अब बगैर तार से घर में पहुंचेगी बिजली, भारत में शुरू हुआ प्रयोग, जानिए कैसे करता है ये सिस्टम काम
बगैर तार के घर घर बिजली की परिकल्पना अब साकार होने जा रही है। आपने बिजली को खम्भों और तारों के जरिये आते देखा होगा। अब अपने भारत देश में भी बिना तार के बिजली जलते देख पाएंगे। बता दे कि हरियाणा के एक जिले में बिना तार के हर घर में बिजली जाएगी। इसमें तार और पोल की जरुरत नहीं रहेगी। इससे हवा, आंधी के दौरान तार टूटने की समस्या भी खत्म हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हरियाणा के हिसार में वायरलेस बिजली
हरियाणा के हिसार में सबसे पहले वायरलेस बिजली आएगी। बता दे कि वायरलेस बिजली का पायलट प्रोजेक्ट हिसार में शुरू हो रहा है। इस प्रोजेक्ट से हिसार वायरलेस पावर सप्लाई का शहर बन जाएगा। इस प्रोजेक्ट की पहल ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह और पल्ली पुरोहित डॉ. ने की है। इसके आलावा कमल गुप्ता ने भी इसकी स्वीकृति दी है। जिससे इस परियोजना का काम शुरू हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी ने की घोषणा
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के पहले वायरलेस शहर बनने जा रहे हिसार में पायलट प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू हो गया है। इससे बहुत बड़े स्तर पर प्रौद्योगिकी और नवीन सौर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके वायरलेस बिजली दी जायेगी। इसके आलावा सोलर रूफ टॉप पोर्टल और आरडीएसएस कार्यक्रम के बारें में भी उन्होंने ऐलान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूएस नेवल रिसर्च लेबोरेटरी ने किया परीक्षण
यूएस नेवल रिसर्च लेबोरेटरी (एनआरएल) ने मैरीलैंड में यूएस आर्मी रिसर्च फील्ड में माइक्रोवेव बीम का उपयोग करके 1 किलोमीटर से अधिक 1.6 किलोवाट बिजली को पहुंचाया। इस परियोजना में शामिल वैज्ञानिक ने बताया कि इसका सिद्धांत काफी सरल है। बिजली को माइक्रोवेव में परिवर्तित किया जाता है। इसे बाद में रेक्टेना एलिमेंट से बने रिसीवर पर एक बीम में केंद्रित किया जाता है। ये बहुत ही सरल घटक है, जिनमें एक आरएफ डायोड के साथ एक एक्स-बैंड डाईपोल एंटीना होता है। जब माइक्रोवेव रेक्टेना से टकराते हैं तो एलिमेंट करंट उत्पन्न करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय जांच रहा प्रोजक्ट की व्यवहारिकता
अडवांस कॉन्सेप्ट ग्रुप के प्रमुख क्रिस्टोफर रोडेनबेक के नेतृत्व में एनआरएल टीम को रक्षा विभाग ने एक सेफ एंड कन्टिन्यूअस पावर बीमिंग- माइक्रोवेव (SCOPE-M) प्रोजक्ट को विकसित करने का काम सौंपा था। उनका मिशन इस तरह की तकनीक और उसकी व्यवहारिकता का पता लगाना था। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक संदेह के बावजूद, माइक्रोवेव बीमिंग आश्चर्यजनक रूप से कुशल साबित हुई है। ऐसे में इस तकनीक पर आगे भी काम किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निकोल टेस्ला ने 150 साल पहले की थी परिकल्पना
1890 के दशक में सबसे पहले टेस्ला ने ही बिना तार के पावर की सप्लाई की परिकल्पना की थी। इसके लिए उन्होंने ‘टेस्ला कॉइल’ नाम की एक ट्रांसफार्मर सर्किट पर काम भी किया था, जो बिजली को पैदा करता था, लेकिन वो ये साबित नहीं कर सके कि वह लंबी दूरी पर बिजली के एक बीम को नियंत्रित कर सकता है। तभी से दुनियाभर के वैज्ञानिक आज तक बिना तार के बिजली सप्लाई करने का कारगर तरीका खोज रहे हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।