एलिवेटेड रोड परियोजना से उत्पन्न समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन, की गई ये मांग
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के विरोध के साथ ही अब इससे पैदा हो रही समस्या को लेकर भी लोग चिंतित हैं। बस्ती बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने इन सड़कों के निर्माण से जुड़ी समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी देहरादून को ज्ञापन दिया। हालांकि, जिलाधिकारी को संबोधित ये ज्ञापन तहसीलदार सदर सुरेन्द्र देव को सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर एलिवेटेड रोज बनाने का प्रस्ताव है। इस परियोजना के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने भी पारित किया है। वहीं, कई विपक्षी दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से इन सड़कों का विरोध हो रहा है। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में पेड़ों के कटाने से देहरादून का पर्यावरण बिगड़ेगा। साथ ही नदी किनारे की बस्तियों के कई घरों में बुलडोजर चलेगा। मांग ये भी की जा रही है कि प्रभावितों को समुचित मुआवजा दिया जाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। कई माह से इस परियोजना को लेकर प्रदर्शन भी हो रहे हैं। वहीं, ये मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में प्रस्तावित रिस्पना और बिंदाल एलिवेटेड रोड परियोजना को लेकर इससे प्रभावित लोग खुश नहीं हैं। सरकार ने उनके साथ वादाखिलाफी की है। स्वयं मुख्यमंत्री ने स्थानीय निकाय चुनाव 2025 में लोगों को आश्वस्त किया था कि उन्हें विस्थापित नहीं किया जाएगा। चुनाव जीतने के कुछ समय बाद ही एलिवेटेड रोड परियोजना यह कर स्वीकृत की गई कि इससे देहरादून की यातायात व्यवस्था सुधरेगी तथा जाम की समस्या होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि कुछ वर्ष पहले देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने की परियोजना लागू कर यह गया कि यह योजना देहरादून को व्यवस्थित करेगी। इस योजना के नाम पर हजारों पेड़ों को काटा गया। करोड़ो करोड़ खर्च किए गए, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात निकला। देहरादून को अतिक्रमण मुक्त करने के नाम पर जगह – जगह निम्न मध्यवर्गीय परिवारों, मेहनत कश, झुग्गी झोपड़ियों तथा फुटपाथ व्यवसासियों को लक्षित कर अभियान चलाया जा रहा है। इसके विपरीत बड़े व प्रभावशाली लोगों को हर स्तर पर छूट है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया है कि रिस्पना-बिन्दाल के सन्दर्भ में हाईकोर्ट एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशानिर्देशों एवं चिन्ताओं के बावजूद भी एलिवेटेड रोड जैसी भीमकाय परियोजना को लाकर पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचेगी। साथ ही हजारों परिवारों पर विस्थापन का खतरा बना है। इसकी जद में सर्वाधिक समाज का कमजोर हिस्सा प्रभावित हो रहा है। ऐसे लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार एलिवेटेड परियोजना पर 6200 करोड़ रुपये का खर्च होना है। इसमें रिस्पना में 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी में 15 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है। इसके तहत 2500 से अधिक पेड़ कटने के साथ ही लगभग 25 हजार लोगों का विस्थापन होना है। इनमें रिस्पना नदी किनारे करीब एक हजार और बिंदाल नदी के किनारे 15 सौ के करीब मकान हैं। वास्तविकता इससे हटकर है। इस मामले में हुई जनसुनवाई के दौरान प्रभावितों ने जो आपत्तियां लगाई, उन पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कहा गया कि सरकार एवं जिला प्रशासन ने पर्यावरणविदों, जानकारों के सुझावों को दरकिनार किया। इन सुझावों में उन्होंने पर्यावरण, देहरादून में बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं तथा मसूरी, धनोल्टी में भी इस रोड के दुष्प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित किया था। यही नहीं, बस्तियों में रहने वाले लोगों को जमीन और मकान के मालिकाना हक की मांग को लेकर एक लाख हस्ताक्षर ये युक्त ज्ञापन एकत्रित किये जा रहे हैं, जो आने वालों दिनों में मुख्यसचिव को दिए जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन देने वाले प्रमुख लोगों में बस्ती बचाओ आंदोलन के संयोजक अनन्त आकाश, जनवादी महिला समिति की उपाध्यक्ष नुरैशा अंसारी, विप्लव अनन्त, सुबेदार बाग सिंह, माला, सुनीता, सुरेशी, फरीदा, कमरजहां खालिक, इमरन, महेश, दिनेश कुमार, पुष्पा, प्रमिला, शरीक आदि प्रभावित शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन के बिन्दु
(1) एलिवेटेड रोड में सभी प्रभावितों को सूचीबद्ध किया जाए।
(2) सभी प्रभावितों को कब्जे के आधार पर पुर्नवास, मुआवजा तथा रोजगार दिया जाए।
(3) एलिवेटेड रोड परियोजना में प्रभावितों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों तथा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुरूप व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
(4) बिन्दाल -रिस्पना में कुछ प्रभावशाली लोगों बड़े बड़े कब्जे हैं। उनके खिलाफ समुचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
(5) अतिक्रमण हटाने के नाम पर फुटपाथ व्यवसायियों के उत्पीड़न को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
(6) रिस्पना-बिन्दाल के बाढ़ प्रभावित के लिए समुचित सहायता सुनिश्चित की जाए।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।



