उत्तराखंड में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए 20 जून को राज्यभर में धरना देंगी तीन वामपंथी पार्टियां
उत्तराखंड में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए राज्यभर में 20 जून को तीन वामपंथी पार्टियों की ओर से धरने का आह्वान किया गया है। ये धरना जिला स्तरीय होगा। देहरादून में सांप्रदायिक सौहार्द एवं आपसी भाईचारे के लिए ये धरना सुबह 11 बजे से दीनदयाल पार्क में आयोजित किया जाएगा। इसमें भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) ने संयुक्त रूप से समान विचारधारा वाले संगटनों को आमंत्रित किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वाममोर्चा ने उत्तराखंड में पुरोला और अन्य जगहों पर सचेत तरीके से सांप्रदायिक घृणा और उन्माद की घटनाओं की तीव्र भर्त्सना की है। वाममोर्चा ने कहा है कि यह अफसोसजनक है कि सांप्रदायिक उन्माद पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने के बजाय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उन्माद को हवा देने में लगे हुए हैं। लैंड जेहाद और लव जेहाद जैसी असंवैधानिक शब्दावली का निरंतर प्रयोग करके मुख्यमंत्री ने स्वयं सांप्रदायिक उन्माद के प्रचारक की भूमिका ग्रहण कर ली है। पुरोला में सांप्रदायिक तनाव के दौरान वे दो मौकों पर उत्तरकाशी जिले में थे, लेकिन वहाँ रहने के दौरान एक भी बार उन्होंने न तो शांति की अपील की और न ही कानून हाथ में लेने वालों की खिलाफ कार्यवाही की बात कही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वाममोर्चा ने कहा कि चार फरवरी 2020 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया कि लव जेहाद कानूनी रूप से परिभाषित नहीं है। केंद्रीय एजेंसियों ने लव जेहाद का कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया है। वाममोर्चा ने कहा है कि देश में 2011 से कोई जनगणना नहीं हुई है तो मुख्यमंत्री के पास कौन सा आंकड़ा है, जिसके आधार पर वे डेमोग्राफी में बदलाव जैसी असंवैधानिक शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाल ही में तीनों वामपंथी दलों की संयुक्त बैठक में सवाल उठाए कि लैंड जिहाद जैसी शब्दावली भी असंवैधानिक और गैर कानूनी है। यह उस सरकार का मुखिया प्रयोग कर रहा है, जिन्होंने स्वयं प्रदेश में ज़मीनों की असीमित बिक्री का कानून बनाया। बहुसंख्यक हिंदुओं में अल्पसंख्यकों के प्रति डर और घृणा का भाव भरा जा रहा है। इसके पीछे असल मकसद ध्रुवीकरण करके वोटों की फसल बटोरना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में कहा गया कि अल्पसंख्यकों को जिस तरह घर-दुकान खाली करने के लिए आरएसएस समर्थित सांप्रदायिक समूहों द्वारा धमकाया जा रहा है, वह पूरी तरह गैर कानूनी है। ऐसे समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है, जैसे कि उन्हें प्रशासनिक संरक्षण हासिल हो। किसी भी तरह के अपराध की रोकथाम और अंकुश लगाने की कार्यवाही कानूनी तरीके से होनी चाहिए। किसी भी स्वयंभू धार्मिक संगठन या व्यक्ति को उसकी आड़ में कानून और संविधान से खिलवाड़ की अनुमति कतई नहीं मिलनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद उत्तराखंड में पुलिस द्वारा नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही है। राज्य की पुलिस और पुलिस प्रमुख को बताना चाहिए कि उसकी क्या मजबूरी है, जो उसे उच्चतम न्यायालय की अवमानना करने के लिए विवश कर रही है। साथ ही राज्य के तमाम नागरिकों से अपील की गई है कि वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस जेल में न फंसे। इस जाल मे लोगों को फांसने वाले तो इससे लाभ हासिल करेंगे पर आम जन के हिस्से इस से बर्बादी ही आएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में नौकरियों की लूट, जल-जंगल-जमीन की लूट, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली, पलायन, जंगली जानवरों का आतंक, पर्वतीय कृषि की तबाही जैसे तमाम सवाल हैं। जो उत्तराखंड की व्यापक जनता के सवाल हैं। इनके लिए मिल कर संघर्ष करने की आवश्यकता है। इन सवालों का हल करने में नाकाम सत्ता ही लोगों को धर्म के नाम पर लोगों को बांट कर इन सवालों पर अपनी असफलता से बच निकलना चाहते हैं। धरने के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए माकपा की राज्य कमेटी के सदस्य एवं देहरादून सचिव अनंत आकाश ने बताया कि धरने का मकसद समृद्ध, संपन्न उत्तराखंड है। धार्मिक उन्माद और घृणा से पस्त और पतित विचारों का राज्य में कोई स्थान नहीं है।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।