यौन उत्पीड़न, गंगा जल और राज्य सरकार की खनन नीति पर उत्तराखंड कांग्रेस ने बोला हमला
1 min readउत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य और केंद्र की सरकारों की नीतियों पर कड़ा सियासी हमला बोला। प्रेस वार्ता में उन्होंने यौन उत्पीड़न के मामलों में सरकार को घेरा। साथ ही गंगा जल और खनन नीति पर राज्य सरकार को घेरा। दसौनी ने कहा कि हल्द्वानी के दृष्टिबाधित नाबालिग छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न करने वाले पर राज्य सरकार मौन क्यों है। दसौनी ने कहा की नवरात्रि में बालिकाओं के सम्मान से जुड़ी बड़ी-बड़ी बातें करने वाली सत्तारूढ़ दल की महिला नेत्रियों को सांप सूंघ गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि महिला एवं बाल विकास मंत्री महिला होने के बावजूद इस पूरे प्रकरण पर सन्नाटे में क्यों है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि विकृत मानसिकता का व्यक्ति, जो वर्षों से दृष्टिबाधित संस्था में नाबालिग बच्चियों के साथ अश्लीलता की सारी हदें पार कर चुका है, उसकी शिकायत मिलने के बावजूद हल्द्वानी पुलिस डेढ़ महीने तक फाइल को दबाकर क्यों बैठी रही। राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने केंद्र सरकार की ओर से गंगाजल पर 18 पर्सेंट जीएसटी लगने वाले आदेश की भी कड़ी निंदा की। कहा कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जब मुखरता से केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरा, तब कहीं जाकर गंगाजल को बेचने का मन बना चुकी भाजपा सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी उत्तराखंड आते हैं तो केदार बाबा ने बुलाया है, गंगा मैया ने बुलाया है और उत्तराखंड से गहरे संबंधों की बात करते हैं। वहीं, पैसे की भूख ने जैसे भाजपा की सोचने समझने की शक्ति खत्म कर दी है। आज वह हमारे पवित्र गंगाजल को भी महंगा बेचने का कुत्सित प्रयास कर रही है। ऐसा ही कुछ निशंक सरकार में तत्कालीनन पर्यटन मंत्री मदन कौशिक की ओर से भी प्रस्ताव लाया गया था, जिसका उत्तराखंड वासियों ने पुरजोर विरोध किया। तब निशंक सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने राज्य सरकार की खनन नीति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश की आर्थिकी और राजस्व बड़े पैमाने पर आबकारी और खनन पर निर्भर करते हैं। फिर ऐसा क्यों है कि राज्य सरकार के पास कोई ठोस खनन नीति नहीं है। हर बार वह सवालों के घेरे में रहती है। उसे उच्च न्यायालय के सामने मुंह की खानी पड़ती है। दसौनी ने कहा कि बीते रोज ही उच्च न्यायालय से धामी सरकार को खनन नीति के मामले में करारा झटका दिया है। इसमें ई टेंडरिंग की प्रक्रिया पर उच्च न्यायालय की ओर से रोक लगा दी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक याचिकाकर्ता की आपत्ति पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सख्त निर्देश देते हुए राज्य सरकार से कहा है कि पर्यावरण प्रभाव का मूल्यांकन नहीं कराया गया है तो ई टेंडर प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया जाए। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जिस खनन पर राज्य निर्भर कर रही है, क्या सरकार के पास एक भी सुलझा हुआ अधिकारी नहीं है, जो राज्य सरकार को ठोस और फूल प्रूफ खनन नीति डिजाइन करके दे सके।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।