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December 23, 2024

एचआईएचटी में भव्यता से मनाया डॉ. स्वामी राम का महासमाधि दिवस, तरुण भारत संघ को स्वामी राम मानवता पुरस्कार

देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित एचआईएचटी संस्थापक डॉ. स्वामी राम जी का 28वां महासमाधि दिवस समारोह भव्यता के साथ मनाया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि पद्मश्री स्वामी भारत भूषण (योगी) ने कहा कि एचआईएचटी संस्थापक डॉ.स्वामी राम जी विश्व की धरोहर हैं। स्वामी जी मानवता सेवा के वह संवाहक रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सोमवार को एचआईएचटी संस्थापक डॉ.स्वामीराम के 28वें महासमाधि दिवस पर आयोजित समारोह में पद्मश्री स्वामी भारत भूषण (योगी) ने कहा कि ‘प्रेम, सेवा व स्मरण’ की मूल भावना के उद्देश्य से डॉ. स्वामी राम ने 1989 में हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की स्थापना की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एचआईएचटी के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने संस्थापक डॉ. स्वामी राम से जुड़े संस्मरणों को साझा किया। इसके साथ ही एचआईएचटी के गौरवमयी इतिहास पर प्रकाश डाला। डॉ. धस्माना ने कहा कि संस्थान स्वामी जी के उद्देश्य के अनुसार ही जन सेवा के पथ पर अग्रसर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

सामाजिक कार्यों को समर्पित संस्था ‘तरुण भारत संघ, अलवर, राजस्थान’ को ‘स्वामी राम मानवता पुरस्कार-2023’से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के रुप में संस्था को दस लाख रुपए, एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। तरुण भारत संघ के संस्थापक डॉ. राजेंद्र सिंह ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समारोह में संस्थान से जुड़े 35 कर्मचारियों को ‘उत्कृष्ट कर्मचारी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इस दौरान एचआईएचटी के वार्षिक कैलेंडर-2024 का विमोचन भी किया गया। समारोह के आखिर में प्रति कुलपति डॉ.विजेंद्र चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके बाद दोपहर में आयोजित भंडारे में करीब चार हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इससे पहले स्वामी राम सेंटर में ट्रस्ट के संस्थापक ब्रह्मलीन डॉ.स्वामीराम को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस दौरान स्वामी राम साधक ग्राम के प्रमुख स्वामी ऋतुवान भारती, पूर्व कुलाधिपति डॉ.मोहन स्वामी, विक्रम सिंह, कुलपति डॉ. राजेंद्र डोभाल, डॉ. प्रकाश केशवया, डॉ. रेनू धस्माना, डॉ. सुनील सैनी, कुलसचिव डॉ. सुशीला शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी, डॉ. अशोक देवराड़ी, डॉ. मुश्ताक अहमद आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति द्विवेदी ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

तरुण भारत संघ को स्वामीराम मानवता पुरस्कार
समारोह में वर्ष 2003 से हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) देशभर में आर्थिक, पर्यावरण, विज्ञान संबंधी, सामाजिक व आध्यात्मिक क्षेत्र में समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली किसी एक प्रतिष्ठित संस्था अथवा व्यक्ति को स्वामी राम मानवता पुरस्कार प्रदान कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एचआईएचटी के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व एसआरएचयू जॉलीग्रांट के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि इस वर्ष स्वामी राम मानवता पुरस्कार-2023 सामाजिक कार्यों को समर्पित संस्था ‘तरुण भारत संघ, अलवर, राजस्थान’ को ‘स्वामी राम मानवता पुरस्कार-2023’ से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के रुप में संस्था को दस लाख रुपए, एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तरुण भारत संघ के संस्थापक डॉ. राजेंद्र सिंह ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। यह सम्मान पर्यावरण व जल संरक्षण, जैविक खेती सहित ग्राम स्वाराज्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। तरुण भारत संघ की स्थापना वर्ष 1975 में की गई। पानी की किल्लत से जूझ रहे करीब 1000 गांवों में पानी पहुंचाने में कामयाब रहा है। उनकी इस उपलब्धि के लिए संस्थापक डॉ. राजेंद्र सिंह को ‘भारत के जलपुरुष’ के नाम से भी जाना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजस्थान सहित महाराष्ट्र और कर्नाटक में 13 नदियों के पुनरुद्धार के साथ 1200 से अधिक गांवों को जल-सुरक्षित बनाने के लिए 13,800 जल संरचनाओं का निर्माण करवाया। वर्ष 2015 में 60 देशों में जल नैतिकता, न्याय और विश्व शांति यात्रा का शुभारंभ किया। इन उपलब्धियों के लिए वर्ष 2001 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 2015 में नोबेल पुरस्कार के बराबर स्टॉकहोम वाटर अवार्ड, 1018 में यूनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ कॉमन्स से अहिंसा पुरस्कार, 2019 में यूएसए में अर्थ रिपेयर अवार्ड और 2019 में पृथ्वी भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

हमेशा से प्रेरणा रहे डॉ. स्वामीराम
तरुण भारत संघ के संस्थापक डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि परम श्रद्धेय गुरूदेव डॉ. स्वामी राम ने शिक्षा एंव स्वास्थ्य के माध्यम से समाज को जो दिशा दी वह बेमिसाल है। विज्ञान व अध्यात्म के बल पर सामाजिक सेवा का उच्च उदाहरण स्वामी जी ने दिया। वह हमेशा से समाज के लिए प्रेरणा रहे हैं और रहेंगे। उनके नाम से सम्मान पाना मेरे लिए लिए गर्व की बात है। समाज सेवा के लिए हमारी प्रतिबद्धता और मजूबत होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विश्व की धरोहर
पद्मश्री स्वामी भारत भूषण (योगी) ने कहा कि एचआईएचटी संस्थापक डॉ.स्वामी राम जी विश्व की धरोहर हैं। स्वामी जी मानवता सेवा के वह संवाहक रहे। हम स्वामी जी की प्रेरणा से उनके दिखाए मार्ग पर चल रहे हैं।
डॉ. स्वामीराम के विचारों को आत्मसात कर नव भारत का निर्माण
एसआरएचयूएच के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि आईएचटी की पहचान गुरुदेव स्वामी राम जी की तपस्थली के रुप में है। स्वामी जी की विचारधारा ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ के ध्येय के साथ सामाजिक उत्थान में एचआईएचटी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उनके विचारों को आत्मसात कर नव भारत के निर्माण को नया स्वरूप दिया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एसआरएचयू के ‘उत्कृष्ट कर्मचारी पुरस्कार’-2023
क्लीनिशियन अवॉर्ड- डॉ. विपुल नौटियाल, डॉ. मानसी काला।
एडमिनिस्ट्रेटीव स्टाफ अवॉर्ड- रूपेश मेहरोत्रा, विनय चतुर्वेदी, नितेश कौशिक, विनय प्रभाकर।
नर्सिंग स्टाफ अवॉर्ड- शिवदयाल शर्मा, नीरज कुमार शर्मा, पवन कुमार शर्मा, तान्या, संजय शाह, संतोषी रावत।
बेस्ट पैरामेडिकल अवॉर्ड- मुकेश कुमार, जितेन्द्र कुमार, देवी राम, प्रवीन कुमार।
ऑफिस स्टाफ अवॉर्ड- गौरव रतूड़ी, हिमांशु नेगी, सुरेन्द्र सिंह पंवार, दीपक कुमार, रवीश चंद नौटियाल।
सपोर्टिंग स्टाफ अवॉर्ड– फरजाना अंसारी, संजय गोयल, जरनैल सिंह सैनी, अशोक पोखरियाल, राकेश उनियाल, यशपाल सिंह बुटोला, धीरेन्द्र सिंह, शांति नौगाई, अनूप कुमार, दिनेश कुमार तिवारी, शूरवीर सिंह चौहान, राकेश सिंह सोलंकी, रघुवीर सिंह पंवार।
आरडीआई स्टाफ अवॉर्ड- राज कुमार वर्मा।
विशेष पुरस्कार- डॉ. केसी मिश्रा, डॉ. वीपी पाठक, डॉ. पीके सचान, डॉ. सैम्युल डोरासामी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. स्वामी राम जी का जीवन परिचय
स्वामीराम को लोग एक संत, समाजसेवी, चिकित्सक, फिलोसफर, लेखक के रुप में जानते हैं। लेकिन इन सबसे इतर दुनिया उन्हें मानव सेवा के संदेश वाहक के रुप में भी जाना जाता है। वर्ष 1925 में पौड़ी जनपद के तोली-मल्ला बदलपुर पौड़ी गढ़वाल में स्वामीराम का जन्म हुआ। किशोरावस्था में ही स्वामीराम ने संन्यास की दीक्षा ली। 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया। गुरू के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे। 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

स्वास्थ्य सुविधाओं से महरुम उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामीराम ने सपना देखा था। उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया 1989 में। इसी वर्ष उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की स्थापना की। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्त्य सुविधाओं के पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) व 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी जी ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए। इसके बाद स्वामी जी के उद्देश्य व सपनों को साकार करने का जिम्मा उठाया ट्रस्ट के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. धस्माना की अगुवाई में संस्थान निरंतर कामयाबी के पथ पर अग्रसर है। 2007 में कैंसर रोगियों के लिए अत्याधुनिक अस्पताल कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यट (सीआरआई) की स्थापना की। 2013 में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए जॉलीग्रांट में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) स्थापना की गई। इसके तहत विश्वविद्यालय की जॉलीग्रांट व तोली पौड़ी में सभी शिक्षण संस्थाएं संचालित की जा रही हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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