तीन वामपंथी पार्टियों ने की पुरोला की घटना की भर्त्सना, 18 जून को होगा वेबिनार, 20 जून को जिलों में प्रदर्शन
उत्तराखंड में पुरोला की घटना और उसके बाद प्रदेश भर में उपजे सांप्रदायिक घृणा के माहौल व उन्माद की घटनाओं को लेकर तीन बामपंथी पार्टियों ने कड़ी भर्त्सना की। साथ ही प्रदेश की धामी सरकार पर आरोप लगाया कि सांप्रदायिक उन्माद की घटनाों को प्रभावी तरीके से रोकने की बजाय उसे हवा देने का काम किया गया। तय किया गया कि ऐसी घटनाओं के विरोध में 18 जून को वामपंथी पार्टियों का वेबिनार होगा। इसके बाद 20 जून को सभी जिला मुख्यालयों पर वामपंथी पार्टियां प्रदर्शन करेंगी। देहरादून में हुई इन दलों की बैठक में भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) से जुड़े लोग शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि लैंड जिहाद और लव जिहाद जैसी असंवैधानिक शब्दावली का निरंतर प्रयोग करके मुख्यमंत्री ने स्वयं सांप्रदायिक उन्माद के प्रचारक की भूमिका निभाई। पुरोला में सांप्रदायिक तनाव के दौरान वे दो मौकों पर उत्तरकाशी जिले में थे, लेकिन वहां रहने के दौरान एक भी बार लोगों से न तो शांति की अपील की और न ही कानून हाथ में लेने वालों की खिलाफ कार्यवाही की बात कही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि चार फरवरी 2020 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया कि लव जिहाद कानूनी रूप से परिभाषित नहीं है। केंद्रीय एजेंसियों ने लव जिहाद का कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया है। देश में 2011 से कोई जनगणना नहीं हुई है तो मुख्यमंत्री के पास कौन सा आंकड़ा है, जिसके आधार पर वे डेमोग्राफी में बदलाव जैसी असंवैधानिक शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने सवाल उठाए कि लैंड जिहाद जैसी शब्दावली भी असंवैधानिक और गैर कानूनी है। यह उस सरकार का मुखिया प्रयोग कर रहा है, जिन्होंने स्वयं प्रदेश में ज़मीनों की असीमित बिक्री का कानून बनाया। बहुसंख्यक हिंदुओं में अल्पसंख्यकों के प्रति डर और घृणा का भाव भरा जा रहा है। इसके पीछे असल मकसद ध्रुवीकरण करके वोटों की फसल बटोरना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में कहा गया कि अल्पसंख्यकों को जिस तरह घर-दुकान खाली करने के लिए आरएसएस समर्थित सांप्रदायिक समूहों द्वारा धमकाया जा रहा है, वह पूरी तरह गैर कानूनी है। ऐसे समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है, जैसे कि उन्हें प्रशासनिक संरक्षण हासिल हो। किसी भी तरह के अपराध की रोकथाम और अंकुश लगाने की कार्यवाही कानूनी तरीके से होनी चाहिए। किसी भी स्वयंभू धार्मिक संगठन या व्यक्ति को उसकी आड़ में कानून और संविधान से खिलवाड़ की अनुमति कतई नहीं मिलनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद उत्तराखंड में पुलिस द्वारा नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही है। राज्य की पुलिस और पुलिस प्रमुख को बताना चाहिए कि उसकी क्या मजबूरी है, जो उसे उच्चतम न्यायालय की अवमानना करने के लिए विवश कर रही है। साथ ही राज्य के तमाम नागरिकों से अपील की गई है कि वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस जेल में न फंसे। इस जाल मे लोगों को फांसने वाले तो इससे लाभ हासिल करेंगे पर आम जन के हिस्से इस से बर्बादी ही आएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में चर्चा के दौरान कहा गया कि उत्तराखंड में नौकरियों की लूट, जल-जंगल-जमीन की लूट, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली, पलायन, जंगली जानवरों का आतंक, पर्वतीय कृषि की तबाही जैसे तमाम सवाल हैं। जो उत्तराखंड की व्यापक जनता के सवाल हैं। इनके लिए मिल कर संघर्ष करने की आवश्यकता है। इन सवालों का हल करने में नाकाम सत्ता ही लोगों को धर्म के नाम पर लोगों को बांट कर इन सवालों पर अपनी असफलता से बच निकलना चाहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में सीपीएम के राज्य कार्यालय में हुई इस बैठक की अध्यक्षता सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य समर भंडारी ने की। बैठक में सीपीएम राज्यसचिव राजेंद्र सिंह नेगी, सीपीआई राज्य सचिव जगदीश कुलियाल, सीपीआई (माले) राज्य सचिव इन्देश मैखुरी, सीपीएम के नेता इन्दु नौडियाल, शिवप्रसाद देवली, रविंद्र जग्गी, राजेन्द्र पुरोहित, अनन्त आकाश, सीपीआई नेता अशोक शर्मा, सीपीआई (माले) के नेता कैलाश पांडेय एवं केके बोरा आदि ने बिचार व्यक्त किये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि उत्तरकाशी जिले के कस्बे पुरोला में 26 मई को एक नाबालिग लड़की के अपहरण की कोशिश हुई। नाबालिग को भगाने के आरोप में बिजनौर के रहने वाले हिंदू युवक जितेंद्र सैनी पुत्र अंतर सैनी और मुस्लिम युवक उवेद खान पुत्र अहमद को कुछ लोगों ने पकड़ा और पुलिस को सौंप दिया। दोनों युवकों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके बाद बात खत्म नहीं होती और इस मामले ने लव जिहाद का रूप लिया। पुरोला के साथ-साथ उत्तरकाशी जिले के छोटे बड़े कस्बों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। आरोपी तो हिंदू भी था, लेकिन अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाने लगा। फिर सवाल ये है कि इसे लव जिहाद से कैसे जोड़ा जा सकता है। चार जून की रात को देवभूमि रक्षा संगठन ने पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों के बाहर पोस्टर चिपका दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पोस्टर्स में 15 जून को महापंचायत का आह्वान किया गया। इसके पहले मुस्लिम व्यापारियों को दुकानें खाली करने की चेतावनी दी गई। नतीजा ये हुआ कि भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष जाहिद, मंडल अध्यक्ष शकील अहमद सहित 12 व्यापारियों ने दुकान खाली करने के साथ पुरोला छोड़ दिया। दुकान छोड़ने वाले दो व्यापारी पुरोला में अपने मकान पर रह रहे हैं। हालांकि, 15 जून को प्रशासन ने महापंचायत होने नहीं दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, हाईकोर्ट नैनीताल ने भी ऐसे आयोजनों पर सख्ती से रोक लगाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में कोई टीवी डिबेट नहीं होगी और न ही इंटरनेट मीडिया का उपयोग किया जायेगा। आपत्तिजनक नारों पर भी रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज है, पुलिस उसकी जांच करे और राज्य सरकार को इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।