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March 11, 2025

आप का दावाः ओपन यूनिवर्सिटी को बीजेपी ने बनाया निजी कंपनी, नियुक्ति में घोटाला, उच्च शिक्षा मंत्री से मांगा इस्तीफा

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार पर ओपन यूनिवर्सिटी को निजी कंपनी में बदलने का आरोप लगाया।

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार पर ओपन यूनिवर्सिटी को निजी कंपनी में बदलने का आरोप लगाया। आप के प्रदेश प्रवक्ता नवीन पिरशाली ने विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्तियों का आरोप लगाते हुए बीजेपी सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य की बीजेपी सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई सरकार है। अब शिक्षित बेरोजगारों का हक भी छीन रही है। उन्होंने कहा उच्च शिक्षा मंत्री ने साल 2017 और 2019 के बीच सभी नियम कानूनों को धता बताकर अपने चहेतों को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में मनमाफिक पोस्टिंग से नवाजा है।
आप के प्रदेश कार्यालय में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि जिन लोगों को भी नियुक्ति दी गई, वो सभी मंत्री और कुलपति के अपने लोग हैं या आरएसएस से जुड़े लोग हैं। उन्होंने कहा कि ये सरकार जनविरोधी सरकार है, जो जनता से कहती कुछ है और करती कुछ है। उन्होंने कहा कि 30 अगस्त 2019 को मीडिया में एक खबर आई। इसमें साफ साफ बताया गया था कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में सहायक क्षेत्रीय निदेशक (असिस्टेंट रीजनल डायरेक्टर) के आठ पदों पर नियुक्ति में बड़ा घोटाला होने वाला है। इस खबर में लिखा था कि इन आठ पदों पर पहले से ही सलेक्ट होने वाले कैंडिडेट्स के नाम तय हैं। उन सभी आठ नामों को प्रकाशित भी किया गया था। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिस मामले की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए थी। ऐसा नहीं किया गया। ठीक दो दिन बाद 2 सितंबर 2019 को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने जब असिस्टेंट रीजनल डायरेक्टर के पदों पर चयनित हुए लोगों की लिस्ट जारी की गई तो सभी आठ के आठ नाम वही थे, जो 30 अगस्त को मीडिया में आ चुके थे।
मीडिया में नाम आने और विवाद के बाद भी सभी उन नामों को नौकरी दी गई, जो उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और कुलपति के रिश्तेदार थे। इनमें सबसे पहला नाम था प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत के पीआरओ गोविंद सिंह का, दूसरा नाम था कुलपति की पर्सनल सेकेट्री रेखा बिष्ट का, तीसरा भास्कर जोशी, जो परीक्षा करवाने वाले चीफ एक्जाम कंट्रोलर प्रोफेसर पीडी पंत के रिश्तेदार हैं। चौथा नाम रुचि आर्य, जो असिस्टेंट एक्जाम कंट्रोलर डॉक्टर सुमित प्रसाद की पत्नी हैं। पांचवां नाम ब्रिजेश बनकोटी, जो आरएसएस के प्रचारक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि धन सिंह रावत यूं तो ईमानदारी का चोला ओढ़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस खुलासे ने मंत्रीजी की भी पोल खोल दी है कि वो भ्रष्टाचार के दलदल में कहां तक समाए हुए हैं। जिन्होंने अन्य के साथ अपने पीआरओ को भी यूनिवर्सिटी में लगवा दिया। अब वे मंत्रीजी के साथ रहते हैं, लेकिन तनख्वाह यूनिवर्सिटी से प्राप्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस खुलासे के बाद 4 जुलाई 2020 को पंतनगर निवासी रमेश सिंह नाम के व्यक्ति ने राज्यपाल को एक शिकायती पत्र लिखा। इसमें इस पूरे अवैध नियुक्तियों के खेल का चिट्ठा लिखा हुआ था। 27 जुलाई को राज्यपाल के संयुक्त सचिव ने प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव को निर्देश दिए कि असिस्टेंट रीजनल डायरेक्टर (एआरडी) के आठ पदों पर नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार की जांच की जाए। साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्तियों में जो फिक्सिंग के आरोप लगाए जा रहे हैं, उसकी भी जांच की जाए। ये चिट्ठी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मानव संसाधन मंत्री, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और यूजीसी को भी भेजी गई।
उन्होंने आगे कहा कि जिस मामले की जांच की जानी चाहिए थी, इसके बदले मार्च 2021 को लिस्ट जारी कर उन सभी अभ्यर्थियों में से 8 लोगों को नौकरी के लिए चुन लिया गया। एक अभ्यर्थी मीनाक्षी राणा के बदले एबीवीपी से जुडे विशाल शर्मा को उस लिस्ट में समायोजित किया गया। शिकायती पत्र में जिन लोगों की अवैध नियुक्ति की पूर्व सूचना दी गई थी, उनमें एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पीडी पंत, हिस्ट्री के पद पर मदन मोहन जोशी, पत्रकारिता विभाग में राकेश रयाल, कम्प्यूटर साइंस में जीतेंद्र पांडे, कॉमर्स में गगन सिंह, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में घनश्याम जोशी, लॉ डिपार्टमेंट में दीपांकुर जोशी, हिंदी विभाग में राजेंद्र सिंह, एजुकेशिन डिपार्टमेंट में सिद्धार्थ पोखरियाल और फिजिक्स डिपार्टमेंट में मीनाक्षी राणा का नाम था। जब रिजल्ट आया तो केवल मीनाक्षी राणा को छोड़कर बाकी आठ नाम वही थे। इनमें एक नाम सिद्धार्थ पोखरियाल का है जो तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के करीबी हैं।
नवीन पिरशाली ने कहा कि ये सरकार लोगों को रोजगार देने की बात करती है। जीरो टोलरेंस की बात करती है, लेकिन आखिर जीरो टोलरेंस और रोजगार है कहां। आज भी प्रदेश में पढ़े लिखे युवक युवतियां नौकरियों के लिए धक्के खा रहे हैं। आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन ये जन विरोधी सरकार आज उन बेरोजगारों का हक मारकर अपने चहेतों पर दरियादिली दिखा रही है। उन्होंने कहा कि इस खेल में कई अफसर और नेता जुडे हुए हैं। क्योंकि एक और 56 नियुक्तियों का मामला उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी आया है, जो अवैध रुप से की गई हैं।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ये मांग करती है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत से सरकार तुंरत इस्तीफा मांगे। मुख्यमंत्री को ऐसे मंत्री को तुंरत अपनी कैबिनेट से हटा देना चाहिए। इसके अलावा आप मांग करती है कि इन सभी पदों पर हुई भर्तियों को तत्काल रद्द किया जाए और नए सिरे से भर्ती कर पारदर्शी तरीके से योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाए। साथ ही जिन लोगों ने गलत तरीके से सरकारी नौकरी पाई, उनसे सारे वेतन, भत्तों की वसूली की जाए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ घोटाले में शामिल मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ओमप्रकाश नेगी और अन्य सभी अधिकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ कड़ी से कडी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार को चेतावनी देती है कि अगर इन मांगों को नहीं माना गया तो आप पार्टी प्रदेशभर में बडा जनांदोलन करेगी। पत्रकार वार्ता के दौरान संगठन मंत्री डोईवाला अशोक सेमवाल, दीपक सैलवान भी मौजूद थे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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