तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में केदारनाथ पहुंचे आप नेता कर्नल कोठियाल, प्रदेशभर में देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन
पीएम नरेंद्र मोदी के पांच नवंबर को उत्तराखंड के केदारनाथ में दौरे से पहले ही उत्तराखंड में सियासी माहौल गरमा गया है। देवस्थानम बोर्ड के विरोध में आम आदमी पार्टी आज बुधवार तीन नवंबर को प्रदेश भर में विधानसभा स्तर पर प्रदर्शन कर रही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में आपदा से जब केदारनाथ में सब कुछ तबाह हो गया था तो उस समय कर्नल कोठियाल उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्राचार्य थे। उनके नेतृत्व में केदारनाथ में पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हुआ। नतीजा, सबके सामने है। केदारनाथ धाम नए रूप में नजर आने लगा है। अब चारधामों की व्यवस्थाओं को देवस्थानम बोर्ड के हवाले करने के विरोध में तीर्थ पुरोहित, संत, पंडा समाज आंदोलन कर रहा है। आम आदमी पार्टी से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले कर्नल कोठियाल इस आंदोलन को समर्थन देने केदारनाथ पहुंचे। गौरतलब है कि केदारनाथ में पांच नवंबर को पीएम मोदी आएंगे। यहां उन्होंने शंकराचार्यजी की समाधि का लोकार्पण करना है। इससे पहले राजनीतिक माहौल गरम हो चुका है।
कर्नल अजय कोठियाल आज देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर केदारनाथ पहंचकर तीर्थ पुरोहितों से मिले और उनके आंदोलन को अपना समर्थन दिया। वहीं आज आप कार्यकर्ता देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर सभी 70 विधानसभाओं में भी प्रदर्शन करते नजर आए। सुबह कर्नल कोठियाल ने बाबा केदारनाथ के दर्शन भी किए। आप कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे कर्नल कोठियाल ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड पर सरकार सियासत कर रही है। पंडा समाज और तीर्थ पुरोहितों पर जबरदस्ती देवस्थानम बोर्ड को थोपा गया है जो सरासर गलत है। देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ पंडा पुरोहित समाज के लोग पिछले दो साल से विरोध कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी तब बोर्ड के मसले पर कोई फैसला नहीं किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि पुराने समय में पंडा समाज के लोग हरिद्वार जाते थे। गंगा में स्नान कर वापस अपने यजमानों को केदारनाथ लेकर आते थे, किसी से दान भी नही लेते थे। ये परंपरा सदियों से यूं ही चली आ रही है। देवस्थानम बोर्ड बनाकर सरकार उन पुरानी परंपराओं पर कुठाराघात कर रही हैं। उन्होंने कहा कि, सरकार बताए कि आखिर क्यों उसे देवस्थानम बोर्ड बनाने की जरुरत पड़ी। पंडा समाज बोर्ड के विरोध में पीएम मोदी को अपने खून से चिट्ठी लिखकर भेज चुके हैं। ना तो केन्द्र सरकार ने इस ओर कोई कदम बढाया, ना ही राज्य सरकार ने।
उन्होंने कहा कि पुरानी रीतियों के मुताबिक पुरोहित केदारनाथ के दर्शन करने के बाद चार धामों की यात्रा करते थे। शीतकाल में वापस अपने यजमानों के घर जाते थे।वहां से मेल मिलाप कर दक्षिणा लेकर वापस आते थे। आज भी ये परंपराएं हैं। अब बोर्ड बनने से उनमें सरकार के प्रति रोष है, जिसका खामियाजा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भुगतना पड़ा और उन्हें बिना दर्शन किए ही बैरंग लौटना पड़ा।
केदारनाथ पहुंचे कर्नल कोठियाल ने पंडा समाज की समस्याओं और मांग को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री जो वहां पीएम के दौरे के निरिक्षण पर आए थे, उनसे मुलाकात करनी चाही, लेकिन सीएम धामी उनसे नहीं मिले। इस पर कर्नल कोठियाल ने कहा कि जरुर कोई कारण होगा तभी मुख्यमंत्री धामी हमसे मिलना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि हो सकता है मुख्यमंत्री देव स्थानम बोर्ड की वजह से नहीं मिले, लेकिन यदि मुख्यमंत्री हमसे बात करते तो देवस्थानम बोर्ड को लेकर पंडा पुरोहितों के हित में कोई अच्छा निर्णय निकाला जा सकता था।
कर्नल कोठियाल ने कहा कि पंडा समाज भक्तों को भगवान से मिलाने का काम करते हैं, लेकिन आज पंडा समाज मुश्किल में है। हम सबको उनका साथ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं पंडा पुरोहित समाज खुश होकर नीचे उतरे। नहीं तो आम आदमी पार्टी की सरकार आते ही बोर्ड को भंग किया जायेगा। आप तीर्थ पुरोहितों का अपमान बिलकुल नहीं सह सकती। केदारनाथ से ही पंडा पुरोहित, टैक्सी चालक संघ और दुकानदारों सहित स्थानीय लोगों की जीविका जुड़ी है। ऐसे में देव स्थानम बोर्ड बिना पंडा समाज से पूछे बनाना उचित नहीं है।
केदारपुरी में कर्नल कोठियाल का तीर्थ पुरोहितों के किया भव्य स्वागत
आप सीएम प्रत्याशी कर्नल कोठियाल केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला के आमंत्रण पर केदारनाथ पहुंचे। जहां उन्होंने तीर्थ पुरोहितों से मुलाकात कर उनके बोर्ड भंग की मांग का पुरजोर समर्थन किया। इस दौरान विनोद शुक्ला ने कहा कि कर्नल कोठियाल के आने से हमारी आवाज और बुलंद होगी और सरकार को तीर्थ पुरोहितों की मांगो को मानना ही पड़ेगा। इसके अलावा कर्नल कोठियाल बीकेडीसी के सीईओ बीडी सिंह से भी मिले। जिन्होंने इस दौरान उन विषम परिस्थितियों को याद किया। जब कर्नल कोठियाल ने केदार पुरी का पुनर्निर्माण किया। 48 घंटे में पुल बनाया। जिसकी वजह से भगवान केदार की डोली उस पुल से पार जा पाई थी। उन्होंने कहा ऐसे समय पर केदारनाथ का पुनर्निर्माण कर्नल कोठियाल ने किया जब निर्माण के बारे में कोई सोच भी नहीं पा रहा था।
इस दौरान कर्नल कोठियाल ने तीर्थ पुरोहितों की आवाज उठाते हुए सीएम से मिलने की कोशिश की, लेकिन उनको मिलने नहीं दिया। इस पर उन्होंने कहा देवस्थानम बोर्ड पर सरकार किसी की बात नहीं सुनना चाहती। जिससे साफ होता है देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार तीर्थ पुरोहितों को बरगला रही है। अपनी मनमर्जी से सरकार फैसले ले रही और तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों से खिलवाड़ कर रही। इसीलिए तीर्थ पुरोहित समाज से नाराज है।
इस दौरान कर्नल कोठियाल से केदार समिति के वरिष्ठ सदस्य उमेश चंद्र पोस्ती ने मुलाकात की और कर्नल कोठियाल के लंबे समय बाद केदारपुर की आने पर उनका स्वागत करते हुए कहा अब आपके आने से हमारी मांग और आवाज बुलंद होगी। देवस्थानम बोर्ड पर कर्नल कोठियाल के उनको वहां आकर समर्थन देने पर उन्होंने कहा अब कर्नल कोठियाल के आने से हमको भरोसा हो गया कि हमारी मांग को बल मिलेगा और जल्द पूरी होगी। इसके अलावा उन्होंने कर्नल कोठियाल से क्या आप की सरकार आने से पहले ये देवस्थानम बोर्ड भंग होना चाहिए। साथ ही साथ इस बात की तस्दीक भी दे दी आने वाले समय में आप की सरकार उत्तराखंड में बनेगी।
पूर्व सीएम को लौटाया था वापस
गौरतलब है कि उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पांच नवंबर को दौरा है। इस दौरान वह केदारनाथ धाम जाएंगे और आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधि का लोकार्पण करेंगे। उनसे दौरे से पहले तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज का आंदोलन भी तेज हो गया है। चारों धामों में तीर्थ पुरोहित आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार एक नवंबर को को गंगोत्री बाजार बंद रखा गया। तीर्थ पुरोहितों ने श्रद्धालुओं की पूजा नहीं कराई। हालांकि श्रद्धालुओं ने गंगोत्री में दर्शन किए और स्वयं ही पूजा की। इसी दिन केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत तीर्थ पुरोहितों की नब्ज टटोलने के लिए दर्शन के बहाने गए तो उनका जमकर विरोध हुआ और उन्हें वापस लौटना पड़ा। हालांकि बाद में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोशल मीडिया में फोटो डालकर इसमें ये जताने का प्रयास किया कि उन्होंने केदार बाबा के दर्शन किए।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरा है। ऐसे में यदि रिपोर्ट पर बवाल होता है तो दिक्कत हो सकती है। इससे ऐन पहले अब नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है।
हाल ही में सरकार ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय समिति देवस्थानम विधेयक में उत्तराखंड शासन की ओर से उत्तराखंड के चारधामों से नौ तीर्थपुरोहितों, हक हकूकधारियों, विद्वतजनों और जाधकारों को नामित कर दिया गया है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन की ओर से शासनादेश जारी किया गया था। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी शासनादेश में चारों धामों से नौ सदस्य नामित किए गए हैं।
इसके तहत श्री बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री एडवोकेट ( ऋषिकेश), रवीन्द्र पुजारी एडवोकेट (कर्णप्रयाग- चमोली), केदारनाथ से विनोद शुक्ला, लक्ष्मी नारायण जुगडान, गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल, रवीन्द्र सेमवाल, यमुनोत्री धाम से पुरुषोत्तम उनियाल, राजस्वरूप उनियाल नामित हुए है।
शासनादेश में कहा गया है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानय प्रबंधन बोर्ड के समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के उपरांत संस्तुति के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति में उपरोक्त सदस्यों को नामित किया गया है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।