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February 23, 2025

उत्तराखंड में सामान्य से ज्यादा तापमान, अभी नहीं राहत की उम्मीद, एक माह से बारिश का इंतजार, पेयजल आपूर्ति पर भी असर

उत्तराखंड में मार्च माह बारिश के लिहाज से सूखा चला गया। अप्रैल माह में भी अभी फिलहाल कोई राहत नजर नहीं आ रही है। देशभर में कई दिन से अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है।

उत्तराखंड में मार्च माह बारिश के लिहाज से सूखा चला गया। अप्रैल माह में भी अभी फिलहाल कोई राहत नजर नहीं आ रही है। देशभर में कई दिन से अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है। मैदान से लेकर पहाड़ तक चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है। पिछले एक महीने से बारिश न होने के कारण अप्रैल प्रथम सप्ताह में ही पारा सामान्य से सात डिग्री सेल्सियस अधिक पहुंच गया है। बढ़ती गर्मी का असर पेयजल स्रोत पर भी पड़ने लगा है। उत्तराखंड की राजधानी के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति बाधित होने लगी है। अप्रैल माह में ही ये हाल है, तो मई और जून का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
मंगलवार को भी सुबह से ही उत्तराखंड में चटख धूप खिली रही। सोमवार को अधिकतम तापमान सामान्य से सात डिग्री सेल्सियस अधिक 36.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव भी अगले कुछ दिनों तक दिखने की उम्मीद कम ही है। फिलहाल नौ अप्रैल तक मौसम में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है। मौसम शुष्क रहने की संभावना है। तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की संभावना है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट भी गहराने लगा है। ग्रेविटी वाले जल स्रोतों में पानी कम पड़ने लगा है। वहीं, बार बार बिजली की आपूर्ति के धोखा देने से नलकूपों का संचालन भी नियमित नहीं हो पा रहा है। ऐसे में एक बड़े क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति का संकट पैदा होने लगा है। हालांकि जल संकट के निपटने के दावे तो हर बार बड़े बड़े किए जाते हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि बिजली के बगैर घर घर पानी कैसे पहुंचाया जाएगा।
दून में गर्मी ही नहीं, सर्दियों के मौसम में भी बार बार बिजली की कटौती होती रही। सर्दियों में तो लोगों को परेशानी कुछ कम हुई, लेकिन गर्मियों में बिजली की कटौती के चलते जहां लोगों को गर्मी से जूझना पड़ रहा है, वहीं पेयजल आपूर्ति में भी इसका असर पड़ रहा है। कारण ये है कि गर्मी में जलापूर्ति की मांग बढ़ जाती है, लेकिन आपूर्ति कम हो रही है। ऐसे में राजधानी में लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। जहां पानी आ भी रहा है, वहां लो प्रेशर की समस्या बनी है।
दून में पेयजल आपूर्ति भी देने लगी है धोखा
उत्तराखंड की राजधानी में अधिकांश स्थानों पर जलापूर्ति का समय सुबह और शाम के समय का है। सुबह से लेकर शाम तक बार बार बिजली गुल हो रही है। ऐसे में नलकूप के लिए बनाए गए पानी के टैंक पूरी तरह से भर नहीं पा रहे हैं। टैंक नहीं भरने के कारण जलापूर्ति के समय भी कई स्थानों पर जल संस्थान को बगैर टैंक से ही डायरेक्ट पानी की सप्लाई करनी पड़ रही है। ऐसे में बिजली गुल होने पर सप्लाई भी गुल हो जाती है। फिर जैसे ही बिजली आती है, तब लाइनों को भरने में समय लगता है और फिर जो पानी घरों में पहुंचता है, उसमें प्रेशर नहीं होता। जलापूर्ति करने वाला कर्मी भी दो से तीन घंटे तक ही पानी की आपूर्ति करता है। यदि इस बीच बिजली नहीं रही तो आपूर्ति ठप समझो।
ये हैं जलापूर्ति के स्रोत
दून में वर्तमान में 279 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी व झरने के स्रोत हैं, लेकिन ज्यादातर पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से ही की जाती है। गर्मी बढ़ते ही भूजल स्तर गिर जाता है। ट्यूबवेल की क्षमता भी घटने लगती है। अन्य स्रोतों से भी पानी का प्रवाह घटना शुरू हो जाता है। जिस कारण पेयजल संकट गहराने लगता है।
ग्रामीण क्षेत्र पित्थूवाला और रायपुर जोन में गर्मी में पेयजल संकट ज्यादा गहराने लगता है। अब उत्तर जोन में भी पेयजल समस्या पैदा होने लगी है, जबकि इस जोन में अधिकांश इलाकों में ग्रेविटी वाले स्रोत से पेयजल आपूर्ति की जाती है। आमतौर पर दून में पेयजल की मांग 162.17 एमएलडी है, जबकि उपलब्धता 162 एमएलडी है। गर्मी में उपलब्धता कम होने लगती है। कारण बिजली की अनियमित आपूर्ति और जल स्तर का गिरना बताया जाता है। लीकेज और वितरण व्यवस्था की खामियों के कारण वर्षों से यह समस्या बनी हुई है।
ग्रेविटी स्रोत की समस्या
ग्रेविटी स्रोत में ग्लोगी पावर हाउस से भी उत्तरी जोन में पानी की सप्लाई की जाती है। इस योजना के रखरखाव और पेयजल वितरण को लेकर जल संस्थान भारी भरकम रकम खर्च कर रहा है। इस स्रोत से पेयजल आपूर्ति भी गड़बड़ा गई। इसका कारण पानी की कमी नहीं है और यहां से जलापूर्ति के लिए बिजली की भी जरूरत नहीं है। फिर भी यहां से पानी की उपलब्धता के लिए जल संस्थान ऊर्जा निगम पर निर्भर है। ऊर्जा निगम के पावर हाउस के लिए पानी ग्लोगी स्रोत से लिया जाता है। इसी पानी को आगे जलापूर्ति के लिए सप्लाई किया जाता है। गर्मियों और बरसात के दिनों में पर्याप्त पानी नहीं मिलने या जल स्रोत के मुहाना ध्वस्त होने के कारण निगम टरबाइनों को बंद कर देता है। ऐसे में बड़े इलाके में जलापूर्ति के लिए जल संस्थान को भी पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है।
यहां बनी है पेयजल की समस्या
उत्तर जोन में नया गांव, अनारवाला, जोहड़ी, सुमन नगर, साकेत कालोनी, आर्यनगर, डीएल रोड, लोहारवाला, राम विहार, तपोवन, नालापानी रोड में पेयजल की समस्या बनी हुई है। इसी तरह दक्षिण जोन में डीएल रोड, ओल्ड सर्वे रोड, आंबेडकर नगर कालोनी, नेशविला रोड, चुक्खूवाला, डोभालवाला, विजय कालोनी, चंदर लोक कालोनी, लक्खीबाग, मुस्लिम कालोनी, नारायण विहार, आशीर्वाद एंक्लेव, पित्थूवाला जोन में नई बस्ती, सेवला कलां, पित्थूवाला, आस्था एंक्लेव, कसाई मोहल्ला, विजलेंस आफिस, इंदिरापुरी फार्म, विष्णुपुरम, अमर भारती, चोयला, जाली गांव, सत्यनारायण मोहल्ला, धारावाली, मोहित नगर, व्योमप्रस्थ, एमडीडीए इंदिरापुरम, रायपुर जोन में बद्रीश कालोनी, ओम विहार, शास्त्री नगर, चकशाह नगर, अपर सारथी विहार, लोअर सारथी विहार, सरस्वती विहार, राझांवाला, कृष्णविहार, इंद्रप्रस्थ, गंगोत्री विहार, अलकनंदा एनक्लेव, आदर्श कालोनी, शमशेरगढ़, संगम विहार, मियांवाला में पेयजल की आपूर्ति अनियमित हो गई है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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