मूल निवास, स्थायी राजधानी और सशक्त भूकानून को लेकर उत्तराखंड के गैरसैंण में एक सितंबर को होगी महारैली
उत्तराखंड में मूल निवास, स्थायी राजधानी और सशक्त भू कानून बनाने की मांग को लेकर आगामी एक सितम्बर को गैरसैंण में स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया जा रहा है। इसकी तैयारियों को लेकर मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की टीम जनसंपर्क में जुटी हुई है। इस टीम की ओर से आम जनता को मूल निवास, स्थायी राजधानी गैरसैंण और भू-कानून को लेकर जागरूक किया जा रहा है। दावा किया गया है कि रैली को सफल बनाने के लिए संघर्ष समिति की टीम पिछले एक हफ़्ते से रुद्रप्रयाग, गौचर, कर्णप्रयाग, सिमली, आदिबद्री, दिवालीखाल, गैरसैंण, माईथान, मेहलचौरी, आगराचट्टी सहित कई स्थानों पर सैकड़ों लोगों से मुलाकात कर चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि गैरसैंण पहाड़ की आत्मा है। गैरसैंण-भराड़ीसैण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने के लिए आंदोलनकारी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार ने इस स्थान को पिकनिक स्पॉट बना दिया है। यहां कभी कभार विधानसभा सत्र के नाम पर सिर्फ सैर-सपाटा ही होता है। सरकार यहां पर सचिवालय का निर्माण नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक शहीदों की भावनाओं के अनुरूप गैरसैंण राजधानी नहीं बन जाती, हम लोग चैन से नहीं बैठेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मोहित डिमरी ने कहा कि लंबे समय से मूल निवास 1950 से लागू करने की मांग चल रही है। मूल निवास न होने से बाहर से आये लोग हमारी नौकरियों पर डाका डाल रहे हैं। उत्तराखंड में वे आसानी से जमीनें खरीद रहे हैं। ठेकेदारी तक बाहर से आने वाले लोग कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी बाहर के लोग रहे हैं। सारे संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का मूल निवासी अपने राज्य में अल्पसंख्यक होने जा रहा है। उसकी अपने राज्य में कोई हैसियत नहीं रह गई है। जमीन, नौकरी, संस्कृति, संसाधन सब खतरे में है। हमें अपने राज्य में अपने अस्तित्व को बचाना है तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना होगा और अपने अधिकार लेने होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्थायी राजधानी गैरसैंण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसकी अपनी स्थायी राजधानी नहीं है। देहरादून के रिस्पना में एक राजधानी है और रायपुर में दूसरी राजधानी बनाई जा रही है। गैरसैंण में भी राजधानी बनाई गई है। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने से सरकार बच रही है। जब भी गैरसैंण में सत्र कराने की बात होती है तो विधायकों को ठंड लगती है। अब लगता है कि राज्य निर्माण की अवधारणा ही खत्म हो गई है। सरकार को इस विधानसभा सत्र में स्थायी राजधानी का प्रस्ताव पारित कर देना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर संघर्ष समिति की टीम ने गांवों-बाजारों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और आम जनों से मुलाकात की और पर्चे बांटें। उन्होंने लोगों से 01 सितम्बर को सुबह 10 बजे गैरसैंण पहुँचने का आह्वान किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।