आम आदमी पार्टी ने चमोली आपदा में रेस्क्यू की गति धीमी होने पर उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद कपरवाण ने एक प्रेस बयान में कहा कि ऋषि गंगा में आई जल प्रलय के विधवंस का दर्द अभी तक लोग भूले नहीं हैं । ऋषि गंगा में आई प्रलय में 200 से ज्यादा लोग पानी के सैलाब में बह गए, जिनमें से 62 शव अभी तक मिल चुके हैं और 142 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 13 दिन गुजर जाने के बाद भी रेस्क्यू का कार्य धीमी गति से चल रहा है। इस काम में सरकार को और भी तेजी दिखाने की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि इस प्रलय में दबे लोगों में से 27 मानव अंग अभी तक मिल चुके हैं और तपोवन सुरंग से सिर्फ 13 शव ही निकाले जाने में रेस्क्यू टीमों को सफलता हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि रैणी और आसपास के गांवों में लोगों ने कुदरत का जो कहर देखा उससे लोगों के दिलों में एक दहशत बैठ चुकी है। इससे निकलने में उन्हें लंबा वक्त लगेगा। शासन प्रशासन की नाकामी और लापरवाही से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक ने भी इस क्षेत्र का दौरा किया और उन्होंने भी शासन प्रशासन पर ढिलाई बरतने के आरोप लगाए।
विनोद कपरवाण ने कहा कि मृतकों के परिजनों को तत्काल सहायता राशि देनी चाहिए और जैसे आप सांसद ने राज्यसभा में पीड़ितों को 25 लाख देने की मांग की थी। आप सरकार से यही मांग करती मृतकों के परिजनों को 25- 25 लाख की सहायता राशि देनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में बड़े बांधों का विरोध सालों पहले से होता आया है। यहां के पहाडों का सीना चीरकर सुरंगे खोदकर बड़े बांधों का निर्माण किया जा रहा है, जो प्रकृति का दंश झेलने में सक्षम नहीं है।
उन्होंने कहा कि आप पार्टी विकास विरोधी नहीं है, लेकिन आप पार्टी का यह मानना है कि यहां के पहाड़ इतना दबाव झेलने में सक्षम नहीं हैं। भू वैज्ञानिक भी समय समय पर इस बात की तस्दीक कर चुके हैं। उन्होंने एनटीपीसी कंपनी पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर कंपनी समय पर ही उचित जानकारी रेसक्यू टीमों को मुहैया करा देती तो शायद कुछ और जानें बचाई जा सकती थी। दुख की बात है कि सुरंग में फंसे हुए लोगों तक रेस्क्यू टीमें जानकारी के अभाव की वजह से समय पर नहीं पहुंच पाई। जिस सुरंग और प्रोजेक्ट में कभी लोगों की भीड़ हुआ करती थी वहां से लाशें, मानव अंग मिल रहे हैं। जो काफी पीडादायक है।
उन्होंने कहा कि ऐसी पुनर्रावृति दोबारा ना हो, आप पार्टी ऐसी कामना करती है। साथ ही ये भी कहना चाहती है कि इस घटना से एक बार फिर से सरकार को सबक लेने की जरुरत है। अभी कई ऐसे बांध हैं जो उत्तराखंड में बनने प्रस्तावित हैं, लेकिन अगर हमने इस घटना से सबक नहीं लिया तो आने वाले समय में हमें और भी बड़े खतरों को झेलने के लिए खुद को तैयार रखना होगा।
उन्होंने कहा कि आगामी 24 और 25 फरवरी को मौसम विभाग अलर्ट जारी कर चुका है। ऐसे में रेसक्यू और मलबा हटाने में दिक्कतें पेश आएंगी। इसलिए आप पार्टी सरकार से अपील करती है कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी से काम हो और आने वाले भविष्य के लिए सरकार को ऐसे सिस्टम विकसित करने होंगे ताकि मानव जीवन को इन आपदाओं से बचाया जा सके।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया। आपदा में अब तक कुल 204 लोगों में 62 शव बरामद हुए हैं। 34 की शिनाख्त हो चुकी है। 28 की शिनाख्त नहीं हुई। 142 लोग लापता हैं। वहीं, 184 पशु हानि भी हुई।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।