क्या पृथ्वी के आरपार हो सकता है छेद, इसमें गिरे इंसान का क्या होगा, गति रुकने पर इंसान पहुंचेगा अंतरिक्ष में, जानिए उत्तर
विज्ञान ऐसा विषय है कि इसे जितना पढ़ा जाए उतना कम है। हम यहां हमारी पृथ्वी के संबंध में कुछ जिज्ञासाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे। ये जानकारी हमने अलग अलग अध्ययनों से जुटाई है। इसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या हमारी पृथ्वी में आरपार छेद दिया जा सकता है। यानि धरती पर ऐसा छेद किया जाए, जिससे इंसान भारत से सीधे दूसरे छोर अमेरिका पहुंच जाए। इसी तरह का सवाल ये है कि यदि पृथ्वी झुकी ना हो तो क्या होगा। यदि अचानक पृथ्वी घूमना बंद कर दे तो क्या संभावनाएं हैं। यहां इसी तरह के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पृथ्वी के आरपार छेद करना कितना संभव
पृथ्वी में आरपार छेद करने की बात करने से पहले आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही चीन ने सात मिल तक ड्रिल करने का अभियान शुरू किया है। इसके जरिए चीन 145 मिलियन साल पुरानी चट्टानों तक पहुंचना चाहता है। इसमें पहली लेयर द क्रस्ट 40 माइल्स, दूसरी अपर लेयर 217 माइल्स, लॉअर लेयर 1550 माइल्स, आउट कोर 1367 माइल्स और इनर कोर सॉलिड लेयर 746 माइल्स मोटी है। ऐसे में आरपार छेद करने के लिए करीब 4 हजार माइल्स छेद करना होगा। इसके बाद दूसरी छेद हो जाएगा। वैसे भी चीन ने भी 7 माइल्स का ही लक्ष्य रखा है। तो कहा जा सकता है कि आरपार छेद करना मुश्किल है। ऐसे में पृथ्वी की पहले एक लेयर को पार करना भी काफी मुश्किल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसलिए है असंभव
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में रिटायर्ड सायंटिस्ट डॉ. शशिकांत वाडेकर ने अपने लेख में ऐसी ही रोचक जानकारी दी हैं। उनके मुताबिक, पृथ्वी के आरपार छेद करने के लिए हमे 12742 किमी का छेद करना होगा। पृथ्वी के तीन प्रमुख स्तर होते है। उपरी परत भू पर्पटी या लिथोस्फियर जो 35कि. मी. होती है। उसके नीचे आवरण या मेंटल जो 2890 कि. मी. तक रहता है। सबसे अंदर का हिस्सा बाह्य कोर और भीतरी कोर, जो लोहा और निकल धातू की तरल तथा ठोस अवस्था में होता है। उपर का भू पटल छेदने से ही तप्त लाव्हा, ज्वालामुखी की तरह बाहर आ जायेगा। पृथ्वी के केंद्र में अति दबाव के कारन पिघला हुआ लोहा तक सख्त और ठोस बन जाता है। अत: आरपार छेद करना संभव नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यदि पृथ्वी के बीचोंबीच छेद में इंसान कूदे तो
यदि एक छेद पृथ्वी के बीचों बीच किया जाता है। ये छेद दूसरी तरफ पहुंचता हो, तो जब कोई व्यक्ति इसमें कूदेगा तो उसका क्या होगा। या यदि कोई पृथ्वी के मध्य से एक छेद करता है तो दूसरी तरफ उसके पहुंचने की संभावना क्या होगी। हालांकि, ये काल्पनिक सवाल है, लेकिन इसका जवाब वैज्ञानिक है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब कोई इस सुरंग में गिरेगा तो उनका प्रारंभिक त्वरण (acceleration) गुरुत्वाकर्षण का सतही त्वरण होगा। अर्थात 9.8 m/s^2 के हिसाब से। पृथ्वी के केंद्र की तरफ पहुंचते हुए उनका त्वरण लगातार कम होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अनंतकाल तक करता रहेगा दोलन
पृथ्वी के केंद्र में पहुचने पर शून्य गुरुत्वाकर्षण और उनका वज़न भी शून्य होगा। इस दौरान वह 17700 मील प्रति घण्टे या 7900 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से गिरते हुए पृथ्वी के ज्योमितिय केंद्र में पहुंचने पर वे कुछ समय खुद को भारहीन महसूस करेगा। करीब 42.25 मिनट बाद वह दूसरे छोर तक पहुंच जाएगा। अगर उस व्यक्ति को वहां कोई पकड़ेगा नहीं तो वह वापस पहले छोर की तरफ अपनी यात्रा शुरू कर देगा। इस तरह वह दोलन करता रहेगा। उसकी एक छोर से दूसरे छोर तक की यात्रा कुल 84.5 मिनट की होगी। ऐसे में वह अनंतकाल तक ये सरल आवर्त गति करता रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यदि धुरी पर पृथ्वी झुकी नहीं होती तो
यदि पृथ्वी धुरी पर झुकी नहीं होती तो पृथ्वी पर ऋतुचक्र नही होता। पूरे साल तक एक ही प्रकार के जलवायुमान का अनुभव होता। पृथ्वी पर अलग-अलग विभाग है। जैसे उष्ण कटिबंध ( कर्करेखा से मकर रेखा तक), समशीतोष्ण कटिबंध कर्करेखा से उत्तर ध्रुवरेखा तक और मकररेखा से दक्षिण धृवरेखा तक), ध्रुवीय कटिबंध ( उत्तर धृवरेखा से उत्तर ध्रुव तक और दक्षिण ध्रुवरेखा से दक्षिण ध्रुव तक)। पृथ्वी अगर झुकी हुई ना होती, तो ऐसे कटिबंध ना होते। विषुवरेखा से ध्रुवों तक समान जलवायुमान होता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जीवन की संभावना रहती कम
ऋतुचक्र ना होने से शायद पृथ्वी पर जीवन भी उत्पन्न ना होता। क्यों की सजीवों के लिए गर्मी, वर्षा और सर्दी ये तीनो आवश्यक होते हैं। और अगर होते भी, तो जीवन की पद्धति अलग होती। पृथ्वी पर बहुत पशु-पक्षी ऋतुओं के अनुसार अनुकूल स्थान पर स्थलांतर करते है। ना झुकी हुई पृथ्वी पर अगर ये पशु-पक्षी होते, तो उनको स्थलांतर करने की जरूरत ना पड़ती। अब पृथ्वी पर दिन और रात के समय में ऋतुओं के अनुसार बदलाव आता है। हमारे भरत में ( या उत्तर गोलार्ध में) गर्मी मे दिन का समय बढ़ता है और सर्दी मे कम होता है। पृथ्वी झुकी हुई ना होती तो सारे पृथ्वी पर हर रोज समान दिन रात होते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अगर पृथ्वी 10 सेकंड के लिए रुक जाए तो
गति के प्रथम नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु स्थिर है तो वह स्थिर रहने का प्रयास करती है और वह गतिमान है तो वह गतिमान रहने का प्रयास करती है। जैसे हम किसी बस में बैठे हैं तथा बस चल रही हो और अचानक से ड्राइवर बस के ब्रेक लगा दे तो हमें आगे की ओर धक्का लगता है। कई बार हम गिर जाते हैं। इस घटना में गति का प्रथम नियम कार्य करता है। इससे ही पृथ्वी के रुकने की घटना को समझ सकते हैं। क्योंकि पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर गतिमान हैं। इस कारण इसके प्रत्येक वस्तु एवं व्यक्ति भी गतिमान हैं। यदि पृथ्वी घूमना बंद कर दे, या रुक जाए तो गति का प्रथम नियम कार्य करेगा। अर्थात पृथ्वी रुक जाएगी, लेकिन इसकी प्रत्येक वस्तु एवं व्यक्ति गतिमान रहने का प्रयास करेंगेष इसलिए पृथ्वी पर उपस्थित प्रत्येक वस्तु एवं व्यक्ति कुछ ही समय में जिस गति से पृथ्वी गति कर रही थी, उसी गति से धक्के की तरह अंतरिक्ष में पहुंच जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसी गतिविधियां संभव
भूमध्य रेखा पर, पृथ्वी की सतह और उस पर सब कुछ 465 मीटर प्रति सेकंड पर घूम रहा है। जैसे-जैसे आप ध्रुव के करीब जाते हैं, यह गति धीरे-धीरे कम होती जाती है। जैसे ही पृथ्वी घूमना बंद कर देती है, पृथ्वी पर (ध्रुव को छोड़कर) सब कुछ वैसा ही चलता रहेगा जैसा वह था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह की हो सकती हैं घटनाएं
-यदि आप भूमध्य रेखा के पास हैं तो आपका शरीर 465 मीटर प्रति सेकंड की सुपरसोनिक गति से पूर्व में उड़ान भरेगा।
-आप केवल ध्रुवों (poles) पर (कुछ सेकंड के लिए) जीवित रह सकेंगे।
-विशाल सुनामी आएगी और सारा पानी ध्रुव की ओर बढ़ने लगेगा।
-पृथ्वी का आधा हिस्सा पूरी तरह से सूरज के संपर्क में होगा, जो तापमान बढ़ाएगा। वहीं, दूसरा हिस्सा जम जाएगा।
-हवा की गति परमाणु बम के झटके से तेज होगी। यह तुरंत ग्रह के चारों ओर आग लगाना शुरू कर देगी।
-पृथ्वी के केंद्र में मौजूद लोहे का कोर भी बंद हो जाएगा। इस तरह सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र अब नहीं रहेगा।
-सूरज से रेडियोधर्मी किरणें पृथ्वी पर प्रवेश करती हैं और बचे हुए सभी चीजों को मार देती हैं।
-आपका वजन 0.3 प्रतिशत बढ़ जायेगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।