Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 22, 2024

यादों में चलती साइकिलः गिरकर चोट लगी तो सजा दिया साइकिल के 43 लेखकों का गुलदस्ता

यादों में चलती साइकिल 43 लेखकों के संस्मरण का ऐसा खूबसूरत गुलदस्ता बन गया कि यदि कोई किताब का पहला पन्ना पढ़ेगा तो वह फिर बगैर रुके एक एक लेखकों के साइकिल को लेकर लिखे गए अनुभवों को पढ़ता चला जाएगा। साथ ही ये भी सोचने पर मजबूर होगा कि ये कहानी उसकी अपनी कहानी है। उसके साथ ही ऐसा ही हुआ। यादवेंद्र के संपादन में तैयार इस किताब का पहला संस्करण 2024 में हाल ही के दिनों में प्रकाशित हो चुका है। किताब हाथ में आते ही लगा कि इस पर कुछ लिखना चाहिए। लिखने से पहले ये भी बताया जाना चाहिए कि ये किताब 43 लेखकों के साइकिल को लेकर अनुभवों का गुदस्ता कैसे बनी। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे आया लेखक को ख्याल
किताब का आरंभ लेखक के साइकिल को लेकर अनुभवों से होता है। यादवेंद्र जी लिखते हैं कि वह साइकिल से कई बार गिरे। फिर भी उन्होंने रिटायरमेंट के बाद भी साइकिल चलानी नहीं छोड़ी। साथ ही लेखन के कार्य को जारी रखा। एक बार साइकिल से गिरकर उन्हें ऐसी चोट लगी कि कई दिन तक घर में ही चोट से उबरने का प्रयास करते रहे। फिर मन में ख्याल आया कि साइकिल को लेकर जैसे उनके अनुभव हैं, ऐसे तो ज्यादातर लोग होंगे। फिर ऐसे लोगों के अनुभव को एक किताब में पिरोकर गुलदस्ते का रूप क्यों ना दे दिया जाए। बस फिर तलाश हुई साइकिल पर लिखने वाले लोगों की। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

एक दिन अचानक आया फोन
मैं भानु बंगवाल हूं। मैं देहरादून में रहता हूं। करीब 33 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। इसमें 10 साल से ज्यादा अमर उजाला और 16 साल दैनिक जागरण में काम कर चुका हूं। वर्ष 2020 में उत्तराखंड डिजीटल हेड के पद से दैनिक जागरण से इस्तीफा दिया और अपना वेब न्यूज पोर्टल लोकसाक्ष्य (loksaakshya.com) चला रहा हूं। इसमें उत्तराखंड की खबरों के साथ ही देश व विदेश की बड़ी खबरों पर फोकस है। पोर्टल में साहित्य, राजनीति, क्राइम, विज्ञान, बिजनेस, खेल, धर्म, मनोरंजन, विज्ञान, शिक्षा, स्वास्थ्य, विदेश की खबरों सहित कई विषयों पर स्टोरी पर फोकस रहता है। पोर्टल में मैंने साइकिल के अनुभव को लेकर कई स्टोरी भी लिखी हैं। वर्ष 2023 को जून माह में एक दिन मुझे यादवेंद्र जी का फोन आया। उन्होंने बताया कि वह साइकिल को लेकर किताब तैयार कर रहे हैं। इसमें वह मेरी भी एक कहानी को लगाना चाहते हैं। इसकी अनुमति चाहिए। मैंने हामी भर दी। इस तरह से यादवेंद्रजी एक एक मित्रों को फोन करते रहे और साइकिल को लेकर कहानी संकलित करते रहे। पिछले साल जून माह से की गई उनकी मेहनत अब जाकर करीब एक साल में पूरी हुई और ‘यादों में चलती साइकिल’ के रूप में किताब का आकार ले गई। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

43 लेखकों के अनुभव
साइकिल चोरी की घटनाएं, साइकिल से गिरना, सुनहरा ख्वाब है साइकिल, खुशी बांटती साइकिल, चेन चढ़ाना हुनर, साइकिल की यादें। खटारा साइकिल, गांव में साइकिल, पंचर पंप कथा, समाजवादी साइकिल, जंगल में साइकिल सहित हर लेखकों के प्रसंग इस किताब में मिल जाएंगे। सच में इतने सारे लेखकों के अनुभवों को एक पुस्तक में समेटना कोई आसान काम नहीं है। पुस्तक अमन बुक प्रिंट्स दिल्ली-32 से मुद्रित की गई है। पुस्तक के लिए आप yapandey@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।  (जारी, अगले पैरे में देखिए)

यादवेंद्रजी के बारे में
1957 में बिहार में जन्मे यादवेंद्रजी की शुरुआती शिक्षा बिहार में ही हुई। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद वह केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की में 48 साल तक विज्ञानिक शोध कार्य से जुड़े रहे। तकनीकी कार्य के साथ ही वह प्रमुख राष्ट्रीय अखबारों, पत्रिकाओं में हिंदी में विज्ञान और सामयिक विषयों पर लेखन करते रहे। साथ ही बाद में साहित्यिक अनुवाद की ओर प्रवृत हुए। यायावरी, सिनेमा, फोटोग्राफी का उन्हें शौक है। उनकी अब तक नौ किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्तमान में वह बिहार के पटना में रहते हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page