाइल को सीयूजी मोबाइल नम्बर प्रदान कर दिए जाएंगे।

 

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