उत्तराखंड आंदोलनकारियों की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ेगी आप, कई लोगों ने थामा आप का दामन

रविंद्र जुगरान ने कहा कि आम आदमी पार्टी हर प्रकार से उत्तराखंड आंदोलनकारीयों को सम्मान दिलाने के लिए सड़क से सदन तक लड़ेगी। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारीयों को सरकारी सेवाओं में दिये जा रहे क्षैतिज आरक्षण का वाद वर्ष 2011 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में विचाराधीन था, किन्तु सरकारों की असंवेदनशीलता, लापरवाही, लचर पैरवी व इच्छा शक्ति के अभाव में उच्च न्यायालय उत्तराखंड ने वर्ष 2018 मार्च में 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण को निरस्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को चाहिए था की इस आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित करवाकर 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण के लिए कानून बनाती या फिर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देती। सरकार ने ऐसा नहीं किया। उल्टे वर्ष 2018 में ही उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शासनादेश जारी कर इसको समाप्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में अपर सचिव गृह की ओर से एक आदेश निकाल कर सरकारी सेवारत आंदोलनकारीयों को उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में नोटिस जारी किए जा रहे हैं। अब लगभग 14-15 वर्षों से सरकारी विभागों में सेवारत आंदोलनकारीयो की नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसके साथ ही राज्य लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड व अन्य विभागों से चयनित सैकड़ों आंदोलनकारी भी विगत 05 वर्षों से चयनित होने के बाद भी नौकरी से वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि इस समस्या का आसान समाधान था कि राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पारित कर एक्ट बनाती। साथ ही Reterospective / पूर्वगामी प्रभाव से कानून बनाती तो सभी सेवारत आंदोलनकारीयों की सेवा भी सुरक्षित रहती। सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसके बाबत सरकार को अनेक प्रकार से प्रत्यावेदन दिए गए।
रविंद्र जुगरान ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष हो या बीजेपी मेयर हो, अपनों को नौकरियां देने के लिए चोर दरवाजे का इस्तेमाल करते रहे। नियमों को दरकिनार करते रहे। जबज बात दूसरों के बच्चों की आती तो इनको सांप सूंघ जाता है। उन्होंने कहा इस मुद्दे पर पहले भी कई बार बीजेपी मंत्रियों से बात हुई, लेकिन हर बार आंदोलनकारीयों को दरकिनार किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि शहीदों व आंदोलनकारीयों की उपेक्षा का सबसे बड़ा प्रमाण है कि इस सरकार ने साढ़े 04 वर्षों में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद का भी गठन करने की आवश्यकता महसूस नहीं की। चिंताजनक, दुखद व आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि सरकार अपने शासनादेशों को भी उच्च न्यायालय में बचा नहीं पा रही है। जिनको उच्च न्यायालय निरस्त कर रहा है।
रविंद्र जुगरान ने बताया इस मुद्दे पर कल एक जुलाई को आम आदमी पार्टी उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारकों में जा कर शहीदों को नमन करेंगी। इस मौके पर उनके सम्मान में हुई घोषणाओं को पूरा करने का संकल्प लेगी। इस प्रेस वार्ता में एडवोकेट एवं राज्य आंदोलनकारी संजय बलूनी, रविंद्र आनंद मौजूद थे।
आप प्रभारी की मौजूदगी में कई लोग पार्टी में हुए शामिल
उत्तराखंड में आप पार्टी में लोगों के जुडने का सिलसिला लगातार बढता जा रहा है। आज आप प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया की मौजूदगी में और आप प्रवक्ता रविन्द्र आनंद के नेतृत्व में कैंट विधानसभा के अंतर्गत कैंट विधानसभा प्रभारी एवं बसपा जिला उपाध्यक्ष जसपाल सिंह ने अपने समर्थकों के साथ आप पार्टी का दामन थामा। इन सभी को आप प्रदेश प्रभारी ने पार्टी की टोपी पहनाकर सदस्यता दिलाई।
इस मौके पर आप प्रभारी ने कहा कि आज उत्तराखंड की जनता दोनों ही दलों से परेशान हो चुकी है। यहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं लेकिन राज्य गठन के इतने वर्षों बाद भी यहां के लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि कि आप पार्टी प्रदेश के नवनिर्माण के लिए संकल्पित है और दिल्ली की ही तर्ज पर उनकी पार्टी उत्तराखंड का विकास करेगी। इस मौके पर डा. अंसारी, अक्षय शर्मा भी मौजूद रहे।
ये हुए शामिल
इस दौरान पार्टी में शामिल होने वालों में बसपा जिला उपाध्यक्ष एवं कैंट विधानसभा प्रभारी जसपाल सिंह, सिख समाज संयोजक हरप्रीत सिंह, पूर्व प्रत्याशी कैंट राजेन्द्र सिंह, पूर्व कांग्रेस नेता संजय बिरला, राजेन्द्र पाल, लखविन्दर, सुरेन्द्र जीत, सुखमनी सेवा सोसाइटी की अध्यक्ष जसविंदर कौर, बीना, रंजीत, करमजीत, गुरमीत, दानिश, जसबीर, इकराम, इमरान, सोनू, विनय, तरुण, बिनोद वर्मा, राजीव आनंद कुमार आदि अन्य लोग आप पार्टी में शामिल हुए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।